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Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर
Supriya Yewale
Madhumati Kinikar
Caption मध्ये पहा विषय खंत... #खंत१ #collab #yqtaai Collaborating with YourQuote Taai कडाक्याची थंडी पडली होती. अगदी ओठावर ओठ आपटावे अश
Komal Pardeshi
Manish Jadhav
चाहुल तुझ्या येण्याची वाटत डोळ्यांना दिसावी पण या हृदयाला कशी बर कळते ? भावना तुझ्या मनाची.. वाटत कानांना उमजवावी पण या नजरेला कशी बर कळते ? शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे चाहुल तुझ्या येण्याची ... #चाहुलतुझ्यायेण्याची चला तर मग लिहूया. हा विषय Ganesh Dalvi यांचा आहे. #collab
Shree
विदाई pc: Google आज भी कुछ लड़कियां होती हैं जो रो पड़ती हैं अपनी विदाई में... फर्क नहीं पड़ता कि शादी अरेंज हुई है या लव। स्वाभिमान और स्वावलंब
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Abeer Saifi
ये रास्ते पे पानी क्यूँ है, नाला फूटा मालूम पड़ता है। चप्पल बगल में दबा ली जाती है, पाँव धोए जा सकते हैं किंतु चप्पल का चमड़ा फूल जाएगा । . . Full story👇👇👇👇 वह चला आ रहा था जेठ की तपती दुपहरी में बीड़ी सुलगाते , देह पर एक बदरंग नीली कमीज़, और मटमैली धोती पर चमकदार चमड़े की नई चप्पल । मानो लू के
Vandana
बिना वजह जब मन उदास हो जाए चाहकर भी कोई कारण नजर ना आए उलझे मन के धागों को हम सुलझा ना पाए उधेड़बुन में हम अपना वक्त गवाए दिमाग हजार सवाल पूछे भोले भाले मन से मन है कि नादान सा उसे कोई जवाब न सूज पाए दिमाग मास्टर की तरह नजर टिकाए मन बेचारा नजर चुराए यह मन की मासूमियत सादगी -छोटी बातों में खुश हो जाना -छोटी बातों में नाराज हो जाना यह मन है ही ऐसा यह कभी बूढ़ा नहीं होता तभी तो कहते हैं दिल बच्चा है जी और दिमाग वक्त के साथ तुम्हें अपने तजुर्बे से बांध देता है पूछता रहता है तो आप बड़े हो गए हो चॉकलेट क्यों खा रहे हो तुम तो बड़े हो गए हो यह क्यों कर रहे हो तुम बच्चे कौन से हो और यह दिल बारिश में नाचने को करता पानी में छप छप करने को करता यह दिल परिंदा बनकर आसमान में उड़ जाने को करता यह दिल बच्चे से उसकी टॉफी छीन ने को करता है यह दिल नादानियां करने को करता है (पूरी कविता नीचे कैप्शन में है) ❤बिना वजह जब मन उदास हो जाए चाहकर भी कोई कारण नजर ना आए उलझे मन के धागों को हम सुलझा ना पाए उधेड़बुन में हम