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Pankaj Singh Chawla

चौमासा - उमस और चिप चिप भरी गर्मी वाला मौसम #मौसम #प्यार #सीने love #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16

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ये मौसम की खुमारी भी अजीब है,
चिपकना तुमसे चाहता है,
ये चौमासा चिप-चिपा कर जाता है,
पास आने को जी तो बहुत चाहता है,
घमोरियां जान ले जाता है,
कैसे लगाऊ तुझको सीने से,
ये मौसम भी कभी-कभी,
प्यार करने वालो के लिए मुसीबत बन जाता है।। चौमासा - उमस और चिप चिप भरी गर्मी वाला मौसम
#मौसम #प्यार #सीने #love
#yqbaba #yqdidi  #yqpowrimo #pchawla16

Anita Saini

अमीर की हवेली के, न्यारे ठाट..! गरीब की झोपड़ी में, टूटी खाट..! रूत हो गर्मी की या हो स्याला..! बरस से चौमासा या पड़े पाला..! हवेली की #Motivation #poem #yqbaba #yqdidi #thoughtsforlife #inpirationalquotes #poetryismylife

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 🌺Read In Caption 🌺

अमीर कौन और गरीब कौन...  अमीर की हवेली के, न्यारे ठाट..!
 गरीब की झोपड़ी में, टूटी खाट..!

रूत हो गर्मी की या  हो स्याला..!
बरस से चौमासा या पड़े पाला..!

हवेली की

रजनीश "स्वच्छंद"

समास।। मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ, एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ। मध्य पदों को छोड़ कर, मैं समस्त पद बना। पहले लगा जो पूर्वपद, अंत मे उत्तरपद जना। #Poetry #Quotes #Knowledge #kavita

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समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।
नकचढ़ी या हथकड़ी,
मैं हूँ शब्दों की लड़ी।
एक वाक्य को समा लिया,
किया लघु तेरी घड़ी।
तेरे मुख चढ़ा रहा,
मैं भक्तियों का लोप कर।
कभी बदल दूँ अर्थ तो,
न दुख मना न क्षोभ कर।
भेद मेरे जान ले,
सिमटता हूँ छः प्रकार में।
काव्य गीत लेख कथा,
गूंजता हूँ अलंकार में।
अव्यय जो आगे चल रहा,
अव्ययीभाव मुझको बोलते।
प्रथमपद प्रधान है,
जो वाणी-तुला ले तोलते।
प्रतिदिन, प्रतिपल,
यथाशीघ्र यथाशक्ति हो।
आमरण निर्विकार भी,
अनुरूप यथाभक्ति हो।
प्रधान हुआ जो दूसरा,
मैं तत्पुरुष बन जाता हूँ।
कारकों का लोप कर,
नवशब्द हो तन जाता हूँ।
तुलसीदासकृत धर्मग्रंथ,
राजपुत्र रचनाकार हूँ।
देशभक्ति राजकुमार,
मनुजहित गीतासार हूँ।
कर्मधारय मैं हुआ,
उत्तरपद ही प्रधान है।
विशेष्य संग विशेषण,
उपमेय संग उपमान है।
प्राणप्रिये चंद्रमुखी,
श्यामसुंदर नीलकमल।
अधमरा देहलता,
परमानन्द चरणकमल।
उत्तरपद और पूर्वपद का,
सामंजस्य खास है।
आगे अंक या पीछे अंक,
यही द्विगु समास है।
पंचतंत्र या नवग्रह,
ये त्रिलोक त्रिवेणी है।
चौमासा नवरात्र कहो,
ये पंचप्रमान अठन्नी है।
पद न कोई गौण हो पाए,
दोनों रहें प्रधान ही।
द्वंद्व समास कहायें ये,
रखते दोनों का ध्यान भी।
नर-नारी और पाप-पुण्य,
सुख-दुख ऊपर-नीचे है।
अपना-पराया देश-विदेश,
गुण-दोष आगे-पीछे है।
मैं छीनू परधानी सबकी,
पद मैं तीजा बनाता हूँ।
अपना मतलब रहूँ छुपाये,
बहुब्रीहि कहलाता हूँ।
वीणापाणि और दशानन,
लंबोदर पीताम्बर हूँ।
चक्रधर और गजानन,
मैं घनश्याम श्वेताम्बर हूँ।
मेरी बातों को गांठ बांध लो,
काम तेरे मैं आऊंगा।
ले रहा जो छोटा विराम अभी,
फिर आ मैं भरमाउंगा।

©रजनीश "स्वछंद" समास।।

मैं सार्थक संक्षिप्त हूँ,
एक अर्थ से मैं लिप्त हूँ।
मध्य पदों को छोड़ कर,
मैं समस्त पद बना।
पहले लगा जो पूर्वपद,
अंत मे उत्तरपद जना।

Priya Gour

जय श्री राम 😍💞 बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं, सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये, निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये #Ram #कविता #nojotowriters #NojotoWriter #14oct #NojotoRamleela

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बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं,
सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये,
निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये काज कर पाये,
बजरंग बली बना रुप विशाल सौ योजन पार किये जाये,
सूक्ष्म रूप धर लंका की पहरी का कर उदार,लंका में प्रवेश लिये,
लंका में सुन राम जाप विभीषण का परिचय भी पाये,
अब हनुमान अशोक वाटिका में पधारे जहाँ रावण दे उलाहने,
सूक्ष्म रूप में बैठ वृक्ष पर लंकेश की बात सुन नीर बहाये,
जानकी माँ से मिलकर राम प्रभु की सेनानी दिखाये,
किष्किंधा में है प्रभु पल पल आप ही उनको याद आये,
सिया कहे हे पुत्र कहना प्रभु जल्दी आइये देख रही में राहे,
आश्वासन दे माँ को वाटिका से फल खाने की इच्छा जताये,
अनुमति पा फिर वो फल खूब खाये और वृक्ष समूल उखाड़े,
लंकेश की सेना में हाहाकार की एक वानर को वश ना कर पाये,
रावण का प्रिय पुत्र भी प्राण खोया मेघनाद अब वाटिका जाये,
बजरंग बली को वश में करने ब्रह्मास्त्र का बाण चलाया,
मान रखने ब्रह्मास्त्र का पवन पुत्र हाथ जोड़ शीश झुकाया,
रावण के समस्त ले जाकर सब वानर कह उपहास उड़ाये,
मान रखने बंधा बंधन में कपि श्रेष्ठ मुस्करा कर उनका भ्रम हटाये,
सब सोचे आखिर इस राम दूत को क्या सजा दी जाये,
वानर को होती हैं अपनी पूंछ प्रिय लंकेश विचार कर बताये,
क्यों ना इस उद्दंडी वानर के पूछ में आग लगायी जाये,
महाबली मुस्कुराकर पूंछ बढा़ते जाये सारी लंका को आग लगाये,
सोने की लंका धू धू कर लपटों में जलती जाये,
सिया माँ से ले आशीर्वाद फिर लौट किष्किंधा आये,
मंदोतरी सोचे ये लंकेश क्या विपदा हैं लाये,
वानर नहीं साधारण भय से सबके हदय कांपे।

©Priya Gour जय श्री राम  😍💞
बीता अब चौमासा भी तैयार सब वानर सेनाएं,
सीता की सुधि लेने राम जी का संदेश सुनाने कौन जाये,
निश्चय हुआ पवन पुत्र हनुमान ही ये
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