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motivationsujitakmishra
#RIPPriyankaReddy ये सिसकती हुई आबो हवा क्यूं है। जो चहकती थी चुप वो सदा क्यूं है।। गूंजती थी उसी से ये गली कूंचे। फिर ख़ामोश लब ये सिसकती सदा क्यूं है।। :- सुजीत कुमार मिश्रा प्रयागराज। #आबोहवा #रेप #sujitmishra
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
आजकल की इस आबोहवा में इंसानियत खो गई है,लकवा में एक-दूसरे देखकर न मुस्कुराना भीतर घुल चुका है,जहर हवा में कोई किसी की मदद न करता, हर मनु स्वार्थ की बात करता, आजकल की इस आबोहवा में स्वार्थ घुल चुका है,हर दुआ में आजकल हर रिश्ते टूट रहे है तेज हवा के एक ही झोंके में कांच शर्मिंदा होकर रो रहा है उससे ज्यादा बिम्ब हुए सीने में अंदर कुछ,बाहर से कुछ बोलते, हृदय हुए सब छली हर महीने में आजकल की इस आबोहवा में हरमनु बेईमान हुआ पानी पीने में हर रिश्तेदार बगुले बनकर बैठे है जिंदगी के हर दिन,हर महीने में फिर भी पत्थर से सर टकराएंगे, आज नही कल झरना बहाएंगे, हम भी समां जलाएंगे हर सीने में बन दीप मिटायेंगे तम हर सीने में खिलेंगे फूल नये,हंसेंगे चेहरे नये, फिर होगी भू स्वर्ग हर गली-कूँचे में दिल से विजय आजकल की आबोहवा
Ramesht Dhar
ये जज़्बातों की आंधी है,बहुत जल्दी थमेगी ये। ज़रा तुम गौर तो करना,बहुत सुखी नदी है ये।। ये कुछ झूठे, फरेबी और मौकापरस्तोँ की करतूतों का बादल है। चमत्कृत सच को आने दो बहुत जल्दी छटेँगे ये।। आज की आबोहवा..
Ek Khayal
#आना तो था क्या बताऊ हाल प्रिय।।। प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं उनकी भी कुछ फरियाद है शायद उस गरीब की मुझसे भी बड़ी आस है वो आए थे फ़टी चप्पल मे, जब तेज दोपहरी थी उनके माथे की लकीरे मेरे सुख से भी गहरी थी।। हो सकता है उनकी दुआ से चमत्कार हो जाए फिर क्या पता तुम सामने बैठीं हो और तुम्हारी बक-बक के साथ अदरक वाली चाय हो जाए... Tj.. . ©Ek Khayal दफ्तर
Lala Saini
जीवन में एक बार तो साथ ही दोस्त मुश्किल में आयगा ©Lala Saini #BehtaLamha दफ्तर
Aditya Fogat
आंखों पे बंधी पट्टी हमारी भी खुली जिनसे समझ बैठे से दोस्ती , उनसे तो सिर्फ पहचान निकली पर आखिर सच्चाई तो दफ्तर छोड़ने पर पता लगी । #दोस्ती #दफ्तर
Sanjeev Jha
आजकल के दफ्तरों में ऐसे जाकर आना हुआ सांस का जैसे नर्म जाना गर्म बाहर आना हुआ ©SANJEEV JHA #दफ्तर #OneSeason
Aditya Fogat
आंखों पे बंधी पट्टी हमारी भी खुली जिनसे समझ बैठे से दोस्ती , उनसे तो सिर्फ पहचान निकली पर आखिर सच्चाई तो दफ्तर छोड़ने पर पता लगी । #दोस्ती #दफ्तर
Ekta Gour
पैसा पैसा करते हो अपने हालत पर गौर नहीं करते हो तबीयत ठिक ना होने पर भी दफ्तर जाने कि तुम सोचते हो इतना थक जाने पर भी अपना काम मन लगाकर करते हो अपना खयाल भी थोडा करो यार #पैसा #दफ्तर #काम
Ek Khayal
देखो न कितना उलझ गए कगजो मे हम ऐसा क्या है इन कागजो मे जो उनसे गुफ्तगु करते हो खड़े है हम सामने फिर भी बात कागजो की ही करते हो।। वैसे मिले थे हम कुछ महीनो पहले जब छोटी मुलाकात मे लोगो की बात बन जाती थी।। जब नजर की एक नजर से कई दिनों की बात हो जाती थी भूल गए हो वो नजाकत या है कोई गम।। अब लोग भी बोलने लगे है बात सच थी या अफवाहों मे थे हम देखो न कितना उलझ गए कागजो मे हम. ... Tj... ©Ek Khayal सरकारी दफ्तर... #mybook