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SK Singhania
फ़कीर बन कर तुम उनके दर पर हजार धुनी रामा के बैठो.! जबीं के लिखे को क्या करोगे जबीं का लिखा मिटा के देखो.! #Skg ©SK Singhania #City फ़कीर बन कर तुम उनके दर पर हजार धुनी रामा के बैठो.! जबीं के लिखे को क्या करोगे जबीं का लिखा मिटा के देखो.! #SKG
Shree
शब्दों की धनी प्रेम की धुनी हर रुप गुणी ज्यों साझात मां सरस्वती। भली भोली मिश्री सी मीठी सरल सलोनी आंखों में भरे ज़माने की कहानी। कभी सहेली कभी पहेली कभी लगीं अकेली कभी भीड़ में बेबाक गुनगुनाती। वक्त के परे आप हो रुपाली, फूलों लदी डाली चमकती निगाहें जी, मुस्कान जग हारी। अनंत प्रेम के साथ ❣️ शब्दों की धनी प्रेम की धुनी हर रुप गुणी ज्यों साझात मां सरस्वती।
Vandana
सुप्रभात,, ऐ सुबह तू मेरी सांसो में महक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझ में चहक रही है,,, ऐ सुबह तू मुझे आंखों से आकर्षित कर रही है,,,, बादलों से भरे आसमां मे
Poetry with Avdhesh Kanojia
अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर होने वाले... कष्ट जैसा ही है, किसी अपने को खोना। फिर भी सांसारिक कार्यो में मन को रमाना.. पर अंतर्मन में निर्वात की स्तिथि का उत्पन्न होना... यदि चित्त में विषाद और सुख की स्तिथि... समभाव में हो तो कदाचित... यही है अल्पावधि के वैराग्य की स्थिति। #coronavirus #covid19 #poetry #poem #poemtime #life #lifequotes अल्पावधि का वैराग्य ---------------------- शरीर के किसी अंग के कट जाने पर
somnath gawade
वारंवार उणी-धुनी काढणाऱ्यांना धुनी-भांडयाच्या कामाला लावले पाहिजे. #उणी-धुनी
Anamika Nautiyal
चाँद की बातें... सुनो चाँद तुम खुद पर इतना क्यों इतराते हो ? किस कहानी का नायक तुम खुद को बताते हो? क्या रहस्य है चेहरे पर सजी हुई मुस्कान का? जा
Neeraj Neer
इल्ज़ाम मिरे ही सर आना है उसने तो यार मुकर जाना है दिल की चोट सहेंगे हम लड़के हमने तो पत्थर भी खाना है . -नीरज नीर Ghazal in Caption... ©Neeraj Neer इल्ज़ाम मिरे ही सर आना है उसने तो यार मुकर जाना है दिल की चोट सहेंगे हम लड़के हमने तो पत्थर भी खाना है तुम यार ज़मापूंजी थे मेरे जैसे भी ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, स्वेत रंग है अम्बर पे शीत का मौसम लाया है, लगन लगी है अंगारो की धुनी जैसे माया है धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, महेन्द्र सिंह चौहान ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धूप कहीं नही छाया है माह दिसम्बर आया है, स्वेत रंग है अम्बर पे शीत का मौसम लाया है, लगन लगी है अंगारो की धुनी जैसे माया है धूप कहीं नही छाय
nidhi jain
कुछ ही देर में मां और मां से जुड़ी बातें करेंगे सभी...... मेरे पास भी है। मां ओर मां से जुड़ी यादें यादें जों कभी हंसा देती है ओर कभी,,,,,,,। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ लोग कहते है मै बोलती बहुत अच्छा हू। हा तो मां जब बोलती थी ना,,, मै देखती थी उनके हाव भाव ..... उनका बोलना..... वो मिठास....... की बोलो तो बस घुल जाओ कानों में। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ कहते है मै अच्छा लिखती हूं। हा तो मै ,,,,,,देखती थी मां को ,,,अपनी प्राण प्रिय एक साधारण सी डायरी के साथ अक्सर दुख में भी भिगोते हुए । उसे सुख में भी भिगोते हुए। पर आज वो धरोहर हैं हमारी ओर मै भी चाहती थी ,,,,मां सी लेखनी लिखूं। अपने भाव को कागज पर उकेरना आ जाए बस। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ कहते है महफ़िल में छा जाती हो निधि हा , ,क्युकी ये भी मैंने बचपन से देखा दया जी छा जाती थी जिस जगह जाती थी। हंसी ठिठोली एक उन्मुक्त स्वछंद पंछी के जैसे चेहचहाति थी वो ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ सब सुविधाओ के होते हुए आत्म निर्भर थी मेरी मां अपने कोशल से हर दिल अजीज मुझे भी ज्यादा ना सही पर मां जैसा बन ना था ये तय था। मै फक्र से कहती हूं आज भी हां मै अपनी मा जैसे हूं मुझे बनना है उन जैसा ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ सीधा ,,,,,सच्चा ,,,,,,सरल,,,,, मनमोहक ,,,,,जुझारू ,,,,,धुनी ,,,,,,साहसी,,,,, वक्ता .... कवियत्री,,,,,आत्मनिर्भर,,,,,ओर ममतामय मुझे बन ना है तुम सा मां आज , mother's day है ओर इस से अच्छा क्या कहूं मै आप जैसे हूं आप मुझ में जी रही हो आज भी ओर हमेशा रहोगी हमारे बीच ।। हर साल mother day मानने को मुझे बताने को निधि मै आज भी तुझ में हूं कभी निराश मत होना कहीं साहस मत छोड़ ना क्युकी दया जी की बेटी है निधि Happy mother's day mummy ©nidhi jain कुछ ही देर में मां और मां से जुड़ी बातें करेंगे सभी...... मेरे पास भी है। मां ओर मां से जुड़ी यादें यादें जों कभी हंसा देती है ओर कभी,,,,,,,