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लेखक ओझा
Nature Quotes व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित करता है की दूसरो से आपका संबंध कैसा होगा! इसलिए शब्दों की वेदी और आंखों की देखी पर लगाम आवश्यक है।। ©लेखक ओझा #NatureQuotes शब्दो की वेदी
Amit Singhal "Aseemit"
मर्यादा की वेदी क्यों चढ़े हर बार एक औरत ही, क्या मर्यादा का ध्यान रखना आदमी का काम नहीं। औरत ही क्यों याद रखे क्या गलत क्या है सही, समाज हमेशा चाहे जहां वह कहे औरत झुके वहीं। ©Amit Singhal "Aseemit" #मर्यादा #की #वेदी
Bhavana kmishra
आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं.. मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं, उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया हूं जिन माथे की कंकुम बिंदी वापस लौट नहीं पाई चुटकी, झुमके पायल ले गई कुर्वानी की अमराई कुछ बहनों की राखी जल गई है बर्फीली घाटी में वेदी के गठबंघन मिल गये हैं सीमा की माटी में पर्वत पर कितने सिंदूरी सपने दफन हुए होंगे बीस बसंतों के मधुमासी जीवनहरण हुए होंगे टूटी चूडी, धुला महावर, रूठा कंगन हाथों का कोई मोल नहीं दे सकता बासंती जज्बातों का जो पहले-पहले चुम्बन के बादलाम पर चला गया नई दुल्हन की सेज छोडकर युद्ध काम पर चला गया उसको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी उन आखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं गीली मेंहदी रोई होगी छुप के घर के कोने में ताजा काजल छूटा होगा चुपके चुपके रोने में जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आंगन में.. शायद दूध उतर आया हो बूढी मां के दामन में वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सर ले सकती है, जो अपने पती की अर्थी को भी कंधा दे सकती है मै ऐसी हर देवी के चरणो मे शीश झुकाता हूं, इसिलिये मे कविता को हथियार बना कर गाता हूं जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है, उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है गरम दहानो पर तोपो के जो सीने आ जाते है, उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड जाते है उनके लिये हिमालय कंधा देने को झुक जाता है कुछ पल को सागर की लहरो का गर्जन रुक जाता है उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ जैसा होता है, चित्र शहीदो का मंदिर की मूरत जैसा होता है जिन बेटो ने पर्वत काटे है अपने नाखूनो से, उनकी कोई मांग नही है दिल्ली के कानूनो से सेना मर-मर कर पाती है, दिल्ली सब खो देती है….. और शहीदों के लौहू को, स्याही से धो देती है…… मैं इस कायर राजनीति से बचपन से घबराता हूँ….. इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ।। # हरिओम पंवार जी (कवि) ©Bhavana kmishra #कारगिल विजय दिवस आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं.. मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं, उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया
N S Yadav GoldMine
हरे पौधे और पेड़ हमारे जीवन में आशा और सुंदरता की भावना लाते हैं तो चलिए जानते हैं इनके बारे में !! 📌 📌{Bolo Ji Radhey Radhey} शनि दोष से मिलेगा छुटकारा :- 🌲 हर पेड़ और पौधे का एक स्वतंत्र चरित्र होता है।अपने विभिन्न प्रभावों के कारण पौधे का रूप, रंग, सुगंध, फल और फूल सभी विभिन्न ग्रहों से जुड़े हुए हैं। वास्तु शास्त्र में कई ऐसी चीजें बताई गई हैं, जिनके करने और ना करने से हमारे जीवन पर उसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ते हैं। हरे पौधे और पेड़ हमारे जीवन में आशा और सुंदरता की भावना लाते हैं। शमी की जड़ का महत्व :- 🌲 शमी पेड़ की लकड़ी को यज्ञ की वेदी के लिए पवित्र माना जाता है. वहीं शमी के पेड़ का संबंध शनि देव से माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, जो लोग नीलम रत्न धारण नहीं कर सकते वो लोग शमी की जड़ हाथ में बांध सकते हैं। जिसका फल भी व्यक्ति को नीलम के बराबर ही प्राप्त होगा और शनि दोष, साढ़ेसाती से जल्द छुटकारा मिलेगा। शमी को गणेश जी का प्रिय पेड़ माना जाता है। इसलिए भगवान गणेश की आराधना में शमी के पेड़ की पत्तियों को अर्पित किया जाता है। ©N S Yadav GoldMine #phool हरे पौधे और पेड़ हमारे जीवन में आशा और सुंदरता की भावना लाते हैं तो चलिए जानते हैं इनके बारे में !! 📌 📌{Bolo Ji Radhey Radhey} शन
Vedantika
मैं सुनाऊँ आज आपको अपने मन की बात कैसे हुई होगी दादा दादी की पहली मुलाकात शादी के प्रस्ताव को हुए जो दादाजी तैयार लेकर के रिश्ता चले दादाजी पहुंचे दादीजी के द्वार हुई आवभगत खूब दादाजी के मन के फूल खिले होगा अब साक्षात्कार उनसे यह सोचकर चैन मिले लेकिन थीं बंदिश परम्पराओं की उंस विवाह के मार्ग में नहीं था वह ज़माना उदार जो दे हाथों को हाथ मे (मुलाकात होगी अनुशीर्षक में) मैं सुनाऊँ आज आपको अपने मन की बात कैसे हुई होगी दादा दादी की पहली मुलाकात शादी के प्रस्ताव को हुए जो दादाजी तैयार लेकर के रिश्ता चले दादाजी
Vedantika
अभिव्यक्ति-१६ (सात दिन का अनोखा प्रेम) एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है पूर्ण होगी अनुशीर्षक में एक अनोखी प्रेम कहानी दुनिया ने ना जानी है हृदय में प्रेम लिए भटकती एक मीरा दीवानी हैं विरहन की अग्नि में जलती बीत गई ज़िन्दगानी हैं सात दिनों
Chanchal Jaiswal
थक जाने दो आवाज़ों को और पुकार निथर जाने दो छन जाने दो अथक चांदनी देखो चांद निकल आने दो मुग्ध मौन पर मन हो जाए ऐसी दृष्टि निखर आने दो फूलों पर तरंग का उठना पुलक हवा में घुल जाने दो और स्पर्श की सरस व्यंजना तंत्री में चंचल हो जाने दो अभासों को बनकर बादल पुनि - पुनि नित्य बरस जाने दो आसमान की रंगिम चिट्ठी हरित धरा मन रंग जाने दो मत पूछो तुम बात प्रीत की मत ओढ़ो कोई जात प्रीत की मत पूजो धर्म की वेदी मत समझो प्रमाद रीति की उन आंखों में देखो चंदा प्रतिमा हैं जो आप प्रीति की पूरी कविता caption में पढ़ें थक जाने दो आवाज़ों को और पुकार निथर जाने दो छन जाने दो अथक चांदनी देखो चांद निकल आने दो मुग्ध मौन पर मन हो जाए ऐसी दृष्टि निखर आने दो फूलों
Rohit Kumar