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Krishnan
ज़िन्दगी एक पहली है कभी कभी कुछ समझ में आता ही नहीं और जब मुझे इश्क़ हुआ एक और बात का एहसास हुआ कि सिर्फ ज़िन्दगी ही नहीं जिसे समझना मुश्किल है! ©Krishnan #umeedein #Zindagi #paheli #ज़िन्दगी #पहेली #ishq #इश्क़ #Chahat #चाहता #Shayari
सुशांत राजभर
केला ना जाति, धर्म, मज़हब mein मैं करता हूं koi भेद फ़िर भी मैं अकेला हूँ बच्चों, बड़ों सबका पसंदीदा हूँ फ़िर भी मैं अकेला हूँ मैं ना करता लिंग भेद फ़िर भी मैं अकेला हूँ हर सीजन में बिकता हूँ फिर भी तन्हा रहता हूँ रहता हूँ फौजों के बीच मगर फिर भी मैं अकेला हूँ बिकता हूं दर्जन के भाव मगर फ़िर भी मैं अकेला हूँ स्वाद मेरा लाजवाब है खाने में स्वादिष्ट हूँ खाने वालों को मैं रखता हृष्ट-पुष्ट हूँ फिर बोलो फलों का राजा आम हुआ कैसे? मैं ही फलों का राजा हूँ ! सुबह में खाओ या खाओ शाम मैं रहता हरदम Taro ताजा हूँ दो शब्दों का नाम है मेरा फ़िर भी मैं अकेला हूँ सब फल मुझ बिन अधूरे हैं मगर फ़िर भी मैं अकेला हूँ ज्यादा ना पहेली बुझाऊंगा मैं अब अपना नाम बताऊंगा आपकी जुबान पर नाम है मेरा बताओ मैं हूं कौन ? हां हां भाई मैं केला हूँ हां हां भाई मैं केला हूँ ©सुशांत राजभर #केला ना जाति, धर्म, मज़हब mein मैं करता हूं koi भेद फ़िर भी मैं अकेला हूँ बच्चों, बड़ों सबका पसंदीदा हूँ फ़िर भी मैं अकेला हूँ मैं ना
Sitanshu maurya
"रास्तों की खामोशियों में छुपी है एक अलग कहानी, चांदनी रात भी लगती है एक अलग पहेली। जिंदगी के रंग,जैसे अनकहे अफसाने, जब शहर में मिलते है, लगते है सब नए।" :) ©Sitanshu maurya "रास्तों की खामोशियों में छुपी है एक अलग कहानी, चांदनी रात भी लगती है एक अलग पहेली। जिंदगी के रंग,जैसे अनकहे अफसाने, जब शहर में मिलते है,
नागेंद्र किशोर सिंह
जीवन एक ऐसी पहेली है जिसे इन्सान अपने हिसाब से समझता है लेकिन सही अर्थ में वो समझ से परे होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह # अनबुझ पहेली# मेरी कलम से #
Manojkumar Srivastava
ज़िन्दगी है एक जटिल पहेली! इसको सुलझा नहीं सके तो फिर जीना बेमानी हो जाता है! ©Manojkumar Srivastava #ज़िन्दगी है एक पहेली#
Anjali Singhal
Devesh Dixit
तन्हा सफर तन्हा सफर ये कटे कैसे, कोई तो साथी चाहिए। काम बहुत किया है मैंने, अब हमसफ़र चाहिए। जिंदगी के इस पड़ाव में, कोई तो ऐसी चाहिए। जो दुख दर्द मेरे बाँट सके, ऐसी ही राही चाहिए। कुछ पल खुशी के बाँट सकें, एक हमजोली चाहिए। जिंदगी बन गई अब पहेली, सुलझाने वाली चाहिए। तिनका तिनका बिखर रहा हूँ, समेटने वाली चाहिए। जिंदगी को अब संभालूँ कैसे, संभालने वाली चाहिए। तन्हा सफर ये कटे कैसे, कोई तो साथी चाहिए। काम बहुत किया है मैंने, अब हमसफ़र चाहिए। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #तन्हा_सफर #nojotohindi तन्हा सफर तन्हा सफर ये कटे कैसे, कोई तो साथी चाहिए। काम बहुत किया है मैंने, अब हमसफ़र चाहिए।
Anjali Singhal