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डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
कहीं धूप गहरी ,कहीं छांव ओझल! शहर आ गया तो हुआ गांव ओझल।। ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) #गांव
HARSH369
White ये घनघोर आबादी,ये मेट्रो ये यहां कि सुविधायें इसे देख कर यह नही लगता कि हमने वो गांव का जीवन कही पीछे छोड़ आये है जहा पर पेड़ो कि छा़व,बलखाती हवायें बहा करती थी सुन्दर फुलों कि घाटी कि खुसबू बहा करती थी जहां नदियां तालाब और झरने बहा करते थे जहां पर लोग मोबाइल छोढ़ कर आपस मे मिला करते थे अब तो बाकी हि नहि रहा कुछ और बोलने को इनसे इन्होंने अपनी सुविधा के लिये सारा कुछ उजाढ़ दिया हमारे पुर्वजो से मिली संसक्रिति को बेघर कर दिया कुछ जो सुविधा मिली है,उन्हे सम्भाले रखना कल भविस्य मे तुम्हारे बच्चे भी बढ़े होकर तुम्हे भी छोढ़ जायेगे..!! ©HARSH369 #सहर और गांव
Penman
एक वक्त ऐसा था मेरा, जहाँ सब कुछ था मेरा, अब कुछ भी नहीं, बस एक महेमान बनकर रह गया हूं,अब गाँव में। ©Penman #गांव
कलम की दुनिया
Village Life कोयल की कू... गुम हो गया कौआ का कांव कांव चिल्लाना बंद हो गया उडते आजाद पक्षियों का चहचहाना बंद हो गया आवारा कुत्तों का रात में चिल्लाना बंद हो गया मेरा गाँव अब विकसीत हो गया गिली-डंडा , पिट्टो ,कंचे खो गये शोर मचाने पर पडने वाले तमाचे खो गये ठंडी की धुप में माताओं के हाथ के कंटे खो गये वो चार सखियों के चुगलियां खो गये सारे गाँव अब विकास की राहों पर निकल गये वो भरी जेठ दुपहरी में आम की चोरी वो पुष में चन्ने की होरी वो फागुआ में बैर पर पडने वाला डंडा वो चईत बईसाख में महुआ के वजह से होने वाला फंडा वो सावन के झूले जो हम सब गये भुले वो पेडों की छांव वो मस्ती से भरा गाँव वो तीज त्योहार वो रंगों से भरी होली सब फिका हो गया मेरा गाँव अब विकसीत हो गया अनपढ अब नहीं कोई विद्वान यहाँ हर कोई दो पहिया अब थक गया चार पहिये के खातिर मेरा निम अब ढह गया शारीरिक विकास अब बहुत हुआ मानसिक विकास अब शुरू हुआ बच्चों की मस्ती से भरी टोली ग्रुप में देखाती अपनी रंगोली बिमारी से दूर स्वास्थ्य से दूर तुलसी का काढा अदरक की चाय न जाने कहाँ गुम हो गया मेरा गाँव अब विकसीत हो गया ©कलम की दुनिया #गांव
Chetram Nagauri
White अपनी बस्ती को भूल गई तू भूल गई अपना ये गांव शहरों में आकर बस गई तू तुझे याद नहीं कच्चे वो मकान तुझे याद भी क्या होगा पगली तू भूल गई अपनों के नाम। ©Chetram Nagauri #City #गांव #बेवफा #शायरी
City गांव बेवफा शायरी
read morevinni.शायर
वो मेरे गांव की कच्ची सड़के वो कच्चे कच्चे मकान.. एक घर में ही रख लेती थी मां सारा सामान.. घर में एक चार पाई ओर उस चार पाई पे ही सारे सो जाते थे.. वो मेरा गांव कितना सुंदर है ओर उसके लोग कितने अच्छे थे.. वो गुल्ली डंडे वाले यार एक आवाज पे ही सारे तैयार.. पूरा दिन घर से बाहर डंडी की बना कर कार.. कितना मजा लेते थे.. वो मेरा गांव कितना सुंदर है और उसके लोग कितने अच्छे थे.. ©vinni.शायर गांव... #bicycleride
गांव... #bicycleride #शायरी
read moreChetram Nagauri
White ए परिंदे ले चल मुझे साजन के गांव अपने पिया के गांव जहां होगी मन की बातें ले चल मुझे उस पीपल की छांव उस प्रितम के संग अमर होगा मेरा भी नाम ©Chetram Nagauri #City #गांव #लव