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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat 2020 ने क्या क्या नहीं दिखाया 2020 क्या क्या नहीं सिखाया अपने से अपनो का एहसास करवाया। कितना खोया है कितना पाया कितना बदला है कितना बदलवाया है कितना सिला है कितना उधड़ा है कितना किया है कितना हसाया है कितना कमाया है कितना हराया हैं कितना समर्पण है कितना अर्पण है कितना दर्पण है कितना धर्म परिवर्तन हैं कितना हारा है कितना जीता हैं कितना सहा हैं कितना साहरा हैं कितना सौंपा हैं कितना पाया हैं कितना कर्म है कितना धर्म हैं कितना छुपाया है कितना रुलाया हैं कितना लुभाया है कितना पछताया हैं कितना डराया हैं कितना धमकाया हैं कितना सही हैं कितना गलत हैं कितना करना है कितना कारण हैं कितना याद है कितना भुलाया हैं See Caption ©️ जज़्बात ए हर्षिता 31 Dec ,2020 #newyear2020 #new #newbeginning #yqbaba #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat 2020 ने क्या क्या नहीं दिखाया 2020 क्या क्या नही
Sunil itawadiya
वाह वाह क्या बात है दीदी बहुत शानदार Written by Harshita didi✍️ 2020 ने क्या क्या नहीं दिखाया 2020 क्या क्या नहीं सिखाया अपने से अपनो का एहसास करवाया। कितना खोया है कितना पाया
Rai Sahab
भरे महफिल मे जो तुमने मुझे बदनाम किया था, आज भी मेरे दोस्त पुछा करते है कौन है वो जिसने तुम्हे ईतने प्यार से धमकाया था | 📝 राय साहब कौन है वो जिसने तुम्हे ईतने प्यार से धमकाया था
sîdňôôr.
वो जो चाय पीवण पै भी धमकाया करै था....❣️ उसनै कहियो के बात जहर तक आगी है...💔 ©sîdňôôr. वो जो #चाय पीवण पै भी धमकाया करै था....🖤 उसनै कहियो के बात #जहर तक आगी है...💔 #Love #Haryanvi #urdu #Hindi #gajal
KICKIT
prakash Jha
कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है पैसे बालो के पीछे चमचे ही फिरा करते है ईमान बाले को बईमान बताया जा रहा है भूलना ही है तो भूलते क्यों नहीं दुश्मनी कमज़रो को कर्ज तले दबाया जा रहा है पैसों की मद में क्या ख़ूब रंजिश है निभाई आंगन की बीच में दीवार बनाया जा रहा है ©prakash Jha कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द