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Unconditiona L💓ve😉
प्रकृति संसार के सौन्दर्य की रानी है, हर स्त्री अपने अपने घर की महारानी है । जगत में प्रकृति की छवि न्यारी है, महतारी अपनी सबको लगती प्यारी है। कुदरत के खेल में हम खो जाते है, माँ की गोद में सभी बच्चे बन जाते हैं। प्रकृति वसन्त में फूलों के रूप में सजती है, वह तब सोलह श्रृंगार किए दुल्हन लगती है । प्रकृति हँसती है नैसर्गिक हँसी आ जाती है, माँ की मुस्कान से बच्चे किल्कारी आती है । प्रकृति मानव के लिए सब कुछ दे देती है, माता परिवार के लिए अपना जीवन लगा देती है। प्रकृति समस्त संसार का आधार है, महिला सम्पूर्ण परिवार का मूलाधार है। आओ स्त्री और प्रकृति का सम्मान करना सीख ले, कुछ पाने के लिए निस्वार्थ सेवा करना सीख ले । पतिव्रता जगत में कहलाती महान सच्चरित्र से पाती वह अपनी पहचान । सीता मैया को कौन नहीं जानता, राम संग रही सदैव वह वन भी जाता । राधा के अलौकि
Unconditiona L💓ve😉
सजा दिये है फूल मईया.. तेरी हर एक राहों में ममता मया की छाँव तले.. रहूँ मैं तेरी पनाहों में l कब से नैन बिछाये बैठा हूँ कि...मईया मेरो आयेंगे जन्मदिन है तुम्हरा तो हम...ख़ुशी से धूम मचाएंगे l बना के चोको टिफिया, ज्वालन छड़ी भी सजाये है सारी दुःखो को फूँक मारो,हम खुशियाँ ढेरों लाये है l ❤ Have a great one !😊pious Wishes to U💛 Dedicating a #testimonial to गोपिका तुम गँगा की निर्मल धारा, मैं तुझमें बहता नाव मईया..l दुनिया की तपती रेगिस्तान में.. मुझे भाता है तेरी मम
Sangeeta Patidar
"जाने क्यों सारी यादें इसी वक़्त ख़ुसर-फ़ुसर करती हैं, यूँ तो ये रहती नहीं साथ, ऐसे भी किसी और हाल के" -दरमियाँ.. मेरे-तुम्हारे हिन्दी कविता संग्रह 'दरमियाँ.. मेरे-तुम्हारे' विमोचन. सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत शुभकामनायें. दरमियाँ के रचनाकार - गोविंद अलीग, दशरथ गढ़ेकर,
Akhilesh Varshney
पुल की दाढी संजय संघर्ष सिंह
Devendra shivhare
क्यों करते हो बदनाम प्रेम को सच सच बोल दो न, आत्मप्रेम को छोड़ो जिस्म चाहिए ये राज खोल दो न, आगे अनुशीर्षक में पड़े क्यों करते हो बदनाम प्रेम को सच सच बोल दो न, आत्मप्रेम को छोड़ो जिस्म चाहिए ये राज खोल दो न, अब नहीं होता सहन ये बंधन, इस बंधन को तोड़ दो न
Ajay Prakash
*सितमगर वक्त यकीनन मगरूर है* *तु पास नहीं है ये कमी तो जरूर है* जितेन्द्र शिवहरे *सितमगर वक्त यकीनन मगरूर है* *तु पास नहीं है ये कमी तो जरूर है* जितेन्द्र शिवहरे
Ajay Prakash
*झूम के तेरी जुल्फें मेरे चेहरे पर गिरती है* *मखमली अहसास से रोंगटे खड़े हो जाते है* जितेन्द्र शिवहरे *झूम के तेरी जुल्फें मेरे चेहरे पर गिरती है* *मखमली अहसास से रोंगटे खड़े हो जाते है* जितेन्द्र शिवहरे