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Parasram Arora
सुबह घर से निकले थे तब तक सुलह कहां हो पायी थी लौटा ज़ब संध्या की गोधूलि वेळा मे अपनी नाकामयाबियों क़े साथ तो एक भरपूर मुस्कान क़े साथ चाय का गर्म प्याला भी थमा दिया गया और मेरी थकान की जानकारी भी ली गई ©Parasram Arora सुलह.......
Susheel Thakur
नया वाहन अधिनियम, जनता और पुलिस... नए वाहन अधिनियम के आते ही पुलिस और लोगों के मध्य खराब रिश्तों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। सरकार के इस फैसले से कुछ लोगों काफी खफा नजर आ रहे हैं। कोई पुलिस वाला अगर कानून तोड़े तो भीड़ अति आक्रमकता दिखा रही है। ठीक इसी तरह जब पुलिस चालान काट रही है तो नौकरशाह उनकी बिजली और पानी के कनेक्शन काट रहे हैं। इस फैसले से जुर्माने की रकम कई गुना बढ़ गई है, जिसके चलते लोग सरकार को सड़कों की खस्ता हालत पर घेर रहे हैं। दुनिया के कई देशों में वाहन अधिनियम इससे भी सख्त हैं और ड्राइविंग लाइसेंस बनाना तो बहुत ही कठिन है। बहुत से लोग कई तरह की अव्यवस्थाओं का हवाला देकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं किन्तु यह भी सत्य है कि यह जनहित के लिए ही बनाया गया है। कई मौकों पर पुलिस की दादागिरी भी देखने को मिलती है, वहीं कई लोगों का मानना है कि इस अधिनियम से पुलिस का भ्रष्टाचार बढ़ेगा। शायद सरकारों ने जल्दी में ही इस फैसले को लागू कर दिया है। प्रशासन, पुलिस और जनता के मध्य सम्बाद स्थापित करने के प्रयास किये जाने चाहिए तभी वास्तविक लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। नया वाहन अधिनियम
abhisri095
हर बात की अपनी एक वजह होती है झगड़ने पे सुलह होती है जिस-दिन नहीं होती बात उससे उस-रात आंख मेरी ज़रा नम होती है ©abhisri095 #सुलह
pallavi chaudhary
ज़िन्दगी में लड़ लेना झगड लेना मगर बोलचाल बंद मत करना क्योंकि बोलचाल बंद होते ही सुलह के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं #####ज़िन्दगी####सुलह####
Gopal Lal Bunker
--जीत सुलह की-- नाराजगी के बाद जी चाहता है कि मैं तुमसे बात कर लूं पर 'कुछ है'जो मुझे रोक देता है, -क्या है 'वह' जो रोक देता है हमें सरल बनने से, शायद उसे हम जानते हैं, फिर भी उसे हम क्यों नहीं रोक पाते हैं, जो चल रहा है उसे वैसा ही चलने देते हैं, शायद, उसे हम बड़ा होने देते हैं, अपने तन से अपने मन से, अपनी खुशी से अपनी हंसी से, ऐसे में- पलट कर अंतर्मन कहता है तू द्वंद को क्यों बढ़ने देता है पर तू "अहम् को आगे कर", और बात बढ़ने देता है फिर शुरू होता है खेल 'शहमात का' बाजिया लगती है, जोर आजमाइश होती है आखिर में जीत अहम् की ही होती है, पर अहम की यह जीत जब बेचैन कर देती है, फिर एक बार बात शुरू करने की कोशिश होती है, धीरे-धीरे बहाने बहाने मुलाकातों की कोशिश होती है फिर एक दिन "जीत सुलह की" होती है "आखिर जीत सुलह की होती है"| जीत सुलह की
shailesh jha( सांझ_शैलेश)
मैं खुद से और हर्फ मुझसे, रूठे है अब कहो संवाद हो तो कैसे हो? कोई करें मध्यस्थता पर बिन हर्फ मध्यस्थ से बात हो तो कैसे हो? #सांझ_शैलेश #हर्फ़ #बात #मध्यस्थता #हिन्दी_काव्य_कोश #जीवन #yqaestheticthoughts
Hasanand Chhatwani
कोई सुलह करा दे जिदंगी की उलझनों से..... बड़ी तलब लगी है आज मुस्कुराने की..... ##सुलह ##उलझनें ##जिदंगी ##मुस्कान ##