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Ravindra Singh Bhati
पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट डॉ देवेन्द्र झाझङिया जी❤ ©Ravindra Singh Bhati पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट डॉ देवेन्द्र झाझङिया जी❤ #एथलीट #एथलेटिक्स #भारत #देवेन्द्रझाझङिया
पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट डॉ देवेन्द्र झाझङिया जी❤ #एथलीट #एथलेटिक्स #भारत #देवेन्द्रझाझङिया #स्पोर्ट्स
read moreअनिता कुमावत
एक यात्रा शुरू हुई थी स्वयं को जानने की क्या हूँ मैं , कौन हूँ मैं रुक गई वो बीच राह में ही कहीं भटक गया मन , छूट गई राहें सारी ... कुछ प्रश्नों के उत्तर मिले कुछ के ढूँढने अभी बाकी है फिर नयी यात्रा की शुरुआत करते हैं कि स्वयं को जानना अभी भी बाकी है ....!!!! लग रहा जैसे गाड़ी रिवर्स गियर में जा रही है ... अब क्या ... एक ब्रेक मारते हैं और फिर गाड़ी को सही ट्रैक पर आते हैं ... 😃😃
लग रहा जैसे गाड़ी रिवर्स गियर में जा रही है ... अब क्या ... एक ब्रेक मारते हैं और फिर गाड़ी को सही ट्रैक पर आते हैं ... 😃😃
read moreRakesh Tiwari
तू मेरे जज़्बे को बेवजह यू न परख जितना आजमाएगा उतना हैरतअंगेज पायेगा 🍁राकेश तिवारी🍁 हरियाणा की भगवानी देवी डागर जी ने 94 साल की उम्र में साबित किया है कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। वर्ल्ड मास्
हरियाणा की भगवानी देवी डागर जी ने 94 साल की उम्र में साबित किया है कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। वर्ल्ड मास्
read moreTabishAhmad 'تابش '
मेरा क़सूर क्या था? मुझे घर ही तो जाना था, भूख मिटाने को आया था, अब भूख में मर जाना था, इसीलिये घर ही तो जाना था! मेरा कसूर क्या था? न मिला किसी का सहारा था, जान के ऊपर अब आना था, भूख में महीनों इन्तेजार करना था, अब आख़री फैसला था, इसीलिये घर ही तो जाना था, मेरा कसूर क्या था! चलना पैदल ही था, रास्ता खुद ब खुद बन जाना था, सड़क भी अब बेगाना था, इसलिये रेलवे ट्रैक पर आना था, चलते ही चलते जाना था, मंजिल का न अभी तक कोई पता था, इसीलिये घर ही तो जाना था, मेरा कसूर क्या था? दिन-रात सफर कर थक जाना था, कब तलक नींद को धोका देना था, आंख लगी तो रेलवे ट्रैक पर सोना था, क्या पता था की आखरी नींद था, रात गुजरते ही सुबह को फिर आना था, मगर मुझे तो ईश्वर के पास जाना था, मेरा क़सूर क्या था? मेरा क़सूर क्या था? मुझे घर ही तो जाना था, भूख मिटाने को आया था, अब भूख में मर जाना था, इसीलिये घर ही तो जाना था! मेरा कसूर क्या था? न मिला
मेरा क़सूर क्या था? मुझे घर ही तो जाना था, भूख मिटाने को आया था, अब भूख में मर जाना था, इसीलिये घर ही तो जाना था! मेरा कसूर क्या था? न मिला #Love #Hindi #HindiPoem
read moreTabishAhmad 'تابش '
Ad shivam
प्रेम विरह आज शाम याद तेरी ©Ad shivam सूर्यास्त हो चुकी है🌅, ये हल्की जगमगाती रोशनी अंधकार की ओर बढ़ रही हैं। दूरदराज कहीं कोई नजर नहीं आ रहे हैं। सिर्फ तुम्हारी आहट की आभास होत
सूर्यास्त हो चुकी है🌅, ये हल्की जगमगाती रोशनी अंधकार की ओर बढ़ रही हैं। दूरदराज कहीं कोई नजर नहीं आ रहे हैं। सिर्फ तुम्हारी आहट की आभास होत #brothersday
read moreRavendra
जिला खेल विकास एवं प्रोत्साहन समिति की बैठक सम्पन्न बहराइच। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला खेल विकास एवं प्रोत्साहन समिति की बैठक की अध #न्यूज़
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