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Niaa_choubey
Bhavana kmishra
आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं.. मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं, उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया हूं जिन माथे की कंकुम बिंदी वापस लौट नहीं पाई चुटकी, झुमके पायल ले गई कुर्वानी की अमराई कुछ बहनों की राखी जल गई है बर्फीली घाटी में वेदी के गठबंघन मिल गये हैं सीमा की माटी में पर्वत पर कितने सिंदूरी सपने दफन हुए होंगे बीस बसंतों के मधुमासी जीवनहरण हुए होंगे टूटी चूडी, धुला महावर, रूठा कंगन हाथों का कोई मोल नहीं दे सकता बासंती जज्बातों का जो पहले-पहले चुम्बन के बादलाम पर चला गया नई दुल्हन की सेज छोडकर युद्ध काम पर चला गया उसको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी उन आखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं गीली मेंहदी रोई होगी छुप के घर के कोने में ताजा काजल छूटा होगा चुपके चुपके रोने में जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आंगन में.. शायद दूध उतर आया हो बूढी मां के दामन में वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सर ले सकती है, जो अपने पती की अर्थी को भी कंधा दे सकती है मै ऐसी हर देवी के चरणो मे शीश झुकाता हूं, इसिलिये मे कविता को हथियार बना कर गाता हूं जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है, उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है गरम दहानो पर तोपो के जो सीने आ जाते है, उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड जाते है उनके लिये हिमालय कंधा देने को झुक जाता है कुछ पल को सागर की लहरो का गर्जन रुक जाता है उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ जैसा होता है, चित्र शहीदो का मंदिर की मूरत जैसा होता है जिन बेटो ने पर्वत काटे है अपने नाखूनो से, उनकी कोई मांग नही है दिल्ली के कानूनो से सेना मर-मर कर पाती है, दिल्ली सब खो देती है….. और शहीदों के लौहू को, स्याही से धो देती है…… मैं इस कायर राजनीति से बचपन से घबराता हूँ….. इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ।। # हरिओम पंवार जी (कवि) ©Bhavana kmishra #कारगिल विजय दिवस आप सभी को विजय दिवस की शुभकामनाएं.. मै केशव का पाञ्चजन्य हूँ गहन मौन मे खोया हूं, उन बेटो की याद कहानी लिखते-लिखते रोया
नितिन कुमार 'हरित'
Nitin kumar harit ©नितिन कुमार 'हरित' ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन, तब कहीं जाकर, तुम्हारा गीत लिख पाया हूँ मैं । एक तुम्हारे प्रेम में, ना जाने कितने स्वप्न टूटे,
लेखक ओझा
Nature Quotes व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित करता है की दूसरो से आपका संबंध कैसा होगा! इसलिए शब्दों की वेदी और आंखों की देखी पर लगाम आवश्यक है।। ©लेखक ओझा #NatureQuotes शब्दो की वेदी
Shashank
Amit Singhal "Aseemit"
मर्यादा की वेदी क्यों चढ़े हर बार एक औरत ही, क्या मर्यादा का ध्यान रखना आदमी का काम नहीं। औरत ही क्यों याद रखे क्या गलत क्या है सही, समाज हमेशा चाहे जहां वह कहे औरत झुके वहीं। ©Amit Singhal "Aseemit" #मर्यादा #की #वेदी
Parasram Arora
हमारी भाषा हमारी देह की भी भाषा है हमारी चाल हाथी की चाल जैसी भी. हो सकती है हमें आदमकद कठपुतलीयों की संज्ञा भी दी जा सकती है याफिर मन की धरती पर. हमें मृत्यु योगिनियाँ कह क़र हमारी हौसला अफ़झाई भी की जा सकती है ©Parasram Arora अभिसारिका बनाम मृत्यु योगिनी......