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अशेष_शून्य
मेरी कविताएं तुम्हारे हर "स्पर्श" की उभरी हुई स्मृति चिन्ह हैं ; और इनके भाव तुम्हारे हर "आलिंगन" का "प्रतिउत्तर" !! ~© Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) मेरी कविताएं तुम्हारे हर "स्पर्श" की उभरी हुई स्मृति चिन्ह हैं ; और इनके भाव तुम्हारे हर "आलिंगन का प्रतिउत्तर" !! फ़िर किसने कह दिया तुमस
अशेष_शून्य
"जहां भी रहो खुश रहो ...🙌" (अनुशीर्षक में ) जब भी तुम्हें लिखने का प्रयत्न किया इन "श्वेत पत्रों" पर ना चाहते हुए भी "ब्रह्मांड" उभर कर आया .....पर कभी जमीं को "धूसित रंगो" में नह
Shivanya
रात सुनसान थी, बोझल थी फज़ा की साँसें रूह पे छाये थे बेनाम ग़मों के साए दिल को ये ज़िद थी कि तू आए तसल्ली देने मेरी कोशिश थी कि कमबख़्त को नींद आ जाए! रात सुनसान थी, बोझल थी फज़ा की साँसें रूह पे छाये थे बेनाम ग़मों के साए दिल को ये ज़िद थी कि तू आए तसल्ली देने मेरी कोशिश थी कि कमबख़्त को न
Suman kothari
मैं, तुम और वो बहता दरिया read in caption ©Suman kothari मैं,तुम और बहता दरिया एक शाम को मैं और तुम एक साथ एक दरिया के किनारे बैठे थे तुम एकटक ढलते सूरज को देखते रहे थे और मैं एकटक तुम्हें देखती
Bhupendra Rawat
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है ज़िंदगी मेरी, तेरी कहानी बनकर उभरी है मैंने कुरेदा है जब भी अपने जख्मों को मेरी ज़िंदगी तेरी निशानी बनकर उभरी है ©Bhupendra Rawat #LongRoad ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है ज़िंदगी मेरी, तेरी कहानी बनकर उभरी है मैंने कुरेदा है जब भी अपने जख्मों को मेरी ज़िंदगी त
सुसि ग़ाफ़िल
बनकर तुम जख्म उभरी हो , इश्क़ कहां तुम ज़हर निकली हो! 💔🚬 बनकर तुम जख्म उभरी हो , इश्क़ कहां तुम ज़हर निकली हो! 💔🚬
Sarita Shreyasi
वे चुप रह गए, बहस टल गयी। वक़्त आगे निकल गया, बात वहीं रह गयी। न कहीं कोई हलचल हुई, न बात कभी हल हुई। #न हलचल हुई न हल हुई#