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Stories related to छैल छबीलो

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राजेश कुमार बी.जी

#छैल छैल बहु... आदमी गुणौ तै सौणा ###

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यशवंत कुमार

तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ, तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है; #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes

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तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ 

मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है;
मैं भीड़ में अकेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
              मौज़ूदगी तेरे अक्स की हर ओर पाता हूँ,
              मैं पागल हवा संग बहता जाता हूँ,
              तु पल-पल, नए-नए स्वांग रचती है;
              मैं आशिक़ अलबेला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
अनजानी राहों पर बढ़ता जाता हूँ,
कितने ही सपने मैं गढ़ता जाता हूँ,
तपिश तेरी जुदाई की इतनी ज़्यादा है;
मैं अंग-अंग गीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!!
             मेरी हर ख़्वाहिश का वज़ूद तु है,
             मेरी बढ़ती बेसब्री का राज़ तु है,
             चिंगारी भड़काई है तुमने शमा बनकर मुझमें;
             और अब मैं शोला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ!! तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ 

मैं रंग-रंगीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
मैं छैल-छबीला होकर तुम्हें ढ़ूँढ़ता हूँ,
तु है कि जर्रे-जर्रे में समायी है;

पवन कश्यप

देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...। काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..। हाँ जाणु सूं तू फैशन #Lights

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देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।
हाँ जाणु सूं तू फैशना की छैल छलन्दरी मैं बालक सीधे बाणे का..।
तू मेरे कदमा तै कदम मिला कै नै पसीन्या की टूम सजाया करिए..।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।

यो सच है कि साँसा पे नाम तेरा भले मैं जान देऊं ना..।
आली सुखी भले खाण नै पर आंख्या में आँसू आण देऊं ना..।
तेरे साथ तै होवै गुजारा तू मेरा कहण पुगाया करिए..।
तेरे आण तै घर होज्या रोशन तू हँसी के दीप जलाया करिए..।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।

©पवन कश्यप देखे मेरी दो भाइयां में बैठा उठी तू ओल्हा कर बतलाया करिए...।
काम करण जब मैं जाऊं खेत में तू मेरी चा लेकै नै आया करिए..।
हाँ जाणु सूं तू फैशन

Anita Saini

थारै बिना म्हानै सूनो सूनो ळागै म्हारो घर आँगणों जी उड़ीका थारी बाट बेगा पधारो म्हारे हिवड़े रा हार जी सूनो आसन म्हारे हिवड़े नै तरसाव जी #Challenge #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yopowrimo18 #YQRajasthani #Pic_Contest14

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थारै बिना म्हानै सूनो सूनो ळागै म्हारो घर आँगणों जी
उड़ीका थारी बाट  बेगा पधारो म्हारे 
हिवड़े रा हार जी
सूनो आसन म्हारे हिवड़े नै तरसाव जी 
म्हारा छैल भंवर जी मर ज्यासी थारी गोरड़ी जी
  थारै बिना म्हानै सूनो सूनो ळागै म्हारो घर आँगणों जी
उड़ीका थारी बाट  बेगा पधारो म्हारे 
हिवड़े रा हार जी
सूनो आसन म्हारे हिवड़े नै तरसाव जी

अवधराम गुरु

जब देवलोक से सुख की देवी- नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, जब आसमान के सूने मस्तक पर- उल्लासों की लाली सी छा जाएगी! जब ढोलक की थापों की #कविता #nojotophoto

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 जब देवलोक से  सुख की  देवी-
नर्तन करने पृथ्वी पर आ जाएगी, 
जब आसमान के सूने मस्तक पर-
उल्लासों की लाली सी छा जाएगी!

जब  ढोलक  की  थापों  की

कवि राहुल पाल 🔵

"पनिहारन " लेखक - कवि राहुल पाल दिनांक -७ जून २०२१ **************** इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर , कर में कंगना ,कमर करधनी, न #कविता #nojotohindi #nojotowriters #nojotonews #KRP #Paniharan

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©कवि राहुल पाल "पनिहारन "
लेखक - कवि राहुल पाल 
दिनांक -७ जून २०२१ 
****************
इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर ,
कर में कंगना ,कमर करधनी, न

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-24 अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी कथाकार की पहली दृष्टि अ #प्रेरक

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पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अचानक "बिजली" पर पड़ी.. ! बिजली.. ! कौन बिजली..?  वही जो ताऊ जी के साथ सुधा के घर आ धमकी...! गांव की छोरी..छैल छबीली...आँगन में मुख चमका रही है..!अपने घर से श्रृंगार पेटी लाई है.. श्रृंगार पेटी.. एक टिन चादर की छोटी सी संदूक..! संदूक में ताला..!  ताले के अन्दर बोरोप्लस, सरसों का तेल, मुरदाशंख, बड़ी कंधी, ककई, पॉन्ड्स पाउडर, मोंगरा इत्र की शीशी...! छोटा सा आईना..! मटमैले रंग की घाघरा चोली में केशरिया दुप्पटा कमर में कसा हुआ... दाहिने हाथ में गुदना गुदा... " कजरी मेरी मइया ".. बाएं हाथ में बिजली... !
नैलपॉलिस कत्थाई रंग लग रहा है ...  मुख में बोरोप्लस लिपा पुता सा दिखता है.. दो चोटी लाल फीते में कान के ऊपर दो गोले बनाये हुये...बालों में मन भर सरसों का तेल चुपड़ा हुआ कानों के पास से बूंद बूंद रिस रहा है... सामने बालकनी में हमारी पुष्पा जी अपने दांतों की परवरिश में लगी बड़े गौर से बिजली का श्रृंगार देख रही हैं.. तभी इतने में जे.एल.फेमिली पुष्पा जी के घर से गुजरते हुये मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं..पुष्पा जी बालकनी में मुखमंजन करते हुये तीनों को बड़े गौर से देखती हुई और..तभी उनका ब्रश दांतों की पकड़ से छूटकर नीचे गिर जाता है.. और अचानक पुष्पा जी के ज्ञान चक्षु जाग्रत होते ही...
आगे पेज-25

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अ

Ravi Panday

जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔ वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश #Quotes #India #Inspiration #poem #Shayari #gwalior #idol #pandayji #mypoets #queenofjhansi

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 जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔
वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश

MohiniGupta

मैं समय हूँ, ब्रह्मांड को पहली रचना हूँ, पृथिवी की संरचना हूँ, पहले बीज का पहला कोपल हूँ, समुद्र की पहली हलचल हूँ। मैं भूत वर्त भविष्य हूँ,

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मैं समय हूँ।
(poem read in caption) मैं समय हूँ,

ब्रह्मांड को पहली रचना हूँ,
पृथिवी की संरचना हूँ,
पहले बीज का पहला कोपल हूँ,
समुद्र की पहली हलचल हूँ।
मैं भूत वर्त भविष्य हूँ,

Priya Kumari Niharika

# मैं स्त्री हूं मैं स्त्री हूँ साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया माँ पिता को बोझ #Quote #me #maa #कविता #nojotohindi #treanding

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मैं स्त्री हूँ 

साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया 
समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया

माँ पिता को बोझ लगू, भाई कहे मुझे छोरी,
फिल्मों में किरदार भी मेरा, छैल छबीली गोरी,

सामंतों की रूचि मैं,जनगणना की सूची हूँ 
जिस घर में बालक की आशा, उनके लिए अरुचि हूँ 

पति है स्वामी, मैं हूँ दासी, ससुराल के लिए दहेज की राशि,
स्वाभिमान और सम्मान के खातिर, रहती हूँ हर क्षण मैं प्यासी,

संविधान में लिंग की समता,साहित्य के लिए विमर्श हूँ मैं ,
पड़ोसी के लिए कैलेंडर का, बढ़ता जाता वर्ष हूँ मैं,

 माता-पिता कहे मैं हूँ परायी, सास ससुर कहे बाहरवाली
 बेटी बहू बहन और माता, रिश्ते सारे लगते जाली

 समाज कहे प्रतीक हूं मैं, त्याग सेवा लज्जा की 
 आभूषण कहते है मुझसे, प्रतीक हूं केवल सज्जा की 

 स्त्री कहती है की मैं, परंपराओ की रक्षक हूं
 पितृसत्ता कहती मुझसे, केवल उनकी भक्षक  हूँ

 विद्रोह करू तो बेशर्म,असंस्कारी, चुपचाप सहूँ तो दुःख दे भारी
 व्रत उपवास हमारे हिस्से, पुरुष बना मंदिर का पुजारी

 देवदासी प्रथा ने मुझको, इतना ज्यादा झकझोरा है
 भक्ति के ही कफन में मुझको, लाश बना कर छोड़ा है

 बोली मेरी भी लगती है, बेची जाती हूं बाजारों में
 सांसे घुटती रहती हर क्षण, जिंदा रहती हूं नारों में

 अनमोल चीज व्यापार की हूं, शायद कोई उपहार भी हूं
 है दीन हीन दशा तो क्या, मैं जिन्दा कारोबार भी हूँ

 मत मेरा मेरा न होता, छत मेरा मेरा न होता
 मिला नहीं गर कोई समर्थन, पथ मेरा मेरा न होता

 खुद के लिए मैं स्वयं समाजिक, धारणाओं की बंधक हूं
 सब कुछ अनदेखा कर सहती, मैं तो सचमुच ही अंधक हूं

©Priya Kumari Niharika # मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूँ 

साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया 
समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया

माँ पिता को बोझ
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