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Lotus Mali
मेरा बचपन और मैं..... आज कुछ पन्नों को, समेटकर रख रही थी मैं, उसमें मुझे एक पन्ना तेरी यादों का मिला, उन्हें देखकर, हर पल, हर लम्हा फिर से ताजा हुआ, संभाल कर रखे हुए लम्हों को, उन पुरानी यादों को, कुछ इस कदर जिया मैंने, जैसे मानो तुम मेरे पास ही हो.... तुम्हें पता है, मैं अपनी यादों को समेट कर रखती थी, और सब यादें, आज भी मेरे दिल के करीब है, उन यादों को, कुछ इस कदर जिया मैंने, मानों सदियों बाद मैं खुद से ही मिली हूं मैं खुद से ही मिली हूं..... -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ शब्दार्थ: तेरी याद, तुम्हें - बचपन ©Lotus Mali मेरा बचपन और मैं..... आज कुछ पन्नों को, समेटकर रख रही थी मैं, उसमें मुझे एक पन्ना तेरी यादों का मिला, उन्हें देखकर, हर पल, हर लम्हा फिर से
अदनासा-
Prasad Shinde
Sainath Ghadi
अदनासा-
कुछ ज़्यादा फ़ायदे की ख़ातिर वो दिन-रात नफ़रत फैलाता है मैंने देखा है ख़ूबसूरती मुश्तहर बंदा फ़कत मुहब्बत जानता है ©अदनासा- शब्दार्थ "मुश्तहर", हार्दिक सौजन्य एवं आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳मुश्तहर के अर्थ https://rekhtadictionary.com/meaning-of-mushtahar?lang=hi Shared by Rek
Rani Ashish Thakur
सहन शक्ति की भी अपनी एक सीमा होती है,, रबर की तरह,, रबर को आवश्यकता से अधिक खिचने पर टूट जाता है,, उसी प्रकार से सहन शक्ति भी कुछ समय पश्चात टूट जाती हैं।। इसलिए स्वयं में झाँकना सिखिए।। स्वरचित (रानी आशिष ठाकुर ) ©Rani Ashish Thakur शब्दार्थ।।।
Shubham Dhage
Shubham Dhage
Shubham Dhotre
लोक रूप पाहतात,आम्ही हृदय पाहतो लोक स्वप्न पाहतात,आम्ही सत्य पाहतो फरक एवढाच आहे की लोक जगात मित्र पाहतात पण आम्ही मित्रामध्ये जग पाहतो. ©Shubham Dhotre #Friendship लोक रूप पाहतात,आम्ही हृदय पाहतो लोक स्वप्न पाहतात,आम्ही सत्य पाहतो फरक एवढाच आहे की लोक जगात मित्र पाहतात पण आम्ही मित्रामध्ये ज
AnuWrites@बेबाकबातें
हम थे मासूम से, दिल भी नादान था , लोग बातों में हमको उलझाने लगे । दुनियादारी से हमको सबक यूं मिला , अब तो गुलज़ार भी...समझ आने लगे । ढूंढते शब्दार्थ , हम तो शब्दकोश में , शब्द जंजाल बनकर सताते रहे । बात कोई कुछ करें , घूरते हम रहे , अब तो हम खुद भी बातें बनाने लगे । बैठकर रात भर , चांद तकते थे हम , लोग दिन में भी तारें दिखाते रहे । जब से समझे है हम , आसमानों के खेल , हम भी ग्रह और नक्षत्र बताने लगे । सबसे पहले पहुंचते थे , महफ़िल में हम , मेजबानों में हमको गिनाते रहे । फिर तजुर्बे से हमको सलाह यह मिली , अब तो महफ़िल में देरी से जाने लगे । रास्तों पर भी चलने से , डरते थे हम , चौक-चौराहे हमको भटकाते रहे । खोकर खुद को ही ढूंढा है इस भीड़ में , अब तो हम सबको रस्ते बताने लगे । ©Anu...Writes #selflove हम थे #मासूम से, दिल भी #नादान था , लोग बातों में हमको उलझाने लगे । #दुनियादारी से हमको सबक यूं मिला , अब तो गुलज़ार भी...समझ आन