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Sanket Rastogi
: किसी भी प्रकार की चिंता करना, मन को अशांत रखना और व्यर्थ के भय को पालते रहने से मृत्यु आसपास ही मंडराने लगती है। मौत तो सभी को आनी है फिर चिंता किस बात की। कोई पहले मरेगा और कोई बाद में। चिंता का मुख्य कारण मोह है। जेलखान, दावाखाना या पागलखाना वह व्यक्ति जाता है जिसने धर्मसम्मत या संयमित जीवन नहीं जिया। बहुत महात्वाकांशी है या जिसने धन और शक्ति के आधार पर रिश्ते बना रखे हैं या जिसे अपनी संपत्ति की सुरक्षा की चिंता है। चिंत्तामुक्त जीवन सबसे बड़ी दौलत है। भय से हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ©Sanket Rastogi चिंता, भय और अशांति है मृत्यु का द्वार #story
चिंता, भय और अशांति है मृत्यु का द्वार #story
read moreअदनासा-
आज का दौर जैसे दिल का दौरा फ़िल्मों और किताबों में अख़्लाक़ियात आन बान और शान की बातें करती है मगर जब रू-ब-रू होती है हक़ीक़त से वह लड़ते-लड़ते दम तोड़ चुकी होती है शब्दार्थ👇 अख़्लाक़ियात (फ़ारसी या अरबी) - नैतिकता (Morality) ©अदनासा- #हिंदी #अख़्लाक़ियात #नैतिकता #किताबों #फ़िल्म #हक़ीक़त #दम #Instagram #Facebook #अदनासा
KISHOR