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gappuukuchchhi
मैं स्त्री हूं..! घर के आंगन की बेटी हूं, बहन हूं, माँ हूं ब्रह्माण्ड की धरोहर हूं सम्पूर्ण विश्व की भविष्य हूं मैं स्त्री हूं..! ममता रूपी सागर की मनोहर प्रेम की प्रतिमा हूं भाव, भाषा, अभिलाषा हूं मन के खुले विचारों की मैं स्त्री हूं..! शक्ति रूपी स्वरूप की शांति का ही एक रूप हूं खुशियों की नूर हूं चेहरों पर खिलती मुस्कान की मैं स्त्री हूं..! त्याग और समर्पण की सपनो की उड़ानों की जीवन के सुंदर समतल की साहस और आत्मविश्वास की मैं स्त्री हूं..! दिलों की मुहब्बत की सब्र की मिसाल हूं रिश्ते की ताक़त हु अपनो का एहसास हु मैं स्त्री हूं..! सहनशिलता की मूरत हूं आस्था हूं, विश्वाश हूं, उम्मीदों की एकमात्र आश हूं मैं स्त्री हूं..! सफलता की सीढि़यों की शिक्षित, पुष्पित, शक्तिशाली हर देश की शान हूं हां में नारी हूं, नारायणी हूं खिलौना नहीं, कोई पूर्णविराम नहीं मैं एक स्त्री हूं खुले आसमान की... @Gappuu_kuchchhi ©gappuukuchchhi Hello दोस्तो इस दुनिया में मैं नया हूं और इस प्लेट फार्म पर हमारी पहली रचना आपके सामने रख रहा हूं आशा करता हुं आप सब को बहुत पसंद आयेंगी
Mr RN SINGH
भईया एक प्लेट जिंदगी लगा दो नही नही रिश्तेदार मत डालना 😭😭😭😭😭😭😭😭 ©Mr RN SINGH #Connections भईया एक प्लेट जिंदगी लगा दो नही नही रिश्तेदार मत डालना 😭😭😭😭😭😭😭😭 #MrRNSINGH #Nojoto #nojoto❤ एक अजनबी PURAN SINGH CHILWAL Int
साहिर उव़ैस sahir uvaish
तुम इस ख़राबे में चार छे दिन टहल गई हो सो ऐन-मुमकिन है दिल की हालत बदल गई हो तमाम दिन इस दुआ में कटता है कुछ दिनों से मैं जाऊँ कमरे में तो उदासी निकल गई हो किसी के आने पे ऐसे हलचल हुई है मुझ में ख़मोश जंगल में जैसे बंदूक़ चल गई हो ये न हो गर मैं हिलूँ तो गिरने लगे बुरादा दुखों की दीमक बदन की लकड़ी निगल गई हो ये छोटे छोटे कई हवादिस जो हो रहे हैं किसी के सर से बड़ी मुसीबत न टल गई हो हमारा मलबा हमारे क़दमों में आ गिरा है प्लेट में जैसे मोम-बत्ती पिघल गई हो उमैर नजमी ©साहिर उव़ैस sahir uvaish #adventure हमारा मलबा हमारे क़दमों में आ गिरा है प्लेट में जैसे मोम-बत्ती पिघल गई हो#उमैर_नजमी
Harshit Pranjul Agnihotri
Deepa Kandpal
Shivam Gupta
poetry with ansha
भईया एक प्लेट जिंदगी लगा दो खुशियां छिड़क देना नही नहीं जलनखोर और रिश्तेदार मत डालना..! . ©poetry with ansha एक प्लेट जिंदगी