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SZUBAIR KHAN KHAN
कृष्ण की वाणी हैं मधुर बुलाती हैं इधर से उधर बसुरी की धुन जिधर भी जाये मगन मुग्ध हर का हों जाये गुकुल वासियों के लिए इक उंगली से गोवर्धन को उठाए श्री कृष्ण की ऐसी लीला भुलकर भी कोई न भुला राधा कृष्ण की कहानी सुनकर हुई मीरा भी दिवानी सब सुख दुख मीरा भूल बैठी बन गई मीरा सन्यासी गुकुल की गलियो में ले जाती हैं सबको ऐसे नहीं ख़बर प्रेम की न"ज़ुबैर" को मिली ऐसी लेखक - ज़ुबैर खांन..... ©SZUBAIR KHAN KHAN writer - zubair Khan
writer - zubair Khan #शायरी
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यामी ने यम को तिलक लगाकर वरदान कुछ ऐसा उसने पाया मौत से लड़कर उम्रभर का साथ और भाई का प्यार मांगा रीत चली हैं इसी दिन से बांधा जाता हैं अनमोल धागा रिश्ता है जिदंगी का सभी को सीखलता हैं सबको ऐसा वादा चाहे हों वो अधूरा करता हैं वो हमेशा पुरा रिश्ता अनमोल ईश्वर का देखने को कही नही मिलता खुश रहें "ज़ुबैर"ज़िंदगी हैं मेरी तरफ से दुआ लेखक - ज़ुबैर खान.... ©SZUBAIR KHAN KHAN writer -ZUBAIR KHAN #Bhaidooj
SZUBAIR KHAN KHAN
भुलकर कभी किसीको रुसवा नहीं करना मेरे इलावा किसीसे दोखा नहीं करना रोया मैं जिस पल तेरी जुदाई मैं उससे मेरे जैसा अत्याचार बेवफ़ा नहीं करना कल जो करता था प्यार यार गहरा सोचकर तुमको बहुत याद बार बार करता था लेकिन अब भी वो दुबारा नहीं करना ज़रूरी हो अगर तोहफ़ा अश्कों का तो इसे बहाने न ही चली आना इस दीवाने पर इतना एहसा भी ज़रा भी नहीं करना क़रीब नहीं आना तुम अपने हबीब के काम भी अब तुम्हारे अजीब से भूलकर भी कभी ऐसा नहीं करना वापस लौट आए वो दिन " ज़ुबैर" मगर होता नहीं ज़िंदगी मैं बार बार फिरसे प्यार करके ऐसा नहीं करना लेखक - ज़ुबैर खांन..... ©SZUBAIR KHAN KHAN रुसवा WRITER - ZUBAIR KHAN
रुसवा WRITER - ZUBAIR KHAN #कविता
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2 1 2 2 1 2 1 2 2 2 तुम खुशी नसीब से किया दिल ही को करीब से लिया आस की जो तबीब की फिर वो लकीर से गया ©SZUBAIR KHAN KHAN writer - zubair Khan #Dream
SZUBAIR KHAN KHAN
दुपट्टा दुल्हन की शान होता है साहिब-ए-'इज़्ज़-ओ-शान होता हैं दु'आ -ए- ख़ैर का दुल्हन पर इक अहसान होता हैं निभाना ये रिश्ता -ए- गौहर के लूटाना ये तो दान होता हैं जो उड़ाते हैं दुल्हन को रिदा-पोश वो गुल गुल -ए- बदन होता हैं दहलीज़-ए-वालिद-ए-माजिद के दुल्हन का घर धड़कन होता हैं गुल - पैरहन में दुल्हन का पिंहाँ रूख़ में गुल-बरन होता है गुलरेज़ आये बनकर "ज़ुबैर" मेहमान न कभी अनजान होता हैं लेखक - ज़ुबैर खांन.......📝 ©SZUBAIR KHAN KHAN Dupatta Writer - zubair Khan #kissday
SZUBAIR KHAN KHAN
दुल्हा आया दूल्हा आया अपनी दुल्हन से मिलने गुल-ए-हमेशा-बहार आया लेके दुल्हन से मिलने दुल्हन से इज़हार-ए-'इश्क़ मोहब्बत का तोहफ़ा -ए- तर आया देने दुल्हन से मिलने ना-महरम अब वाजिब-उल-'अमल नहीं पर्दा-दरी ख़ातून न दे शौहर से दुल्हन से मिलने लब-ओ-आरिज़ और लब-ए-गुलफ़ाम गुल-ए-रुख़ को आया चूमने दुल्हन से मिलने विसाल-ए-महबूब से मिलने लैल आयी हैं न रोके मुझे कोई जाने से आया में दुल्हन से मिलने गुफ़्त-ओ-शुनीद करने आये कुछ जनाब-ए-मन से रुजू'-ए-क़ल्ब ख़ुश-नुमाई में आया में दुल्हन से मिलने ज़ौजा-ए-मुकर्रमा उठा दो अब तो नक़ाब-ए-रुख़ को हूं में बेचैन कब से रूख़ सार के लिये आया में दुल्हन से मिलने रू-ब-रू हूं में "ज़ुबैर"हुस्न-ओ-'इश्क़ के कहूं कैसे में आया अपनीय दुल्हन से मिलने लेखक - ज़ुबैर खांन.........📝 ©SZUBAIR KHAN KHAN Dullhan Writer - zubair khan #kissday
SZUBAIR KHAN KHAN
ऐ - महबूब तुम मेरा साथ दो हाथों में अपना हाथ दो उम्र भर ज़िंदगी की मुझे ज़रा मुझे दुआ यार पथ दो बैचैन न रहूं किसी बात पर थोड़ा भरोसा मुझे नाथ दो कह पाऊँ अपने दिलसे मुझे खुशी निसा- नाथ दो कभी न भुलू में तुझको न भूलने की दवा गाथ दो मांगा कुछ नहीं मांगता हूं हाथो मैं अपना हाथ दो कब से "ज़ुबैर"को ख्याल तुम मेरा हमेशा साथ दो लेखक - ज़ुबैर खाँन.......📝 ©SZUBAIR KHAN KHAN साथ writer - zubair Khan #MusicLove
साथ writer - zubair Khan #MusicLove #शायरी
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