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बेजुबान शायर shivkumar
White हम बहुत आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खाया जब अमीर लोग बड़े नोट निकाला करते थे हमारी जेब में कुछ सिक्के खनकते थे हम सब एक जैसे नहीं थे फिर भी हम शामिल थे रेस में एक ऐसे घोड़े की तरह जिसकी टाँगों पर पूरे खानदान की उम्मीदों का बोझ टिका था और वह बोझ इतना था कि थोड़ा और बढ़ते ही हम चटक सकते थे टूट सकते थे, बिखर सकते थे। हमारे पास खोने को नींदें थीं और बेचने को सपने इसके अलावा कुछ और नहीं जिसे दाव पर लगा सकते। हमने पढ़ीं रात भर किताबें और लड़े सपनों के लिए कितना कुछ और था जो हम कर सकते थे पर मारे गए दूसरों की उम्मीदों पर ख़रा उतरते हुए । ©Shivkumar #mango_tree #mango #Nojoto #nojotohindi हम बहुत #आम जगहों से आए थे बहुत आम जगहों पर रहे बहुत आम जगहों पर पढ़े और बेहद आम जगहों पर खा
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। पीडा समीप में डोले । तो राम राम वे बोले ।। कान्हा कहें सुनो राधा । वो भक्त ही बना बाधा ।। मीठी लगे हमें बोली । जो प्रेम से भरें झोली ।। जो आप पास में होते तो क्यूँ भला बता रोते ।। मैं तो करूँ सदा सेवा । औ चाहता मिले मेवा ।। जो दान में मिला देखा । ये भाग्य से बनी रेखा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।।
संध्या छन्द :- 221 212 22 इंसान क्या नही खाता । क्या देखता नही दाता ।। है अंत में जरा देरी । आयी न रात अंधेरी ।। #कविता
read moreSatish Kumar Meena
जिस घर में संस्कार है, वही रमजान है। बुजुर्ग ही अंधेरी कोठरी के रोशनदान है।। ©Satish Kumar Meena अंधेरी कोठरी के रोशनदान
अंधेरी कोठरी के रोशनदान #कोट्स
read moreबेजुबान शायर shivkumar
Beautiful Moon Night // लौट जा तू उजालों में // फिर वही अधूरी शाम, फिर वही अंधेरी रात । कहीं जल रहा मन, कहीं जल रहा अभिमान ।। तन्हाई की वो यादें भी, कहाँ खो गई इन रातों में, खो गये वो गहरे राज, जिनको छिपाया मैंने इन आंखों में ।। अंधेरे को चिरती हुई, रोशनी, चुभ गई थी, इन आँखों में, आँख खुली तो खुद को पाया था, मैंने फिर से इन छलावों में, बैठा था, टक टकी लगाऐ, शायद वह वापस आ जाए, पर हजारों के शोर में, न वो आए, न उनकी खबर आए, अब मत कर कोशिश, तू भी कुछ ना पाएंगे, मेरी इन यादों में, बेवजह बस डूबता चला जाऐगा, तू भी मेरे संग मेरे जज्बातों में, अब मैं हूं, अंधेरे का राही, है ये अंधेरा मेरा चिर साथी, लौट जा तू उजालों में, मत कर मेरा पीछा, ऐ मेरे पुराने साथी, ऐ मेरे पुराने साथी ।। ©Shivkumar #beautifulmoon #Nojoto #nojotohindi लौट जा तू #उजालों में फिर वही #अधूरी शाम, फिर वही #अंधेरी रात । कहीं जल रहा मन, कहीं जल रहा #अ
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