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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
"मौन" सबसे बड़ा हथियार चुप रहने की तलवार मिटाता देता है,विकार यह मौन रूपी,व्यवहार मूर्ख ही आ रहे,नजर है तब चुप रहना बेहतर है जब फंसे हो,मकड़जाल मौन रहो,निकलेगी राह चहुँओर से हो रही हो,हार तब मौन ही करे,चमत्कार सूखे में ला देता है,बहार मौन सावन की है,फुंहार परिश्रम करो,मौन रहकर होगा,हर ख्वाब साकार जो मौन को करे,दरकिनार उनके मान का मिटे,आधार मौन ही है,जीवन का,सार मौन मिटाये,घट अंधकार जब फंसे हो,बीच मंझधार थाम लो,मौन रूपी तलवार जिसने थामी,मौन तलवार उसने पाया साहिल,हरबार दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #मौन
कलम की दुनिया
आवाजों का शोर नहीं मगर शब्दों का जोर हमेशा रखना मौन रहना गलतियों पर मगर अपनी काबिलियत से मौन सबको रखना ©कलम की दुनिया #मौन
BS NEGI
निज मन की मौन व्यथायें भी मसिपथ पर भारी पड़ती हैं । अनकही वेदना निर्धन की आ कभी सृजन से लड़ती हैं। ©BS NEGI मौन व्यथा
Premofficial7171
दर्द देने वाला दिल में है ? ©Premofficial7171 मौन मृत्यु और मैं
Rahul Sontakke
White मौन.. होता स्पष्ट आवाज माझा तरीही मी मौन निवडले... शब्दाने नाराज होतात म्हणून मी शब्द सावरले...! चांगल्या दुनियेत विचित्र लोक सापडले... बहस करण्यास काय अर्थ म्हणून मी मौन निवडले...! मी मौन झालो म्हणून वाद त्यांच्यातच उठले ... नाही करू शकत ते तडजोड मौनावर चालवले खटले..! नक्कीच जिंकेल मी म्हणून युद्ध हे पेटले... माझ्या मौनावर अनेक आरोप अनेक घातले...! प्रेमाने जग जिंकण्यास अनेक हात धावले.... भांडणं,तंटा नकोच आता म्हणून मी मौन निवडले..! ©Rahul Sontakke #Couple मौन #write #poem
Ghumnam Gautam
सुनता था कोई नहीं, अतः रहा वह मौन पंखे-पंखे है लिखा, कब लटकेगा कौन! ©Ghumnam Gautam #पंखा #मौन #कब #कौन #ghumnamgautam
Ghumnam Gautam
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. हर्ष अपना दान करते जाइए पीड़ का गुणगान करते जाइए विश्व क्या है!आप क्या हैं!भूलकर मौन रह, प्रस्थान करते जाइए ©Ghumnam Gautam #हर्ष #दान #पीड़ #मौन #ghumnamgautam
Neel
White कदम-कदम पर डिगा भरोसा, रिश्तों की नाज़ुक है डोर । कौन मेरा विश्वास करेगा....यही सोँच अब तक हूँ मौन। तोड़ बेड़ियाँ इस समाज की, तिरछी नज़र कतरनी होगी। हिम्मत तो अब करनी होगी, क्या अब भी रहना है मौन। कैसा निष्ठुर ये समाज है......हर बेटी स्तम्भित है - क्या ?? उसका घर भय से आज़ाद है, आओ तोड़ें अपना मौन । आशा है हिम्मत जागेगी, स्वस्थ समाज निर्मित करने को- विकृत सोंच जलानी होगी......यही सोंच अब तोड़े मौन। निज अस्तित्व की रक्षा हेतु, घर-घर अलख जगानी होगी अब भी तुम क्या सोंच रही हो, बहुत सह चुकी तोड़ो मौन। घर-घर फिर मर्यादा होगी, होगा फिर अटूट विश्वास। रिश्तों की नाज़ुक डोरी को, कहो सहेजेगा अब कौन। महकाने को घर-घर पलाश, मुखर वृत्ति अपनानी होगी । अपने मौन से ऊपर उठकर, हिम्मत अब दिखलानी होगी । ** कब तक रहोगे अब तुम मौन..?? **आओ मिलकर तोड़े मौन..।। 🍁🍁🍁 ©Neel आओ मिलकर तोड़ें मौन 🍁
कुमार_दुष्यन्त
lovefingers मेरा मौन तुम्हें कुछ कहें ना कहें तुम्हारा मौन मुझे सोने नहीं देता ©कुमार_दुष्यन्त #lovefingers मेरा मौन तुम्हें कुछ कहें ना कहें तुम्हारा मौन मुझे सोने नहीं देता