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कवि सन्दीप जगन
बिन लड़े हथियार ही तुम डालकर मत लौटना बढ़ गए मंजिल पे हो तो हारकर मत लौटना लौटना पड़ जाए भी तो सब गँवा देना मगर तुम कभी भी हौंसले को मारकर मत लौटना संदीप 'जगन' संदीप जगन
संदीप जगन #अनुभव
read moreMahesh Gupta
देख लो साधना के स्वर मोहिनी, मेरी दुनिया सदा से तुम्हारे लिए, एक सागर नयन में समाये हुए , मेरी नदियाँ सदा से तुम्हारे लिए, मोहिनी
मोहिनी
read moreAshvani Kumar
नैनन को मीच मीच, नैन कोर खींच खींच, मोती कजरारी कारी धार करे मोहिनी! मुस्काए मंद मंद मन में ही मीत संग, मीठी मीठी मौन मौन मनुहार करे मोहिनी ! देख हाल चाल ढाल आइनो करे कमाल, जाने कौन बात पे विचार करे मोहिनी ! बिसरानी सुध-बुध खोई खड़ी ऐसन कि , करके श्रृंगार बार बार करे मोहिनी ! छटा-छवि-छप भर नजर निहार ले तो, जल भी जलाए के अंगार करे मोहिनी! बात बिना बात के जो बिगडे तो मन से ही, झूँठी मीठी तीखी तकरार करे मोहिनी! मगन हो मोहन पे मोहन को मोहने के, बांसिया तो जतन बेकार करे मोहिनी ! जाने न निराली नैनोंवाली मतवाली ये कि, मोहन तो तुझसे ही प्यार करे मोहिनी ! ©Ashvani Kumar मोहिनी
मोहिनी #Love
read moreDr Supreet Singh
रोक नहीं पाओगे ख़ुद को डूबने से इन आंखों में डूब गए तो बाहर ना आना चाहोगे प्यारे अल्फ़ाज़ो के जल में जो घुल जायेंगें ऐसे की बस समाते जाओगे उस चासनी में, उस मीठे से प्यार में समेट लेगी कशिश तुमको ऐसे की बस लगन लगेगी मोहब्बत की ऐसी ना कभी दूर हो पाओगे सोचोगे तब भी अपना दिल समझा ना पाओगे ©Dr Supreet Singh #मोहिनी
Anshuman pandey
हम नीलाम हुए घर को ठिकाना नहीं बनाते साफ-साफ कहते हैं बहाना नहीं बनाते और बिजलियां जहां गिरकर शर्मसार होती हैं हम ऐसे खंडरों को निशाना नहीं बनाते # भुवन मोहिनी#
# भुवन मोहिनी#
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
नन्हा हूँ आज कल बहुत विशाल बनूगा दुनिया के लिए मैं भी बेमिशाल बनुगा मुझको कोई ज़मी मे लगाकर के सींच दे थोड़ी सी जगह अपने अंजुमन के बीच दे उसके मुसीबतों के लिए काल बनूगा रक्षक बनेंगी सबके लिए ये मेरी साँसे हरदम रहूँगा सबको फल फूल लुटाते हरदम मैं उसकी जिंदगी का ढाल बनूगा संकल्प लिया हमने भी परोपकार का कीमत दिया प्राण दे सबके उधार का सबके लिए संजीवनी हर हाल बनूगा ©Sunil Kumar Maurya Bekhud पौधा
पौधा #कविता
read moreSHANU KI सरगम
32/ नन्हा पौधा ये बड़ा हुआ , जिसको बचपन में रोपा था। निर्जीव नहीं हां जीव समझ, मन प्रीत लिए नित सींचा था। पुलकित इसको छू मन मेरा कहता तुम जीवन दाता हो, वो श्वास श्वास को तरस गये, जिस जिस ने इनको काटा था। संगीता शर्मा शानू ©SHANU KI सरगम पौधा
पौधा #शायरी
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