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Vikrant Rajliwal

😈 डाक बंगला _ Daak Bangla Horror Novel (भूतिया उपन्यास) Read Full Horror Novel! http://vikrantrajliwalblogs.blogspot.com/2024/01/daak-bangl #हॉरर

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@Divya

यशपाल (दिव्या उपन्यास)🧡❤️ #शायरी

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Gyanu ojha

उसके बालों मैं गुलाब जचते बहुत हैं, वो खिल जाती है गुलाब सी गुलाब की महक से सच कहूं तो वो ख़ुद गुलाब सी है ज्यादा खूबसूरत नहीं फिर भी लाजव #Shayari #andazebayanofgyanu

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Medha Bhardwaj

जीवन की कहानी उपन्यास जैसी है। #kitaab #Novel #Novembercreator #Hindi #hindi_poetry #hindi_quotes #hindi_shayari #EXPLORE #Expectations vir #Life #viral

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एक अजनबी

#एक_स्त्री_और_पुरुष #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 *एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति, सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती। क्या एक स्त्री और पुर #Society

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एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति,
सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती।
क्या एक स्त्री और पुरुष किसी और तरह नहीं बँध सकते आपस में ?
और बँधें ही क्यों ?
उन्मुक्त भी तो रह सकते हैं, समाज के बने बनाए एक ही
तरह के खाके से जिसमें सदियों पुरानी एक सड़ांध सी है।

एक स्त्री और पुरुष
बौध्दिकता के स्तर पर भी एक हो सकते हैं
उपन्यास, कविताएँ, कहानियों, ग़ज़लों पर विमर्श करना
कहानियों की पौध रोपना क्या दैहिक सम्बन्धों की परिभाषाएँ लाँघता है ?

एक स्त्री और पुरुष-घण्टों बातें कर सकते हैं
 फूल के रंगों के बारे में, तितलियों के पंखों के बारे में,
समुद्र के दूधिया किनारों के बारे में,  और
ढलती शाम के सतरंगी आसमानों के बारे में, 
पत्तों पर थिरकती, बारिश की सुरलहरियों के बारे में;
इनमें तो कहीं भी देह की महक नहीं, दूर - दूर तक नहीं।
फिर दायरे, वही दायरे बाँध देते हैं दोनों को।

एक स्त्री और पुरुष- आपस में बाँट सकते हैं - 
एक दूसरे का दुःख, ठोकरों से मिला अनुभव,
कितनी ही गाँठें सुलझा सकते हैं, साथ में मन की।
मगर, नहीं कर पाते, ......क्योंकि
दोनों को कहीं न कहीं रोक देता है, उनका स्त्री और पुरुष होना।

एक स्त्री और पुरुष - के आपसी सानिध्य की उत्कंठा - की दूसरी धुरी..
आवश्यक तो नहीं कि दैहिक खोज ही हो;
मन के खाली कोठरों को सुन्दर विचारों से भरने में भी
सहभागी हो सकते हैं - स्त्री और पुरुष।
यूँ भी तो हो सकता है कि - उनके बीच कुछ ऐसा पनपने को
उद्वेलित हो, जो देह से परे हो,
प्रेम की पूर्व गढ़ित परिभाषाओं से भी अछूता हो,
 क्यों न दें इस नई परिभाषा को?
स्त्री और पुरुष के बीच।

©एक अजनबी #एक_स्त्री_और_पुरुष #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻


*एक पुरुष और स्त्री के आपसी संबंधों की परिणति,
सिर्फ देह ही तो नहीं हो सकती।
क्या एक स्त्री और पुर

AbhiJaunpur

यशवंत राय 'श्रेष्ठ'

उपन्यास #प्रेरक

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Moh (Shivam Tiwari)

Avinasha

जीवन एक अटूट धारा है। मानव जीवन की कहानी भी एक अटूट धारे के समान है। हर तरह की रुकावटों के बावजूद यह कहानी सतत चलती रहती है। Collab करें Y

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किरदार बदल जाते हैं ,
कहानी चलती रहती है ।
किताबों के पन्नों पर लिखी ,
अपनी ज़ुबानी कहती रहती है।
कभी आसूं ,कभी मुस्कुराहट को लिए ,
किरदारों के बीच पहचान बनाती रहती है।
कभी क़िस्मत को ढाल बनाए,
बेबसी का मुखौटा पहनाती रहती है।
आज कामयाबी की दस्तक बनी,
कल रोंदी मिट्टी- सी कुछ कहती रहती है।
किरदार बदल जाते हैं ,
कहानी चलती रहती है ।
 जीवन एक अटूट धारा है। मानव जीवन की कहानी भी एक अटूट धारे के समान है। 
हर तरह की रुकावटों के बावजूद यह कहानी सतत चलती रहती है।

Collab करें Y

Vedantika

जीवन की शुरुआत से ही लेखन मनुष्य का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। एक लेखक सदा से अपनी भावनाओं को शब्दों में ढाल कर उसे एक पद्य, गद्य, कहानी, उपन्

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(कोरा काग़ज़ जो कोरा नहीं)

जीवन की शुरुआत से ही लेखन मनुष्य का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। एक लेखक सदा से अपनी भावनाओं को शब्दों में ढाल कर उसे एक पद्य, गद्य, कहानी, उपन्यास, यात्रा वृत्तांत और अन्य विधाओं का रूप दे देता है।

समय के साथ लेखन में काफी हद तक बदलाव आया है। आज की व्यस्तता भरे जीवन में लोगों के मन की भावनाएँ मन के अंदर रहकर कुंठा का रूप धारण कर लेती है। मानव मन को इस कुंठित मन की पीड़ा से बचाने के लिए एक सर्वोत्तम प्रयास है- ‘योरकोट।’

योरकोट पर विभिन्न प्रकार के मंच है जो हमें अनेक सुंदर-सुंदर चित्रों एवं शब्दों के माध्यम से हमारे विचारों को विस्तार देने का कार्य करते हैं जैसे रेस्ट ज़ोन, ऑथेंटिक थॉट्स आदि लेकिन योरकोट पर ‘कोरा काग़ज़’ नाम का एक ऐसा मंच है जो अपने प्रतिभागियों को और अपने लेखकों को एक अलग ही ऊँचाई पर ले जाता हैं। बात चाहे मुख्य प्रतियोगिता की हो या उर्दू की पाठशाला की, कोरा काग़ज़ अपने लेखकों को सदैव कुछ नया देने का प्रयास करता रहता है।

(शेष अनुशीर्षक में…) जीवन की शुरुआत से ही लेखन मनुष्य का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। एक लेखक सदा से अपनी भावनाओं को शब्दों में ढाल कर उसे एक पद्य, गद्य, कहानी, उपन्
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