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Ravi Sharma
आंखों में छिपे जाम किसी काम के नहीं राधा बिना तो श्याम किसी दाम के नहीं ।। होती रहे बागों में बहारों कि परवरिश । फूलों बिना गुलदान किसी काम के नहीं ।। होता है बाजारों में तिजारत का सिलसिला। मुनाफे के बिना दाम किसी काम के नहीं ।। वेदों में पुराणों में उपनिषदों में ही रहे । सर्वस्व ज्ञान , बिन राम, किसी काम के नहीं।। होता रहे छुप के इश्क़ ,पींग प्यार कि बढ़े । पर यार के बिन आराम किसी काम के नहीं । आंखों से पीया है नशा और नशे काम के नहीं। मयखाने में साकी तेरे ये जाम किसी काम के नहीं।। आकाश में घिर घिर के घुमड़ती है बदलियां पानी बिना ये तामझाम , किसी काम के नहीं।। चारों ही धाम घूम लिए , चार वेद भी पढ़े। पूजे नहीं मां बाप तो सब काम, किसी काम के नहीं।। लिखते रहे छंद , शेर हमने भी गढ़े मीटर बिना ये काम , किसी काम के नहीं ।। ©Ravi Sharma आंखों में छिपे जाम किसी काम के नहीं राधा बिना तो श्याम किसी दाम के नहीं ।। होती रहे बागों में बहारों कि परवरिश । फूलों बिना गुलदान किसी का
Jeet Jangir
अगर मैं रावण होता तो caption me Padhiye *मैं ही राम, मैं ही रावण* हां रावण हूं मैं रावण हूं, धर्मशास्त्र का परमज्ञाता, शिव उपासक ब्राह्मण हूं, हां रावण हूं मैं रावण हूं। कुटिल नह
Vikas Sharma Shivaaya'
गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। इस मंत्र का अर्थ होता है कि 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें। गायत्री मंत्र का दूसरा नाम 'तारक मन्त्र' भी है , तारक अर्थात् तैराकर🏊 पार निकाल देने वाली शक्ति... मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था, इसके बाद ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या देवी गायत्री की कृपा से अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में की- प्रारंभ में गायत्री मंत्र सिर्फ देवताओं के लिए ही था। गायत्री मंत्र : 24 अक्षरों की 24 शक्तियां, 24 सिद्धियां, 24 देवता:- तत्: देवता -गणेश, सफलता शक्ति। ... स: देवता-नरसिंह, पराक्रम शक्ति। ... वि: देवता-विष्णु, पालन शक्ति। ... तु: देवता-शिव, कल्याण शक्ति। ... व: देवता-श्रीकृष्ण, योग शक्ति। ... रे: देवता- राधा, प्रेम शक्ति। ... णि: देवता- लक्ष्मी, धन शक्ति। ... यं: देवता- अग्नि, तेज शक्ति। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 244 से 254 नाम 244 जह्नुः अज्ञानियों को त्यागते और भक्तो को परमपद पर ले जाने वाले 245 नारायणः नर से उत्पन्न हुए तत्व नार हैं जो भगवान् के अयन (घर) थे 246 नरः नयन कर्ता है इसलिए सनातन परमात्मा नर कहलाता है 247 असंख्येयः जिनमे संख्या अर्थात नाम रूप भेदादि नहीं हो 248 अप्रमेयात्मा जिनका आत्मा अर्थात स्वरुप अप्रमेय है 249 विशिष्टः जो सबसे अतिशय (बढे चढ़े) हैं 250 शिष्टकृत् जो शासन करते हैं 251 शुचिः जो मलहीन है 252 सिद्धार्थः जिनका अर्थ सिद्ध हो 253 सिद्धसंकल्पः जिनका संकल्प सिद्ध हो 254 सिद्धिदः कर्ताओं को अधिकारानुसार फल देने वाले 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है।
आयुष पंचोली
सनातन धर्म की देन "ग्रंथ" जिनमे छुपा हैं, ब्रह्मांड का हर राज। 4 वेद, 4 उपवेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण, 108 उपनिषद, 2 महाकाव्य, और 1 भगवद् वाणी का संकलन श्रीमद भगवद् गीता..!!!
Gumnam Shayar Mahboob
Lajawab 2 Q1-न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य् नाम महद्यस:(यजुर्वेद अधयाय32,मंत्र 3) अर्थात- उस ईश्वर की कोई मूर्ति या प्रतिमा नही जिसका महान यश है चार वेदों
Jaydeep Yadav
कृपया पुरा पढें 🕯🕯 #अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है। 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ; कोटि = प्रकार । देवभाषा संस्कृत में
netrapal bharat
" चार वेद " 1. ऋग्वेद 2.यजुर्वेद 3.सामवेद 4. अथर्ववेद ©netrapal bharat वेद
'मनु' poetry -ek-khayaal
वेद के पहले न सत्य था न असत्य, प्रथम वेद में देवता भी उन्हें माना गया जो दृश्यमान प्राकृतिक शक्ति उर्जा स्त्रोत एवम तत्व थे, प्रथम वेद स्तुति संग्रह है, मानव बुद्धि के विकास के साथ साथ समाज और ईश्वर की धारणा को बल दिया गया। 'मनु' वेद