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Vishalkumar "Vishal"
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Pyare ji
Mili Saha
// राणा अमर सिंह // जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुनते आ रहे थे जो, अपने पूर्वजों की गौरव गाथा, पौत्र महाराणा उदय सिंह के और महारानी अजबदे पंवार माता, शिशोदिया राजवंश मेवाड़ के शासक पिता वीर महाराणा प्रताप, पिता की भांति ही अमर सिंह में कूट-कूट कर था देशभक्ति भाव, न्याय भावना, नेतृत्व, वीरता, दयालुता और बहादुरी का सम्मान, मुगलों के समक्ष महाराणा अमर सिंह को मिला चक्र वीर उपनाम, महाराणा प्रताप सदैव समझते, अमर सिंह आलस से है ग्रसित, किन्तु उन्होंने साहस से, अपनी वीरता को कई बार किया सिद्ध, राष्ट्र से प्रेम था अमर सिंह को, पूर्वजों के इतिहास से था लगाव, शौर्य और प्रताप का संगम था वो, था उसमें देशभक्ति का भाव, संग्राम और प्रताप का वंशज फिरंगीयों के आगे कभी न झुका, अपनी रगों में बहते हुए लहू का, सदैव अमर सिंह ने मान रखा, मृत्यु से पूर्व महाराणा प्रताप ने उत्तराधिकारी था किया घोषित, मेवाड़ वंश परंपरा अनुसार, अमर सिंह हुए शासक स्वीकारित, न्याय प्रियता, कृपाशिलता गुण इनके, प्रजा करती थी आदर, राष्ट्र-हित के लिए अमर सिंह ने, निर्माण करवाया बढ़-चढ़कर, प्रतापेश्वर महादेव मंदिर, महाराणा प्रताप के नाम से बनवाया, सिसोदिया राजवंश का इतिहास, ग्रंथ अमरसार में लिखवाया, मुगलों से कभी न मानी थी हार, हर अनुबंध को पैरों तले रौंदा, राष्ट्रभक्ति दिल में लिए मर मिटा था वो अमर सिंह वीर योद्धा। ©Mili Saha राणा अमर सिंह जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुन
Jiyalal Meena ( Official )
Vaishnavi Pardakhe
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१ यकीनन हम सोचा नही करते कभी अंजाम अपना, तो फिर आज हमे जल्लाद की*कयादत क्यूं है//२ ये महसूस तो करे के,रब रहता है हरदम करीब*रगे गूलू तो फिरआज हमे दर बदर भटकने की ज़रूरत क्यूं है//३ हम अपनी नाफरमानी,नादानी के खुद ही है*बाइस, तो फिर आज हमे खामखां औरो से शिकायत क्यूं है//४ जिस मिल्लत का*हामी हो अल्लाह और कूरान,तो फिर आज इस मिल्लत के हिस्से मे*ज़लालत कयू है//५ कुछ् संगदिलो के सीने मे है,उल्फत,तो फिर आज हम*बशर को बशर से इतनी नफरत क्यू है//६ बेशक हमको मयस्सर है बेशुमार तदादे कुव्वते बाजू,तो फिर आज हमे अबाबीलों के लश्कर की ज़रूरत क्यूं है//७ यकीनन देगा खुदा*फतेह,तू बस*इतेहाद से रह,जललाद खुद होगा खाक,फिर आज तेरे दिल मे *हताहत क्यूं है//८ ऐ मुसलमा न डर,तू*बातिले कसरत से,तेरी की थौ जंगे-बदर मे मदद वो खूदा आज भी है,फिर आज तू उस जात से*गफलत्त मे क्यू है//८* शमा की है उसी खुदा से दुआ,के दुश्मने इस्लाम को कर दाखिल, मजहबे इस्लाम् मे,तो फिर आज हमे इस जंग की*वजाहत क्यू है//९ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lonely चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१*अत्याचारी*भय यकीनन हम सोचा नही क
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
Sultan Mohit Bajpai
किराया ––––– दरअसल ,हमारी खिड़की से थोड़े–थोड़े पहाड़ दिखते है ,कभी–कभी बादल धुंध और कुहासा छटने पर भूली बिसरी यादों की तरह, जब मैं लौटता हूं शाम को मजदूरों की भीड़ के साथ थका हारा तब अचानक से मेरी बगल में समूची भीड़ का नेतृत्व करने आ जाती है तुम्हारी क्रांतिकारी स्मृतियां वो मुझे युद्ध में अकेले खड़े पहाड़ों जैसी लगती है शायद दुनियां का सबसे पहला क्रांतिकारी अपनी प्रेयसी से पहाड़ों की तरह प्रेम करता होगा या हो सकता है क्रांति और प्रेम की संकल्पना भी पहाड़ों से हुई हो पता नही पर मुझे पहाड़ पसंद है बस इसी लिए मैं रुका हूं यहां की पहाड़ों को देखने के लिए मुझे कभी कोई किराया नही देना पड़ता •••• ©Sultan Mohit Bajpai किराया ––––– दरअसल ,हमारी खिड़की से थोड़े–थोड़े पहाड़ दिखते है ,कभी–कभी बादल धुंध और कुहासा छटने पर भूली बिसरी यादों की तरह, जब मैं लौटता हू
sominath