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Stories related to पोएम रैन रैन गो अवे

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Sachin Narkar

गो कोरोना गो

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"संकट जरी मोठं असलं 
तरी अशक्य मात्र नक्कीच  नाही, 
आग कितीही पसरली असली 
तरी विजवणारे हात कमी नाहीत"
स्वच्छंदी💞 गो कोरोना गो

Sandip D. Chaudhari

गो कोरोना गो.. #thought #nojotophoto

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 गो कोरोना गो..

manisha kumari regar gudiya

गो कोरोना गो

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सम्मान हमेशा  ये कैसी काली रातें है

ये कैसी काली बातें है
हर पल दुःख की मुलाकातें है
ईश्वर,रब,खुदा,मौलला, तुझे दुनिया को खत्म करना है तो ऐसे ही कर देते यह कोरोना का बहाना क्यों किया

यह क्या जीने में जीना है यह तो घुट घुट के जहर पीना है
चलो पहले तो कोरोना की चिंता थी लेकिन अब तो सांस लेने में भी प्रॉब्लम होने लगी है
इस तरह मर मर के जीने से तो अच्छा है जिस तरह भगवान तूने सृष्टि रचाई थी वैसे ही एक बार में सब को समाप्त कर देते तो अच्छा होता है आज एक टेंशन तो नहीं देती
sanitizer marks कभी-कर्फ्यू कभी लोग डाउन कबीर वैक्सीन तभी ठीक है कोरोना की गाइडलाइन को फॉलो करते करते पागल हो गए हैं
एक पल दुख एक पल खुश हे खुदा यह तेरी कैसी खुदाई है
हरदम एक पल से बिछड़ते हैं यह कैसी जुदाई है
हे भगवान या तो कोरोना को खत्म करो या हमको खत्म करो हमें नहीं जीना इस जिंदगी को लूट कर

©Manisha regar
  गो कोरोना गो

Suneet Chak

#गो कोरोना गो

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आज 13 दिन हो चुके हैं भारत में लोकडाउन हुए, लेकिन लोग अभी भी गंभीरता से विचार नहीं कर रहे है। रोज़ के रोज़ कोरोना के इतने मामले सामने आ रहे है कि अब यह समझ नही आ रहा है कि आखिर कीया क्या जाए। 

हमारे देश के प्रधानमंत्री भी चिंता में होंगे कि कैसे इस माहमारी से निपटा जाए। पर मुझे लगता है कि अभी देश के लिए माहमारी से भी बड़ी दिक्कत है उन लोगों से निपटना जिनकी वजह से पूरा देश परेशान है और वो है गो कोरोना गो का नारा लगाने वाले। जी हाँ, यह वही है जिनकी वजह से 13 दिन के लॉकडाउन के बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हो चुकी है। और हो भी क्यों न, जहाँ हमारी पहले सबसे बड़ी चुनौती थी इस माहमारी को रोकना वही आज उससे भी बड़ी चुनौती है उन लोगो को रोकना जिनकी वजह से यह माहमारी बढ़ने की संभावनाएं अब बहुत ज़्यादा है। 

आप व्हाट्सएप्प खोलेंगे तो आपको रोज़ किलो के भाव में इस माहमारी से निपटने के कई तरीके और नुस्खे देखेंगे। कोई प्याज़ से, तो कोई लहसुन से, कोई व्हिस्की से तो कोई हुक्के से कोरोना को खत्म करने का दावा कर रहा है। 

इसके अलावा हमारे देश के प्रधानमंत्री भी लोगो को जागरूक करने में भरसक प्रयास कर रहे है। इसके लिए उन्होंने 22 मार्च को थाली बजाने का और 5 अप्रैल को दिए, टॉर्च या मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाकर लोगो को उत्साह बढ़ाने का कार्य दिया था पर बहुत लोगो ने जिनकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए थे वो घर से बाहर निकल कर सड़कों पर उतरकर एक साथ इक्कट्ठा होकर या तो नाच गाना करने लगे या फिर मशाल जलाकर जुलूस निकालने लगे। 

रही बची कसर तमलीगी जमात के लोगो ने निकाल दी जो अब सीना जोरी भी कर रहे हैं। और जिनकी वजह से आज कोरोना से संक्रमित लोगो की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। 

अब मैं इनको देख कर यह समझ नही पा रहा हुँ कि ऐसे कैसे खत्म होगा यह कोरोना। हमारे देश की सरकार सबसे पहले किनसे निपटे, चुनातियों से या उन लोगो से जो आज भी यह नही समझ रहे है कि सिर्फ उनको घर में है रहना है तभी यह कोरोना खत्म हो सकता है। इस समय इससे बड़ा एंटीडोट या वैक्सीन नही है किसी भी देश के पास। 

आप चाहे कितने भी नारे लगा ले, "गो कोरोना गो","कोरोना गो बैक" पर यह कोरोना तभी जाएगा जब हम सिर्फ और सिर्फ घर पर रहे और सिर्फ ज़रूरी चीज़ों के लिए ही घर से निकले। #गो कोरोना गो

Umesh p

Ashish Penart

पोएम

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उम्मीद राह बना देती है हर पत्थर में, कभी कभी मंजिल दिखाती है जुगनू की रौशनी भी। आशीष पोएम

गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश

पोएम #poem

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ओस भले ढंक लें
भौतिक दृश्य
पर मन के भाव
तो मन से देखे जाते हैं।

मैं तो देख पाता हूँ
और तुम।।

शुभ दिन।
गिरीश पोएम

Aditya Neerav

White रैन को चैन नहीं है
दिन फिर भी गुजर जाता है
वह बोलता बहुत कुछ है
ऐन मौके पर मुकर जाता है

©Aditya Neerav #रैन

D.M Bhosale

पोएम

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मुजोर
मुजोर झालीय नोकरशाही
उन्मत्त झालेत बाबू
कुणाचाच नाही राहिला
यांच्यावरती काबू
काम चिमूटभर
त्याला लाच खिसाभर
सर्वदूर पाहिले तरी
कारभार लालफिती
ढेकणागत गरिबांचे
रक्त सारे पिती
हक्काच्या कामापायी
मारावे किती खेटे
तेंव्हा कुठे ७/१२ सारखा
एखादा कागद भेटे
जाग्यावर नसते कुणीच
मोकळे असतात टेबल
काय बोलावे तर
प्रत्येकावरती पुढाऱ्याचे लेबल
शौचालयाच्या अनुदानासाठीही
द्यावी लागते लाच
कुणाचीच कशी नाही
यांच्यावरती टाच
स्वार्थासाठी साहेबाची
भांडीकुंडी घाशी
हरामी साल्यांची
जिंदगी अशी कशी
              ~DMB पोएम

पीराराम जी परिहार

गो माता #विचार

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