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Monu Matoriya
तिल मिलाना तो एक बहाना है । असलि खाज तो मुह ना लगाना है । Mr.MTR खाज. mr.Mtr
Komal Pardeshi
Mohd Hasnain
मोहब्बत और मौत की पसंद मे ज्यादा अंतर नहीं होता है एक को दिल चाहिए तो दूसरे को धड़कन... 👎👎👎नीचे वाली खाज को कभी हलके में ना ले 👎👎👎
RAHUL VERMA
आँख में कजरा … बाल में गजरा … बिंदिया सोला भाये रे देख के तेरी मस्त जवानी चंदा भी शरमाये रे…! तुझ्या केसातील मोगऱ्याचा गजरा बघ फुलून आज किती दरवळतो.. होणाऱ्या प्रत्येक स्पर्शाने शहारून पाकळी न् पाकळीतून सुखावतो..✍️ #गजरा #मोगरा #चारोळ
Sunil itawadiya
भगवान ना दिखाई देने वाले माता-पिता होते हैं, और माता-पिता दिखाई देने वाले भगवान होते हैं,, #cinemagraph बात अच्छी लगी हो तो दाद देना खाज मत देना दोस्तों 🤗🤗🤗👌🏼💐👍 राधे राधे जय श्री कृष्णा आप सभी यू आर क्यूट फैमिली को 💐👌🏼👍 बिल्कुल सह
yogesh atmaram ambawale
म्हणतात स्त्री ची सुंदरता खूप खुलून दिसते जेव्हा ती 16 शृंगार करते. 16 शृंगार माहीत नाही पण तुझ्या डोळ्यातील काजळ, कपाळावरील कुंकू,केसातील गजरा, हे साज शृंगार पाहूनच कित्येकांच्या तुझवरी वळती नजरा. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे. शृंगार... #शृंगार1 चला तर मग लिहुया. हा विषय Dr.Ratnakar Dahat यांचा आहे.
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। २ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनों कष्ट के योग । भूल किए जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ३ खुश्बू जितनी हींग की , भोजन को महकाय । व्यथा तुम्हारी भी सुनो , संग-संग ही जाय ।। ४ सुनो सामर्थ्य भर करो , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाए सखे , करती रहती खाज ।। ५ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर-घर की यह बात है , सुन लो बाबू लाल ।। २ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। ३ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनो कष्ट के योग । भूल हुई जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ४ खुश्बू जैसे हींग की , करती है मनुहार । व्यथा हमारी भी सुनो , करती सदा पुकार ।। ५ करो सदा सामर्थ्य भर , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाएँ सखे , करती रहतीं खाज ।। ६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर
Vijay Tyagi
"कटिंग कराई बालों की" रचना अनुशीर्षक में पढ़ें "बस कटिंग कराई है बालों की" नन्हा सा... प्यारा सा... नादान लगने लगा हूँ कहने लगे हैं अब सभी,मैं इंसान लगने लगा हूँ लॉकडाउन के बाद ये हिम्मत