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saurabh
सौ लड़ने वाले होते हैं फिर भी तलवार नहीं गिरती जिनके मन में है जीत सदा पाले में हार नहीं गिरती जिनके भी सपने सत्य हुए जाकर उनसे तुम सच पूछो उनके सपने बिखरे थे पर सपनों की धार नहीं गिरती सौ लड़ने वाले होते हैं फिर भी तलवार नहीं गिरती जिनके मन में है जीत सदा पाले में हार नहीं गिरती जिनके भी सपने सत्य हुए जाकर उनसे तुम सच पूछो
saurabh
हम तो खुद से टूटे ही हैं तुमको नया सहारा होगा गर कोई रस्मों में बंधेगा तो हमसे प्यारा होगा वो लहरों की मार सहेगा जिसकी खुद पतवारें होगी हम नदिया के भंवर रहेंगे , कोई और किनारा होगा कहती है यह सहज कठिनता जीवन कितना प्यारा होगा जिस पथ तुम ही तारें होगे हर पथ पर अंथियारा होगा कुछ मन में होंगी सौगातें जो हम को ना दे पाओगै
saurabh
एक घड़ी में दो पल जीवन बोलो कैसे गीत बनाएं उनको समझाएं यह जीवन या बोलो खुद को समझाएं खुद की बातें बिन समझे ही जो बातों को कहता जाए उसको कितना रोका जाए उसको कोई क्या समझाए "ऐसे ही "-" ऐसे ही" कहकर सबकुछ ऐसे ही कर डाला उनसे
saurabh
सप्तस्वर की एक ध्वनि पर यह रुदन अनुनाद होगा हम भी तुमको याद होगें और स्वर भी याद होगा.. !! हमने जाना नहीं हमने समझा नहीं प्रेम परिधान का एक पर्याय है...?? शब्द कुछ और हैं भाव कुछ और हैं हम न समझे यहाँ कैसा अभिप्राय है धर्म पर र
saurabh
अब भी तुमको चाहिए वह धर्म वह विश्वास उस पर शब्द हैं अब मौन फिर भी गुनगुना देता हूं मैं हार को भी हार कहना है नहीं आदत मेरी हार को भी देख कर अब मुस्कुरा देता हूं मैं बाट पर चलता बटोही ले रहा है मोड़ इतने है अगर मंजिल सुनिश्चित राह क्यों बेकार कर ली शब्द या स्वर थे अलग से शब्द में था व्यंग्य ठहरा सुनके
saurabh
🌼🌼🌼 फिर उजालों में कुछ नहीं दिखता फिर अंधेरे में दिख रहा हूंँ मैं इक विसंगति जो अनकही ठहरी खुद के ही संग लिख रहा हूंँ मैं कोई समझेगा कभी सोच के जीवन में आखिरी व्यंग लिख रहा हूंँ मैं... !! खुद के ही संग लिख रहा हूंँ मैं.... 🙏🙏🙏 Bye Bye Bye bye 👋 yourquote and great followers 📖✍ I wrote my life , happiness, tears and grief. Now it is time to be ownself. 😊 I will come when I
saurabh
सारी किरदारी किरदारों में गिरकर ढहने वाली है... !! तुमने सोचा यह मन हारा टूटा टूटा यह बेचारा टूटा टूटा ओझल तारा एक विसंगति का यह मारा कैसे शब्द प्रबंधन देगा कैसे मन पर बंधन देगा जिसका कोई न
saurabh
प्रेम को जीवन बनाया , था पता "है मृत्यु आनी" लिख रहे हैं इक विसंगति हारकर जीवन कहानी हम मिटाते हैं पदों की छाप की धूमिल निशानी लिख रहे हैं इक विसंगति हारकर जीवन कहानी शब्द तो काले स्वयं थे उससे काले यह अंधेरे एक अंतस की विवशत
saurabh
हम त्याग स्वाभिमानित मन, तेरे पास आए जितनी भी स्वप्न थे..., मन में हर्ष हर्ष गाए हम तो समझ रहे थे , तुमने न रुचि दिखाई हर बार लब पे दूरी...., हर बार इक सफाई ना कोशिशें ही की तुमने.., ना ही समझ पाए हम त्याग स्वाभिमानित मन..... !! हमने तुम्हें रख्खा उत्तुंग के शिखर पर हमने तुम्हें था रख्खा उस प्रेम के प्रखर पर पर तुमने हमको केवल गर्तों में लिप्त देखा हर बार प्रेम का मन