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Parasram Arora

ख़ुशी की मांग और पूर्ती

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ख़ुशी  पाने की होड़  लगी हैँ 
एक   प्रतियोगिता   चल  रही हैँ  कि 
कौन सबसे  ज्यादा  खुश हैँ?  
कौन  सबसे  ज्यादा  तनाव मुक्त हैँ ?  
खुश होना  आज का  फैशन   और  देखो कितना ये  प्रचलन मे हैँ?  
कितनी  बड़ी  मांग  हैँ इसकी बाजार मे.. तभी तो  हर गली मोहल्ले मे  वक्ता   लेखक  कवि  गुरु 
अभिनेता   और  विदूषक 
यही  तो  कार्य  कर  रहे  हैँ  ! 
जिनकी  अपनी  ख़ुशी  और  मानसिकता 
संधिग्द्ता  क़े   कटघरे मे हैँ ! ख़ुशी  की  मांग  और  पूर्ती

निशांत आर्य

ये सब का अनुभव है की इक्छा की पूर्ति के लिए व्यक्ति अनेक प्रकार के कार्य को करता है उस पूर्ती का नाम ही सुख है । #Quotes

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व्यक्ति कुछ भी करता है उसका कारण एक ही होता है,वह कारण है सुख की प्राप्ति ।
समस्त मानव इसकी प्राप्ति मे ही लगा हुआ है। ये सब का अनुभव है की इक्छा की पूर्ति के लिए  व्यक्ति अनेक प्रकार के कार्य को करता है  उस पूर्ती का नाम ही सुख है ।

Shravan Goud

यादें हमेशा रहेंगी पर कमी भी खलेंगी, समय कितना भी क्यों न बीत जाय पर इंसान के क्षति की पूर्ती दुसरा इंसान नही कर सकता। I miss you 🌹🌹

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यादें हमेशा रहेंगी पर कमी भी खलेंगी,
समय कितना भी क्यों न बीत जाय पर
इंसान के क्षति की पूर्ती दुसरा इंसान नही
कर सकता। 
I miss you 🌹🌹 यादें हमेशा रहेंगी पर कमी भी खलेंगी,
समय कितना भी क्यों न बीत जाय पर
इंसान के क्षति की पूर्ती दुसरा इंसान नही
कर सकता। 
I miss you 🌹🌹

sandy

आपल्या भावनानां व्यकत करण्यापेक्षा , आपल्यांच्या भावनानां समजण महत्त्वाच असत, कारण, भावनानां व्यकत करणारे नेहमी आठवत असले तरी, भावनानां समज #Quote #nojotophoto

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 आपल्या भावनानां व्यकत करण्यापेक्षा , आपल्यांच्या भावनानां समजण महत्त्वाच असत,
 कारण, भावनानां व्यकत करणारे नेहमी आठवत असले तरी, भावनानां समज

yogesh atmaram ambawale

नमस्कार मित्रहो, आजचा विषय आहे... स्वप्नांच्या पूर्तीसाठी तर उचला लेखणी अन लिहा भरभरून. या विषयावर आपल्या मनातलं लिहा..लिहिल्यावर कमेंट #YourQuoteAndMine #yqquotes #yqmarathi #yqtaai #yqkavyanand #yqस्वप्नांच्या

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अनंत इच्छा आकांक्षा असतात जिथे,
स्वप्ननगरी वसलेली असते तिथे.
स्वप्नं नगरीत त्या कैक स्वप्ने अपूर्ण असतात
पूर्ण करण्या त्या खूप प्रयत्ने करावे लागतात.
साध्य नाही होत सहजासहजी स्वप्नपूर्ती,
चंग बांधावा लागतो मनाशी,तेव्हाच होते स्वप्नपूर्ती.
स्वप्ने सत्यात त्यांचीच उतरतात,तेच खरे यशस्वी होतात.
प्रत्येक अडचणीला जे सामोरे जायला तयार असतात.
खडतर जीवन प्रवास,अनेक संकटे आडवी असतात,
स्वप्नांच्या पूर्तीसाठी ते सारे दिव्य पार पाडावे लागतात. 
नमस्कार मित्रहो,

आजचा विषय आहे... स्वप्नांच्या पूर्तीसाठी 

तर उचला लेखणी अन लिहा भरभरून.  या विषयावर आपल्या मनातलं लिहा..लिहिल्यावर कमेंट

Gayatri Modhave

शिवबाची थोरवी गावी तेवढी कमी ये, शिवबा महाराष्ट्रची आन , बान, शान, अभिमान ये. शूर्ता, धैर्य, चातुर्य, गणीमे कावे,जनतेचे प्रतिनिधीत्व, सर्व #Mythology

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शिवबाची थोरवी गावी तेवढी कमी ये,
शिवबा महाराष्ट्रची आन , बान, शान, अभिमान ये.
शूर्ता, धैर्य, चातुर्य, गणीमे कावे,जनतेचे प्रतिनिधीत्व, 
सर्व आजवर त्यांच्या मावळ्यांच्या मनात रुजु आहे .
कील्यांची पूर्ती , त्यातील आंतोणात इतिहास
आजही डोळ्यासमोर लखं झळकतो.
महाराजांची कऱ्यशयलीची स्तुती करावी तेवढी कमी ये..
असा राजा पुन्हा होने नाही...!

जय भवानी जय शिवाजी 🚩

©Gayatri Modhave शिवबाची थोरवी गावी तेवढी कमी ये,
शिवबा महाराष्ट्रची आन , बान, शान, अभिमान ये.
शूर्ता, धैर्य, चातुर्य, गणीमे कावे,जनतेचे प्रतिनिधीत्व, 
सर्व

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

#MereKhayaal ।। सत्य वचन।। हिन्दू संयुक्त परिवार जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं जिस परिबार मे तीन या अधिक पीढ़ियों क #ज़िन्दगी

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।। सत्य वचन।।
हिन्दू संयुक्त परिवार जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं जिस परिबार मे तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य साथ साथ निबास करते है जिनकी रसोई , पूजा पाठ एबं संपत्ति सामूहिक होती है उसे ही सयुंक्त परिबार कहते है
संयुक्त परिवार के लाभ	
मनुष्य को अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता हुयी , इसी आवश्यकता की पूर्ती के लिए समाज की प्रथम इकाई के रूप में परिवार का उदय हुआ .क्योंकि बिना परिवार के समाज की रचना के बारे में सोच पाना असंभव था .समुचित विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक ,शारीरिक ,मानसिक सुरक्षा का वातावरण का होना नितांत आवश्यक है .परिवार में रहते हुए परिजनों के कार्यों का वितरण आसान हो जाता है .साथ ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण एवं स्वास्थ्य पालन पोषण द्वारा मानव का भविष्य भी सुरक्षित होता है उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है .परिवार में रहते हुए ही भावी पीढ़ी को उचित मार्ग निर्देशन देकर जीवन स्नाग्राम के लिए तैयार किया जा सकता है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य	
परिवार के प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी परिजन मिलजुल कर निभते हैं .अतः किसी भी सदस्य की स्वास्थ्य समस्या ,सुरक्षा अमास्या ,आर्थिक समस्या पूरे परिवार की होती है .कोई भी अनापेक्षित रूप से आयी परेशानी सहजता से सुलझा ली जाती है .जैसे यदि कोई गंभीर बीमारी से जूझता है तो भी परिवार के सब सदस्य अपने सहयोग से उसको बीमारी से निजात दिलाने में मदद करते है उसे कोई आर्थिक समस्य या रोजगार की संसय अड़े नहीं आती .ऐसे ही गाँव में या मोहल्ले में किसी को उनसे पंगा लेने की हिम्मत नहीं होती संगठित होने के कारण पूर्ताया सुरक्षा मिलती है .व्यक्ति हर प्रकार के तनाव से मुक्त रहता है।
विभिन्न कार्यों का विभाजन
परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण कार्यों का विभाजन आसान हो जाता है .प्रत्येक सदस्य के हिस्से में आने वाले कार्य को वह अधिक क्षमता से कर पता है .और विभिन्न अन्य जिम्मेदारियों से भी मुक्त रहता है .अतः तनाव मुक्त हो कर कार्य करने में अधिक ख़ुशी मिलती है .उसकी कार्य क्षमता अधिक होने से कारोबार अधिक उन्नत होता है .परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ती अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है और जीवन उल्लास पूर्ण व्यतीत होता है।
भावी पीढ़ी का समुचित विकास	
संयुक्त परिवार में बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास का अवसर प्राप्त होता है .बच्चे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का अधिक ध्यान रखा जा सकता है .उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने का मौका मिलता है .माता पिता के साथ साथ अन्य परिजनों विशेष तौर पर दादा ,दादी का प्यार भी मिलता है .जबकि एकाकी परिवार में कभी कभी तो माता पिता का प्यार भी कम ही मिल पता है यदि दोनों ही कामकाजी हैं .दादा ,दादी से प्यार के साथ ज्ञान ,अनुभव बहर्पूर मिलता है .उनके साथ खेलने , समय बिताने से मनोरंजन भी होता है उन्हें संस्कारवान बनाना ,चरित्रवान बनाना ,एवं हिर्ष्ट पुष्ट बनाने में अनेक परिजनों का सहयोग प्राप्त होता है .एकाकी परिवार में संभव नहीं हो पाता।
संयुक्त परिवार में रहकर कुल व्यय कम	
बाजार का नियम है की यदि कोई वस्तु अधिक परिमाण में खरीदी जाती है तो उसके लिए कम कीमत चुकानी पड़ती है .अर्थात संयुक्त रहने के कारण कोई भी वस्तु अपेक्षाकृत अधिक मात्र में खरीदनी होती है अतः बड़ी मात्र में वस्तुओं को खरीदना सस्ता पड़ता है .दूसरी बात अलग अलग रहने से अनेक वस्तुएं अलग अलग खरीदनी पड़ती है जबकि संयुक्त रहने पर कम वस्तु लेकर काम चल जाता है .उदाहरण के तौर पर एक परिवार तीन एकल परिवारों के रूप में रहता है उन्हें तीन मकान ,तीन कार या तीन स्कूटर ,तीन टेलीविजन ,और तीन फ्रिज ,इत्यादि प्रत्येक वस्तु अलग अलग खरीदनी होगी .परन्तु वे यदि एक साथ रहते हैं उन्हें कम मात्र में वस्तुएं खरीद कर धन की बचत की जा सकती है .जैसे तीन स्कूटर के स्थान पर एक कार ,एक स्कूटर से काम चल सकता है ,तीन फ्रिज के स्थान पर एक बड़ा फ्रिज और एक A.C लिया जा सकता है इसी प्रकार तीन मकानों के साथ पर एक पूर्णतया सुसज्जित बड़ा सा बंग्ला लिया जा सकता है .तेलीफोन,बिजली ,काबले के अलग अलग खर्च के स्थान पर बचे धन से कार व A.C. मेंटेनेंस का खर्च निकल सकता है। इस प्रकार से उतने ही बजट में अधिक उच्च जीवन शैली के साथ जीवन यापन किया जा सकता है।
भावनात्मक सहयोग	
किसी विपत्ति के समय ,परिवार के किसी सदस्य के गंभीर रूप से बीमार होने पर ,पूरे परिवार के सहयोग से आसानी से पार पाया जा सकता है .जीवन के सभी कष्ट सब के सहयोग से बिना किसी को विचलित किये दूर हो जाते हैं .कभी भी आर्थिक समस्या या रोजगार चले जाने की समस्या उत्पन्न नहीं होती क्योंकि एक सदस्य की अनुपस्थिति में अन्य परिजन कारोबार को देख लेते हैं।
चरित्र निर्माण में सहयोग	
संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के आचार व्यव्हार पर निरंतर निगरानी बनाय रखते हैं ,किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है .अर्थात प्रत्येक सदस्य चरित्रवान बना रहता है .किसी समस्या के समय सभी परिजन उसका साथ देते हैं और सामूहिक दबाव भी पड़ता है कोई भी सदस्य असामाजिक कार्य नहीं कर पता ,बुजुर्गों के भय के कारण शराब जुआ या अन्य कोई नशा जैसी बुराइयों से बचा रहता है और आपको यह भी बतादूँ की कुछ भी हो हर बड़े ओर छोटे का पूरा प्यार और दुलार मिलता हैं।
डॉ कृष्ण मोहन जी

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust #MereKhayaal ।। सत्य वचन।।
हिन्दू संयुक्त परिवार जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं जिस परिबार मे तीन या अधिक पीढ़ियों क

Vikas Sharma Shivaaya'

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ईश्वर एवं समय जब देने पर आते हैं तो छप्पर फाड़ के देते हैं और जब लेने पर आते हैं तो थप्पड़ #समाज

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📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ईश्वर एवं समय जब देने पर आते हैं तो छप्पर फाड़ के देते हैं और जब लेने पर आते हैं तो थप्पड़ मार के लेते हैं की कब आपके पैरों टेल जमीन खिसक जाये पता ही नहीं चलता ...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दोहरे चरित्र वाले व्यक्तियों के साथ से बेहतर है की अकेले रहें ...ये वो आस्तीन के सांप हैं की कब डस लें ...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अक्सर प्राइवेट नौकरी में नियोक्ता अपने कर्मचारियों को उनकी योग्यता के आधार पर तनख्वाह नहीं देते लेकिन वो इस बात को नहीं समझते की इंसान अपनी जरूरतों की पूर्ती के लिए फिर गलियां ढूंढ़ता है या तो साथ में कुछ और करता है -चोरी -कमीशनबाजी करता है ,और नियोक्ता कुछ हद तक ये जानते भी हैं पर शायद उनको लगता है की ये डायरेक्ट उनकी लायबिलिटी नहीं है पर इसके आगामी दुष्परिणामों को वो नहीं समझते ,या कोई ईमानदार व्यक्ति ज्यादा समय तक सही प्लेटफार्म के नहीं मिलने तक ही इनसे जुड़ा रहता है...

आखिर में एक ही बात समझ आई की जहाज पानी में चौतरफा डूबा रहता है पर डूबता नहीं है ,डूबने की स्तिथि में तब आता है जब कहीं किसी छिद्र से पानी जहाज के अंदर प्रवेश करने लग जाये ,हमारे चारों तरफ जो नकारात्मकता का माहौल है उससे प्रभावित नहीं होते हुए ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक बने रहे गर नकारात्मकता ने एक छेद बना कर भी आपके अंदर प्रवेश कर लिया तो फिर आपका डूबना तय है ...!

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक 
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ईश्वर एवं समय जब देने पर आते हैं तो छप्पर फाड़ के देते हैं और जब लेने पर आते हैं तो थप्पड़

Writer1

1.कोविड-19 के हालात तेज़ी से बिगड़ रहे। आखि़र जिम्मेदार ‌कौन? मुश्किल हालात से आख़िर देश कब उबर कर आएगा? मरने वाले लोगों के शवों की कुव्यवस #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जश्न_ए_इश्क़ #मौजूदाहालात

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मौजूदा हालात  (चिंतन का विषय)
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कोई ना जाने पीड़ पराई, खुद बिसरे तो समझ में आई,
मौजूदा हालात की क्या बात कहे,आसानी से कहांँ समझ में आई।

अनुशीर्षक में पढ़ें 
(आंखों देखा हाल) 
1.कोविड-19 के हालात तेज़ी से बिगड़ रहे।
आखि़र जिम्मेदार ‌कौन?
मुश्किल हालात से आख़िर देश कब उबर कर आएगा?
मरने वाले लोगों के शवों की कुव्यवस

sandy

#सांगा कसं #जगायचं ? कण्हत कण्हत की गाणं म्हणत ? तुम्हीच ठरवा.. डोळे भरून तुमची आठवण कुणी तरी काढतच ना! उन उन दोन घास तुमच्यासाठी वाढत #story #nojotophoto

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 #सांगा कसं #जगायचं ? 

कण्हत कण्हत की  गाणं म्हणत ? 
तुम्हीच ठरवा..

डोळे भरून तुमची आठवण कुणी तरी काढतच ना! 
उन उन दोन घास तुमच्यासाठी वाढत
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