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CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#GoodNight #गजल 'दर्द भरी शायरी'

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White ग़ज़ल 

ख़ाक़ से ही तुम्हें बनाया है 
ख़ाक़ में ही तुम्हें मिलाया है 

देश को आगे क्या बढ़ाया है 
उसने बीड़ा अगर उठाया है 

साथ सबका वो दे नहीं सकता 
उसने फरमान ये सुनाया है 

खोखला हो रहा वतन मेरा 
क्या यही देश को बढ़ाया है 

जब से बैठा यही किया उसने 
शिर्फ नफ़रत को ही बढ़ाया है 

मैं यकीं क्यों करूँ किसी पर भी 
धोखा अपनों से मैने खाया है 

बैर रखता नहीं किसी से मैं 
हाँथ हर ऐक से मिलाया है 

बस उसी राह पर चलेंगे हम 
जो भी उसने हमें बताया है 

ये सियासत का खेल है "हरदीन"
भाई अपना यहाँ पराया है 

चौधरी हरदीन कूकना

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #GoodNight #गजल  'दर्द भरी शायरी'

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#sad_quotes #गजल दोस्ती शायरी

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White ग़ज़ल 

हाले दिल आपको हम सुनाते रहे 
इस तरह बोझ ग़म का घटाते रहे 

उनके आने की पाई खबर खुश हुऐ 
याद में जिनकी आँसू बहाते रहे 

ऐक आशिक का ये हौसला देखिये 
ज़ख्म सहकर भी वो मुस्कुराते रहे 

दिल को दिल से तअल्लुक हो सोचा नहीं 
आप तो दूरियाँ ही बढ़ाते रहे 

मौत से कौन बच सकता था दहर में 
वक्त जिनका भी आया वो जाते रहे 

पास से उनको देखूँ थी ख्वाहिश मिरी 
दूर ही से वो जलवा दिखाते रहे 

सामने जब भी आऐ नज़र फेर ली 
मुझसे अपने को हरदम बचाते रहे 

भूल सकते नहीं जीते जी हम उन्हें 
राह सच्ची जो हमको दिखाते रहे 

वो थे "हरदीन"शोला तो शबनम था मैं 
वो जलाते रहे हम बुझाते रहे

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #sad_quotes #गजल  दोस्ती शायरी

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#गजल शेरो शायरी

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White ग़ज़ल 

मेरे घर में कहाँ ज़िंदगी आज भी 
बस वही मुफ़्लिसी बेबसी आज भी 

आपसी रंजिशें हैं वही आज भी 
भाई भाई में है दुश्मनी आज भी 

ऐक मुद्दत से तो दूर है वो मगर 
याद आते हैं शिद्दत से ही आज भी 

कितना मासूम अंजान है बेगुनाह 
फिर भी उस पर है तानाकशी आज भी 

मैं वफ़ा ही करूँ इश्क की शर्त है 
क्यों मैं सोचूँ है बेरूखी आज भी 

हम तो बेज़ार हैं कैसे आगे बढ़ें 
अपनी हालात है मजबूर सी आज भी 

वो जफ़ा पर जफ़ा कर रहे हैं मगर 
बेवफाई न हमसे हुई आज भी 

मुझको गौहर किसी से भी शिकवा नहीं 
ज़िंदगी कट रही वैसी ही आज भी 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  शेरो शायरी

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#sad_quotes #गजल शेरो शायरी शायरी हिंदी में

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White ग़ज़ल 

लगाकर आग वो कैसे बचे हैं 
उन्हे ढ़ूँढ़ो कहीं पर वो छुपे हैं 

मेंरी बस्ती के सब घर जल रहे हैं 
ताहफ़्फुज़ में मेरे दुश्मन खड़े हैं 

वही अवक़ात अपनी भूल बैठे हैं 
जो पौधे सामने फूले फले हैं 

लगेगी आह उनको इक न इक दिन 
गरीबों के लहू पर जो पले हैं 

बनाता मैं नहीं दुश्मन किसी को 
तरक़्की से मेंरी दुश्मन बने हैं 

ज़रा अपने गिरेबाँ में वो देखें
जो तोहमत हम पे रखते आ रहे हैं 

तेरी महफिल में जब से आ गया हूँ 
मेंरे हमराज सब जलने लगे हैं 

भली थी या बुरी थी छोड़ये भी 
ज़रा सी बात लेकर क्या पड़े हैं 

बुराई की तरफ "हरदीन" न जाऐं 
वहाँ हर राह पर काँटे बिछे हैं 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #sad_quotes #गजल  शेरो शायरी शायरी हिंदी में

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#गजल शायरी हिंदी में

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White 
भला दूसरों का भी क्या सोचता है 
सदा अपना ही तो भला सोचता है 

बशर तो बस अपना भला सोचता है 
सभी का भला बस "तेजा" सोचता है 

बुरा आदमी बस बुरा सोचता है 
जो नेक है वो नेक ही सदा सोचता है 

रहें शान्ति से जगत में हमेशा 
सभी के लिये वो सदा सोचता है 

कभी मुँह से कुछ बोलता ही नहीं क्यों 
खड़ा होके वो जाने क्या सोचता है 

रूलाकर उसे खिलखिला कर वो 
अब उसी हँसी की दवा सोचता है 

नऐ सविधानों कि उसको पड़ी अब 
तो फितनों का अब रास्ता सोचता है 

उजाड़ो किसी को बसाओ किसी को 
यही तो वो "हरदीन" सदा सोचता है 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  शायरी हिंदी में

MSA RAMZANI

गजल

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तेरे ही रूप को आखों में भर रहे है हम 
तू ही बता कि कोई भूल कर रहे है हम।

सफर तमाम हुआ जब तो यह ख्याल आया 
कि एक उम्र न जाने किधर रहे है हम।

बड़े अदब से जो झुक कर सलाम करता है 
उस शख्स से क्यूं आज डर रहे है हम।

जिधर भी देखे कही आद‌मी नहीं मिलता 
ये कैसा शहर है जिससे गुजर रहे है हम।

करो न रंज तुम्हारा जो साथ न दे सके 
खुद अपने आप के कब हमसफर रहे है हम।

खुद अपने आप से गाफिल रहे मगर रमजानी 
तुम्हारी याद में कब बेखबर रहे है हम।
4/10/15

©MSA RAMZANI गजल

MSA RAMZANI

गजल

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पल में दूर हो जाती है 
जात अधूरी हो जाती है

आखों में नींद नहीं आती 
रात पूरी हो जाती है

पहले तो होती है चाहत 
फिर मजबूरी हो जाती है

कुछ लोगों की पल भर मे 
ख्वाहिशे पूरी हो जाती है

हद से प्यार गुजर जाये तो 
अक्सर दूरी हो जाती है
8/10/15

©MSA RAMZANI गजल

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#good_night #गजल शायरी हिंदी

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White  ग़ज़ल

ढ़ूँढ़ने को निकले हैं आज के ज़माने में 
दोस्ती की किल्लत है दिल के आशियाने में,
जियो और जीने दो ये अटल हक़ीक़त है ,
क्या समझ के तुम मुझको लग गऐ मिटाने में ,
चाहते हैं ज़हनों में नफरतों की सुलगे आग ,
चैन पाऐं दिल उनके बस्तियाँ जलाने में, 
बेवफा कहा तुमने शौक से सुना हमने 
हम भी आगे आगे थे क्या जफाऐं ढ़ाने में ,
कत्ल बेगुनाहों का कर रहे हैं जो कातिल 
नाम उनके क्यों मुन्सिफ तुम लगे छुपाने में ,
आज गिर गयीं यारो मिरे घर की दिवारें 
दख्ल वादो बारिश है क्या उन्हें गिराने में ,
बस कसूर इतना था आपको कहा अपना ,
हो गऐ ख़फ़ा मुझसे लग गऐ सताने में,
अपनी राह से हटकर लग गऐ कहाँ हम भी ,
रास्ते से न वाकिफ़ रास्ता दिखाने में ,
है महान का चर्चा हर जगह मगर गौहर
हैं बराबर हम शामिल हिन्द के बसाने में ,

चौधरी हरदीन कूकना, मकराना
राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #good_night #गजल  शायरी हिंदी

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#SunSet #गजल #nojotohindi 'दर्द भरी शायरी' शायरी शायरी लव खूबसूरत दो लाइन शायरी

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset """""""""""""""""""ग़ज़ल """"""""""""""""

उसने सिक्का जमा लिया अपना 
खूब सीना फुला लिया अपना 

उसने चेहरा छुपा लिया अपना 
मैने भी सर घुमा लिया अपना 

ये सियासत में होता रहता है 
आज फिर सर झुका लिया अपना 

बात ही बात में हुआ ऐसा 
राज़ उसने छुपा लिया अपना 

काम ऐसा मैं कर नहीं सकता 
जिसको देखा बना लिया अपना 

उसने सीखा इधर उधर जाना 
फिर से उसको बना लिया अपना 

जो भी कहना है उससे कह लो तुम 
उसने जलवा दिखा लिया अपना 

मुझपे ऐहसाँ किया था जो उसने 
आज बदला चुका लिया अपना 

फ़र्क पड़ता नहीं है गौहर को 
ग़ैर को भी बना लिया अपना 

चौधरी हरदीन कूकना 
मकराना, राजस्थान

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #SunSet #गजल #Nojoto #nojotohindi  'दर्द भरी शायरी' शायरी शायरी लव खूबसूरत दो लाइन शायरी

Mohan Sardarshahari

# गजल

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Unsplash दोस्तों से मुश्किल है हकीकत छुपाना 
जैसे हवा से अलग रवानी को रखना। 

जिंदगी के अनुभव बेशक अलग-अलग होंगे 
मुश्किल नहीं मगर एक दूजे की कहानी समझना। 

इशारों में समझाना बहुत कर लिया 
चलो दोस्तों से करते हैं वही व्यवहार बचकाना। 

यदि कभी कुछ सुनाना पड़े दोस्तों को 
बस याद उनकी एक-एक शैतानी दिलाना। 

मिलकर यदि किसी दोस्त से छलक जाए आंसू 
शाम को उड़ा देना उनको तेरे नाम के पैमाना। 

देखी होंगी दशकों में कई नायाब इमारतें तूने 
होना हो रूबरू जवानी से, बार-२ तेरे कॉलेज जरूर जाना।।

©Mohan Sardarshahari # गजल
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