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Vin's Bansode
वार्तेत काय वार्ता झाली दुःखाला साजेल काय दुःख सजली कैक प्रश्नांचे अजून उलगडे नाही उघडे पुस्तक का झिजली प्रत्येक क्षण अंधारात वळतो उजेळास पाऊल थांबली घडून जाते सहज काहीतरी गुंतली श्वास ही खैर कसली प्रश्न तसे नव्हे जीथे मी गुंतलो नजरेत तू काय साठली समजून घे अवघड उत्तरांचे म्हणणे प्रश्नांनी ही थैमान घातली #प्रश्नावली
Juhi Grover
शब्दों की प्रश्नडोरी में उलझा जीवन मरण समान हो जाता है, जीवन नाम की पाठशाला में उत्तर पुस्तिका ही खो जाती है, असमंजस में पड़े हम विचारहीन बस भविष्य को निहारते हैं, ज़िन्दगी मृत्यु भूत,वर्तमान,भविष्य से कोसों दूर हो जाती है। प्रश्न प्रश्न ही रहते हैं ,उत्तर के कभी आस पास हो नहीं पाते हैं, हम कभी किसी को, कभी किसी को कोसने में लगे रहते हैं, अपनी ही वास्तविकता से तो बस दूर बहुत दूर निकल जाते हैं, जीवन क्या है,मरने के बाद भी हमेशा विचारहीन रह जाते हैं। खुद को ही खोजने का प्रयास पूर्ण रूप से विफल हो जाता है, प्रश्नावली का बोझ असहनीय तो है,जीवन स्वार्थी हो जाता है, क्यों करें उत्तर की खोज, ज़रूरत का हर प्रश्न तो हो जाता है, उत्तर जानने के प्रयास के बिना जीवन मरण व्यर्थ हो जाता है। यों ही मानवता दिन रात स्वार्थ में डूब रही है, लक्ष्य खो गया, प्रश्नोत्तर ढूँढना कुछ संवेदनाओं से प्रेरित होकर ही हो पाता है, जीते जी अर्थहीन समाज में जीवन तो अब अलोप हो ही गया, बस जीवन जीने से पहले ही ज़िन्दा लाश होकर रह जाता है। #प्रश्नडोरी #मानवता #प्रश्नावली #असमंजस #असहनीय #विचारहीन #yqhindi #bestyqhindiquotes
Prashant Agarwal Kavi
जितनी भी हों आपके जीवन में प्रश्नावली, है दुआ हो जाएं सारी हल वो इस दीपावली। आपको दीपोत्सव की हार्दिक मंगल कामनाएं। www.kavisammelanindia.
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat खुद को इतना तराशें। क़लम को ताक़त बना लो। पुरनविरम ना लग जाएं। मेरी आखिरी कलाम पर। बस कुछ कर जाएं। खुद की जांगीर पर। बस ये क़लम। कमाई मैंने। प्रश्नावली। में ना । सम्मपन्न हो। बस समर्पण। मेरा पन्नों पर हो। #pen #mythoughts #words #poetry #power #yqdidi #yqbaba Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat खुद को इतना तराशें। क़लम को ताक़त बना लो। पुरनवि
Kulbhushan Arora
प्रश्नावली जी सदर प्रणाम🙏🏼🙏🏼😍😍🙌🙌 Dedicating a #testimonial to थोइबी🍀 अगर आपने *प्रश्नावली* जी के chitchat Session को नहीं पढ़ा है...यकीनन आपने बहुत कुछ Miss किया है। जब भी
Vijay Tyagi
"यों" जब जल के भीतर भी सुलगे चिंगारी शान्त मन में बैठा रहे ज़्वार यों शब्द न ही शून्य,न ही शिथिल है मौन रहकर भरे हुंकार यों काया मिथ्या माना,शोषित भी जाना जगदृष्टया हेतु बना आकार यों जग माया ही है और भक्ति भी चले माया से ही जग-संसार यों ये दर्द नहीं है इस दर्द को समझो है ये कर्मो का फलिचार यों हद की हद को हद में समझो तो हद हो जाती स्वीकार यों dedicated n inspired by Sister SHWETA SANJEEV GUPTA बहन आज की तुम्हारी रचना "क्यों" से प्रेरित हो ये रचना लिखी है... मैं इतना सक्षम तो नही
Juhi Grover
ਮੰਜੇ ਤੇ ਬੈਠਦਿਅਾਂ ਮੈਨੂੰ ਖ਼ਿਅਾਲ ਅਾੲਿਅਾ, ਯਾਦ ਤੇਰਾ ਹੀ ਹਿਸਾਬ ਬੇਹਿਸਾਬ ਅਾੲਿਅਾ, ਸੁਅਾਲ ਹੱਲ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਤੂੰ ਤਾਂ ਮਾਹਿਰ ਸੀ, ਸਾਨੂੰ ਤੇਰਾ ਵੀ ਨਾ ਹੀ ਕੋੲੀ ਜਵਾਬ ਅਾੲਿਅਾ। ਤੇਰੇ ਅਾਪਣੇ ਮਸਲੇ ਸਨ, ਮੇਰੇ ਅਾਪਣੇ ਸਨ, ਫਿਰ ਵੀ ਵਿਚਾਰ ਨਾ ਕੋੲੀ ਨਾਯਾਬ ਅਾੲਿਅਾ, ਕੱਲਿਅਾਂ ਬੈਠੇ ਨਹੀ ਹੱਲ ਹੁੰਦੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਵਲੀ, ਮੈਨੂੰ ਤੇਰਾ ਹੀ ਖਿਅਾਲ ਵਾਰ ਵਾਰ ਅਾੲਿਅਾ। चारपाई पे बैठते ही मुझे ख़्याल अाया, याद तेरा ही हिसाब बेहिसाब आया, सवाल हल करने में तुम तो माहिर थे, हमें तेरा भी न ही कोई जवाब आया। तेरे अ
Ganesh Singh Jadaun
जीवन की बहुत सी समस्याओं का हल हमें हमारे धर्मग्रंथों से मिलता है। इसलिए हमें अपने धर्मग्रंथों पर श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। ©Ganesh Singh Jadaun हमारे धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता और श्रीरामचरितमानस में जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मोह और इच्छाओं के
Guruwanshu
थोड़ी बहुत तकरार नोंक झोंक में भले मचल जाता है। रिश्ता ही कुछ ऐसा जो बन जाता है, जीवन साथियों का कितने उतार चढ़ाव आये हर अड़चन को पार कर जाता है। क्योंकि ये रिश्ता साइकल जैसा ही तो है एक पहिये के ठीक पीछे दूसरा चलता जाता है, मोड़ आने पर भले एक के ठीक पीछे दूसरा पहिया ना हो लेकिन साथ होने के कारण मंज़िल तक को जाता है। आज शायद मेरे विचार आसानी से समझ ना आ पाये कोशिश तो की है सरलीकरण करने की। उम्मीद है आप समझ पाये। सायकिल का पिछला पहिया अगले पहिये के ठीक पी
Yashpal singh gusain badal'
मैं जब भी कोई कविता लिखता हूँ तो वे मेरे अंदर से नही उपजते बल्कि वे अक्सर मुझे सड़कों पर ,गलियों में ,लोगों के चेहरों में, लोगों के व्यवहार,क्रियाकलापों में मिलती हैं ।रोज हजारों कविताएं सड़कों पर लोगों के समांतर चलती रहती हैं । बस कोई उनको वहां से उठा कर पंक्तिबद्ध करने की जरूरत होती है । कवि बड़ी खूबसूरती से उन्हें शब्दबद्ध करता ताकि हर किसी को वह अपनी कहानी लगे । इसी तरह सैकड़ों आईडिया भी हरतरफ बिखरे रहते हैं बस उन्हें पहचानने वाली आंखें चाहिए ।एक समर्थ व्यक्ति उन्हें पहचान लेता है और उन पर काम करना शुरू कर देता है । यह काम करना शुरू कर देना ही असल में उसकी सफलता की वजह बनता है ।देख जाये तो आज कल आइडियाज और अवसरों की कोई कमी नहीं ,बस जरूरत है अपने बुद्धि और विवेक को एकाग्रचित्त करके सोचने की । ये आइडियास अक्सर तो हर व्यक्ति को दिखाई देते हैं , लेकिन वे उसी के हो जाते हैं , जो पहले लपककर उन पर काम शुरू करता है ।मैंने अक्सर कार्य स्थलों पर भी देखा है बहुत लोगों के पास कार्यस्थल पर बिखरे के आइडियाज को पहचानने की क्षमता होती है जिससे कार्य सरलीकरण में मदद मिल सकती है मगर उनमें से भी कुछ ही लोगों के पास उसको कैज़न के रुप क्रियान्वयन करने की क्षमता होती है। ©Yashpal singh gusain badal' मैं जब भी कोई कविता लिखता हूँ तो वे मेरे अंदर से नही उपजते बल्कि वे अक्सर मुझे सड़कों पर ,गलियों में ,लोगों के चेहरों में, लोगों के व्यवहार,क