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Himanshu Prajapati

#boatclub हे भगवान मेहरारू भले करिया देह, लेकिन गढ़न‌ तनी बढ़िया देह, नहीं त सुहागरात के दिन घूंघट उठवत हम डर जाब, सुहागरात से पहले ही मर ज #विचार

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हे भगवान मेहरारू भले करिया देह,
लेकिन गढ़न‌ तनी बढ़िया देह,
नहीं त सुहागरात के दिन 
घूंघट उठवत हम डर जाब,
सुहागरात से पहले ही मर जाब..!

©Himanshu Prajapati #boatclub हे भगवान मेहरारू भले करिया देह,
लेकिन गढ़न‌ तनी बढ़िया देह,
नहीं त सुहागरात के दिन 
घूंघट उठवत हम डर जाब,
सुहागरात से पहले ही मर ज

A.j9h(9h.a.n)

# ओशो रजनीश # सती प्रथा की रीतियां # कैसे जबरन ज़िंदा स्त्री को# आग में सती करवाते थे....!

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्राण प्यारी तुम्हीं हो बताता नहीं । प्यार दिल में छुपा है जताता नहीं ।।१ हाथ तेरा कभी प्रेम से थाम लूँ । वक्त ऐसा कभी पास आता नहीं ।।२ #शायरी

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ग़ज़ल :-
प्राण प्यारी तुम्हीं हो बताता नहीं ।
प्यार दिल में छुपा है जताता नहीं ।।१

हाथ तेरा कभी प्रेम से थाम लूँ ।
वक्त ऐसा कभी पास आता नहीं ।।२

होंठ सुर्खी तुम्हारी लिए जाँ रही ।
देख जिसको मैं दिल थाम पाता नहीं ।।३

मस्त आँखों से ऐसा पिलाया हमें ।
होश आया भी तो होश आता नहीं ।।४

हो गई जब कभी तू तू मैं मैं यहाँ ।
बात दिल में कभी वह बिठाता नहीं ।।५

सात फेरे हमारे तुम्हारे पड़े ।
बोसा फिर भी कभी माँग पाता नहीं ।।६

लाख साड़ी तुम्हारे लिए ला रखी ।
पर कभी तू पहन कर दिखाता नहीं ।।७

चाँद शरमाँ न जाए तुम्हें देखकर ।
इसलिए आज घूंघट उठाता नहीं ।।८

जी इसी बात से है प्रखर का जला ।
तू हमीं पर कभी हक जताता नहीं ।।९

१२/१२/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्राण प्यारी तुम्हीं हो बताता नहीं ।

प्यार दिल में छुपा है जताता नहीं ।।१


हाथ तेरा कभी प्रेम से थाम लूँ ।

वक्त ऐसा कभी पास आता नहीं ।।२

Ravendra

अठारह वर्ष की कुंवारी कली थी, घूंघट में मुखड़ा छिपाए खड़ी थी #न्यूज़

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- जो रिश्तों का इस दुनिया में आज तमाशा करता है । मतलब आने पर वह ही अब देखो वादा करता है ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल :-

जो रिश्तों का इस दुनिया में आज तमाशा करता है ।
मतलब आने पर वह ही अब देखो वादा करता है ।।१

बस मीठी बातें करता है वक़्त पे काम नहीं आता 
अपने पन का स्वाँग रचाकर कैसा दावा करता है ।।२

भूल गया क्या वह भी हमको अब दुनिया की बातों में ।
भूले बिसरे जो दिल को अक्सर बहलाया करता है ।।३

इंसानों की बस्ती में इक पत्थर जैसा शख़्स मिला।
उससे क्या उम्मीद करें जो देख किनारा करता है ।।४

मातु-पिता का सुत जीवन में बस एक सहारा होता ।
जो बीवी के एक इशारे पर अब नाचा करता है ।।५

खत्म हुई अब रस्म पुरानी घूंघट आज उठाने की ।
जेठ ससुर के आगे चेहरा   कौन छुपाया करता है ।।६

ऐ जी ओ जी की रीति नही नाम लियो सीधे पी का ।
डब्लू के पापा सुन लो अब कौन पुकारा करता है ।।७

रूठे हमदम से कह कोई  लौट के जल्दी आ जाओ
उनकी गलियाँ आज प्रखर देख निहारा करता है ।।८

२५/०९/२०२३       -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


जो रिश्तों का इस दुनिया में आज तमाशा करता है ।

मतलब आने पर वह ही अब देखो वादा करता है ।।१

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- तुम्हारी बात का जिस पर नशा है । उठाने को तिरा घूंघट खड़ा है ।।१ #शायरी

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ग़ज़ल :-
तुम्हारी बात का जिस पर नशा है ।
उठाने को तिरा घूंघट खड़ा है ।।१

नज़र भर देख भी ले जो तुम्हें अब ।
कहाँ फिर होश में रहता खड़ा है ।।२

तुम्हें जो छू रही है बे-इजाजत ।
वही मगरूर अब देखो हवा है ।।३

किसी के जो बुलाने से न आता ।
वही चंदा तुम्हें अब देखता है ।।४

कभी उसको गले से भी लगा ले ।
तुम्हारे प्यार में जो बावला है ।।५

इबादत में उसी की आज बैठा ।
जिसे हमने यहाँ माना खुदा है ।।६

बहुत बिंदास हो कर के चले थे ।
कि उसकी जुल्फ़ का साया घना है ।।७

वही है रूप की रानी जहाँ में ।
हमारा दिल सुनो जिस पर फ़िदा है ।। ८

उसी की ही अदाओं का असर ये ।
प्रखर जो आज दीवाना हुआ है ।।९

२६/०९/२०२३      -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


तुम्हारी बात का जिस पर नशा है ।

उठाने को तिरा घूंघट खड़ा है ।।१

ANIL KUMAR

Anil Ray

विचारार्थ......................................✍🏻 विश्वास है या फिर अंधविश्वास श्रद्धा है या फिर अंधश्रद्धा क्या है? कभी ताज़िए तो कभी द #thought

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Satpal Das

संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य ◆ आध्यात्मिक मार्ग पर फैले पाखंडवाद को समाप्त करना है। ◆ सभी प्रमाणित धर्म ग्रंथों के आधार पर शास्त्रा #Quotes

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Ravi Shankar Kumar Akela

#Parchhai कृषि मनुष्य को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पौधों और पशुधन की खेती करने की प्रथा है। गतिहीन मानव जीवन शैली के उदय में कृषि प्रमुख व #समाज

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