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~Bhavi
बेस्ट फ्रेंडशिप ❤️ "जीवन के बगीचे में, सबसे अच्छी दोस्ती एक दुर्लभ और पोषित फूल के रूप में खिलती है, तूफानों के बीच खड़ी होती है और साझा यादों की गर्माहट को गले लगाती है। यह एक ऐसा बंधन है जो कोई सीमा नहीं जानता, एक अभयारण्य है जहां भेद्यता को सांत्वना और समझ मिलती है। एक की तरह सबसे अंधेरी रातों में प्रकाशस्तंभ, सबसे अच्छे दोस्त एक-दूसरे को खुशी के किनारे की ओर ले जाते हैं, तब भी जब जीवन के ज्वार कठिन लगते हैं। ©~Bhavi बेस्ट फ्रेंडशिप ❤️ "जीवन के बगीचे में, सबसे अच्छी दोस्ती एक दुर्लभ और पोषित फूल के रूप में खिलती है, तूफानों के बीच खड़ी होती है और साझा य
N S Yadav GoldMine
इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपोल हनुमानजी मंदिर :- 🌊 पांडुपोल का हनुमान मंदिर राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य के अंदर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। जिसमे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर अलवर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। मंदिर के परिसर लंगूर, मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35-फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है। पांडुपोल का इतिहास :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है, पौराणिक कथा के अनुसार भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया जिससे पहाड़ मे दरवाजा निकल गया और पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से स्थापित हो गया। एक अन्य कथा के अनुसार, पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था। पांडुपोल धाम का रहस्य :- 🌊 आपको बता दे की पांडुपोल वही रहस्यमयी स्थान जहा पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान अपने कुछ साल पांडुपोल में बिताए थे। जबकि एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया। पांडुपोल का मेला :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का मेला अलवर का एक लोकप्रिय मेला है जो हर साल भादौ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है। जहा बड़ी संख्या में दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश व अन्य जगहों से श्रद्धालु आते है। पांडुपोल हनुमान जी के दर्शन का समय :- 🌊 अगर आप पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दे की आप पांडुपोल हनुमान मंदिर घूमने जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर समय माना जाता है। पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने के लिए सर्दियाँ का समय आदर्श समय होता है क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत सुहावना होता है। पांपांडुपोल हनुमान मंदिर पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से शाम 10.00 बजे तक खुला रहता है। पांडुपोल भरतरी कैसे पंहुचा जाये :-🌊 दिल्ली से 165 किलोमीटर और जयपुर से 110 किलोमीटर दूर, स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर आप ट्रेन, सड़क या हवाई मार्ग से यात्रा करके पहुच सकतें हैं। फ्लाइट से पांडुपोल हनुमान मंदिर कैसे पहुचे :- 🌊 अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो बता दे की पांडुपोल हनुमान मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो पांडुपोल हनुमान मंदिर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। आप जयपुर तक किसी भी प्रमुख शहर से उड़ान भरकर पहुच सकते है, और फिर वहा से पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुंचने के लिए बस या एक टैक्सी किराए पर ले सकते है। सड़क मार्ग से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 राज्य के विभिन्न शहरों से अलवर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। चाहे दिन हो या रात इस रूट पर नियमित बसे उपलब्ध रहती हैं। जयपुर, जोधपुर आदि स्थानों से आप अलवर के लिए टैक्सी ,कैब किराए पर ले कर या अपनी कार से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर पहुच सकते हैं। ट्रेन से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है जहां के लिए भारत और राज्य के कई प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेन संचालित हैं। आप ट्रेन से यात्रा करके अलवर पहुच सकते है और वहा से बस से या टैक्सी किराये पर ले कर पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुच सकते हैं। ©N S Yadav GoldMine #snowfall इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपो
यशवंत कुमार
स्वार्थी मानव #yqquotes #yqnature #yqselfishpeople स्वार्थी मानव मानव बड़ा ही स्वार्थी है । उसने अपने फायदे के लिए ऐसे नियम और कानून बनाए हैं जो प्रकृति
कथा और व्यथा!
खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पहले , जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना । क्यों भाई आज ही ऐतिहासिक दिन था 70 सालों बाद चीतों की वापसी, पीएम साहब ने स्वयं छोड़ा था ? पालपुर रियासत के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण में बब्बर शेरों के दूसरे सुरक्षित घर के तौर पर बने कुनो पालपुर अभयारण के लिए दी थी। लेकिन अब कूनो पालपुर अभयारण्य में शेरों की जगह चीते बचाने का काम किया जा रहा है। कूनो को गुजरात के गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। वहीं कुँवर गोपाल देव ने आरोप लगाया कि सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 19 सितम्बर को ग्वालियर हाई कोर्ट में सुनवाई है। फोटो संकलन ©कथा या व्यथा! खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पहले , जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना । क्यों भाई आज ही ऐतिहासिक दिन था 70 स
PRATIK BHALA (pratik writes)
#RIPRohitSardana read caption for hindi 🙏🙏 continued from part 2 . ©PRATIK BHALA (pratik writes) Read caption you will definetly increase some knowledge. महाराष्ट्र दिन और गुजरात दिवस की बधाई. शब्दार्थ:- 1). शाहू- छत्रपति राजर्शी शाहू शि
sandy
❤️💛❤️💛❤️💛 राजकारण गेल चुलीत ! 💛❤️💛❤️💛❤️ आज दिन्याच काही खर नव्हत ! दिन्याची बायको नम्रता त्याच्यावर जाम भडकली होती . कारणही तसच होत . रोजचे
कवि मनीष
जानिए भारत के कुछ अद्भुत पर्यटन स्थलों के बारे में.. खज्जियार - भारत का मिनी स्विट्जरलैंड खजियार हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा पहाड़ी शहर