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Utkarsh Gupta
मेरी मस्किले हो केशी भे मेरे हौसले से कम ह अंधेरों को चिर देंगे इतना दम है Mr utkarsh gupta
Gorkhpuri ishq
जो बुझाते थे प्यास गले की, वो कुआं अब वो कुआं नहीं । रखी तस्वीर तुम्हारी अब तक,सिर्फ देखा है ढ़ंग से छुआ नही। की जो कहते हो नशा, नशीली नयनो में है, मदीरा मुझे पीनी पड़ी,तुम्हारे नयनो से तो कुछ हुआ नही।। ©Gorkhpuri ishq #aankhe #Madira Utkarsh Gupta Deeksha Gupta Neha Tiwari gudiya komal maheshwari
Gorkhpuri ishq
"प्रेम को समझने के लिए , क्या प्रेम में पड़ना जरूरी है?" ©DILSE प्रश्नचिन्हित? #Love Utkarsh Gupta Heartless Girl ❣❣ Shristi Yadav Fan page of legends mysterious soul
Utkarsh 420 Gupta
Shot by Utkarsh Gupta , By Oppo F11 Dual ai 48MP Camera Follow for more on Instagram @Tanishkarsh_pixels
Savyasachi 'savya '
Savyasachi 'savya '
Trust me नदी एक, गुजरती है ,शायद ,शहर से, मगर हर गली से, नाला निकल रहा है. दगाबाजी की, कालाबाजारी, कुछ ऐसी, कि हर रिश्ते में, हवाला निकल रहा है. अब, जरा लहराकर, ताव दे, पण्डित! अपनी गरीबी पर .... कमबख्त... चार टके की गरीबी,इसे खरीदने में, बड़ी - बड़ी सरकारों का दिवाला निकल रहा है.... ©Pt Savya kabir नदी एक, गुजरती है ,शायद ,शहर से, मगर हर गली से, नाला निकल रहा है. दगाबाजी की, कालाबाजारी, कुछ ऐसी, कि हर रिश्ते में, हवाला निकल रहा है. अब,
Ravi yaduvanshi61
निकल पड़ती हे ड्यूटी पर जरूरत दिन निकलते ही बदन हर शाम ये कहता हे अब हड़ताल हो जाये। ©Ravi yaduvanshi61 #TereHaathMein Sethi Ji Ramesh Siju Mishra Miracle kanishka arti Saxena AD Grk mohini .m @writer.VIMALESHYADAV Anand Ashutosh Mishra Lalit S
Savyasachi 'savya '
यूं ही तबियत से तोड़ता गुरुर तेरा, तार -तार, कतरा -कतरा, ईट -ईट, बेमरउत , दिमाग से उतरता तेरा फितूर, खींच -खींच, नोच -नोच, चीथ - चीथ, तंग आ गया हूं बनावटी इश्क से, मेरे किरदार का कत्ल करने , दिन -दहाड़े आ जाता है. पर मिटाना चाहता हूं जब भी, कमबख्त ये दिल आड़े आ जाता है..... ©Pt Savya kabir यूं ही तबियत से तोड़ता गुरुर तेरा, तार -तार, कतरा -कतरा, ईट -ईट, बेमरउत , दिमाग से उतरता तेरा फितूर, खींच -खींच, नोच -नोच, चीथ - चीथ, तंग आ
Savyasachi 'savya '
(मैं हिंदी:- एक व्यथा) हिंदी हूं मैं हाय! सखी, हिंदसुता भाग्य से पर, हालत हमारी ये कि 'हिंद' में हराम हूं... संविधान में है आब, पर यथार्थ बना ख्वाब , कंठ में सभी के पर, हृदय में ताधडाम हूं.. मेरी अमराई में ये , झाड़ी जो पराई आई, मेरे पुत्र बोलते है , मैं पुराना आम हूं. मेरा पल्लू ओढ़, इठलाती ये आजादी आई, आज सारे कहते कि, मैं ही नाकाम हूं. मेरे कृति - कर्म पे, दिखाओ युग -धर्म अब, न्याय दे मुझे यूं , लोक -न्याय को निखार दो. संवैधानिक अधिकार सब ,आए व्यवहार में तो, तीन -सौ - तिरालिस(343) देख, मेरा अधिकार दो.... ©Pt Savya kabir (मैं हिंदी:- एक व्यथा) हिंदी हूं मैं हाय! सखी, हिंदसुता भाग्य से पर, हालत हमारी ये कि 'हिंद' में हराम हूं... संविधान में है आब, पर यथार्थ ब
Nitin Kumar