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New कैकेयी का अनुताप Quotes, Status, Photo, Video

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    LatestPopularVideo

अभिषेक मनिहरपुरी

कवि मनोज कुमार मंजू

दीवारें भी अब तो घर की संस्कृतियों पर हसती हैं। 
घूम रही गलियों में मंथरा कैकेयी घर घर बसती है।।

©कवि मनोज कुमार मंजू #दीवारें 
#घर 
#संस्कृति 
#गलियां 
#मंथरा 
#कैकेयी 
#मनोज_कुमार_मंजू 
#मँजू

Preeti Karn

#निशीथ: अर्द्ध रात्रि #अनुताप: पश्चाताप, खेद #सलिल: जल #अभ्यागत: अतिथि #yqdidi #yqhindiquotes

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अश्रु अभ्यागत बने
याचना अनुरक्त है
  धैर्य  संयम   खो रहा अब
सलिल हृदय  क्यों  मौन है।।

                        प्रीति
     #निशीथ: अर्द्ध रात्रि
#अनुताप: पश्चाताप, खेद
#सलिल: जल
#अभ्यागत: अतिथि
#yqdidi #yqhindiquotes

Aman Kumar

संगत से इंसान का स्वभाव पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि विभीषण रावण के साथ रहकर भी नहीं बिगड़ा और कैकेयी राम के साथ रहकर भी नहीं सुधरी Shaya #शायरी #hindishayari😍❤️

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N S Yadav GoldMine

#Pattiyan कैकेयी के द्वारा राम को वचन मुक्त करने के पश्चात भी वे वन में क्यों गए जरूर पढ़िए !! 📜📜 {Bolo Ji Radhey Radhey} {जय श्री सीताराम ज #पौराणिककथा

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OMG INDIA WORLD

रामायण में दो व्यक्ति थे, एक विभीषण और एक कैकेयी, विभीषण रावण के राज में रहता था, फिर भी नहीं बिगड़ा, कैकेयी राम के राज में रहती थी, फिर भी #RIPRohitSardana

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#RIPRohitSardana रामायण में दो व्यक्ति थे, एक विभीषण और एक कैकेयी, विभीषण रावण के राज में रहता था, फिर भी नहीं बिगड़ा,

कैकेयी राम के राज में रहती थी, फिर भी नहीं सुधरी, तात्पर्य सुधरना और बिगड़ना केवल मनुष्य की सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है।

©OMG INDIA WORLD रामायण में दो व्यक्ति थे, एक विभीषण और एक कैकेयी, विभीषण रावण के राज में रहता था, फिर भी नहीं बिगड़ा,

कैकेयी राम के राज में रहती थी, फिर भी

यशवंत कुमार

वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का

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वो चेहरा 'तुम्हारा' है

मेरी बातों का
मेरे जज्बातों का
मेरे ख्यालों का
मेरे सवालों का

Read in caption...
 वो चेहरा "तुम्हारा " है।

मेरी बातों का
मेरे जज्बातों का
मेरे ख्यालों का
मेरे सवालों का
मेरी तन्हाईयों का
मेरी परछाईयों का

Rohit Potdar

का बरं का ?

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का बरं
   का ?


"Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte."

Haa difference vedich sarkavta aala nahi.
Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?

shalini jha

भावनाओं के सागर में डूबती गहरे उतर देखा है मैंने ठहरा हुआ सा मन का वो बसंत उमंगो के आकाश में रक्तिम पलाश से लगी आग जो अब तक बुझी नहीं #Love #togetherforever

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भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं 
सौरभ से परिपूर्ण 
जागृत शिखा सी 
आत्मा का अनुताप 
पलकों पर सुन्दर 
कोमल सपनों का बसेरा 
कई अभिलाषाएँ  
 एक खिंचाव ..
उत्ताल तंरग पर नाचती संध्या 
हृदय के गीतो में 
समाहित सुरभित सुगंध 
झोंका पवन का 
झड़ते पात संग 
भावों के झड़ते पनपते रंग
मन के झरोखों को
 खोलता हुआ सा 
एक पुकार और अबुझ 
फागुन का शोर 
बस तुम्हारी ही  ओर ..

©shalini jha भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...

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"अधूरापन ही खींचता है अपनी ओर
पूर्ण हो जाने के लिए..." अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
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