Nojoto: Largest Storytelling Platform

New यजुर्वेद के मंत्र Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about यजुर्वेद के मंत्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, यजुर्वेद के मंत्र.

    PopularLatestVideo

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

वातो॑ वा॒ मनो॑ वा गन्ध॒र्वाः स॒प्तवि॑ꣳशतिः। 
तेऽअग्रेऽश्व॑मयुञ्जँ॒स्तेऽअ॑स्मिन् ज॒वमाद॑धुः ॥

पद पाठ
वातः॑। वा॒। मनः॑। वा॒। ग॒न्ध॒र्वाः। स॒प्तवि॑ꣳशति॒रिति॑ स॒प्तऽवि॑ꣳशतिः। ते। अग्रे॑। अश्व॑म्। अ॒यु॒ञ्ज॒न्। ते। अ॒स्मि॒न्। ज॒वम्। आ। अ॒द॒धुः॒ ॥

जो विद्वान् लोग (वातः) वायु के (वा) समान (मनः) मन के (वा) समतुल्य और जैसे (सप्तविंशतिः) सत्ताईस (गन्धर्वाः) वायु, इन्द्रिय और भूतों के धारण करनेहारे (अस्मिन्) इस जगत् में (अग्रे) पहिले (अश्वम्) व्यापकता और वेगादि गुणों को (अयुञ्जन्) संयुक्त करते हैं, (ते) वे ही (जवम्) उत्तम वेग को (आदधुः) धारण करते हैं ॥

Those scholars (vatā) of vayu (vā) equal (manāh) (vā) equivalent of mind and the like (saptvisantih) twenty-seven (gandharvaः) vayu, senses and ghosts (āsmīn) in this world (agra) in the first (ashvām)  ) (Unity) combines the broadness and velocity properties, (te) they (Jvam) hold the best velocity (adhudh).

( यजुर्वेद ९.७ ) #यजुर्वेद #मंत्र #वेद

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

उ॒रु वि॑ष्णो॒ विक्र॑मस्वो॒रु क्षया॑य नस्कृधि।
 घृतं घृ॑तयोने पिब॒ प्रप्र॑ य॒ज्ञप॑तिं तिर॒ स्वाहा॑ ॥

पद पाठ
उ॒रु। वि॒ष्णो॒ऽइति॑ विष्णो। वि। क्र॒म॒स्व॒। उ॒रु। क्षया॑य। नः॒। कृ॒धि॒। घृ॒तम्। घृ॒त॒यो॒न॒ इति॑ घृतऽयोने। पि॒ब॒। प्रप्रेति॒ प्रऽप्र॑। य॒ज्ञप॑ति॒मिति॑ य॒ज्ञऽप॑तिम्। ति॒र॒। स्वाहा॑ ॥

जैसे परमेश्वर अपनी व्यापकता से कारण को प्राप्त हो सब जगत् के रचने और पालने से सब जीवों को सुख देता है, वैसे आनन्द में हम सभों को रहना उचित है। जैसे अग्नि काष्ठ आदि इन्धन वा घृत आदि पदार्थों को प्राप्त हो प्रकाशमान होता है, वैसे हम लोगों को भी शत्रुओं को जीत प्रकाशित होना चाहिये, और जैसे होता आदि विद्वान् लोग धार्मिक यज्ञ करनेवाले यजमान को पाकर अपने कामों को सिद्ध करते हैं, वैसे प्रजास्थ लोग धर्मात्मा सभापति को पाकर अपने-अपने सुखों को सिद्ध किया करें ॥

Just as God attains reason through his comprehensiveness, he creates happiness for all living beings by creating and sustaining the world, so it is appropriate for all of us to live in joy.  Just as fire, wood, fire, etc., are received by such things, we should also illuminate our enemies, and just like that, scholars will prove their works by finding a Yajman who performs religious sacrifices, the people like that  Find your righteous chairman and prove your happiness.

( यजुर्वेद ५.३८ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

परी॒मे गाम॑नेषत॒ पर्य॒ग्निम॑हृषत।
 दे॒वेष्व॑क्रत॒ श्रवः॒ कऽ इ॒माँ२ऽ आ द॑धर्षति ॥

पद पाठ
परि॑। इ॒मे। गाम्। अ॒ने॒ष॒त॒। परि॑। अ॒ग्निम्। अ॒हृ॒ष॒त॒ ॥ दे॒वेषु॑। अ॒क्र॒त॒। श्रवः॑। कः। इ॒मान्। आ। द॒ध॒र्ष॒ति॒ ॥

जो राजपुरुष पृथिवी के समान धीर, अग्नि के तुल्य तेजस्वी, अन्न के समान अवस्थावर्द्धक होते हुए धर्म से प्रजा की रक्षा करते हैं, वे अतुल राजलक्ष्मी को पाते हैं ॥

Those men who protect the people from religion by being patient like Prithivi, glittering like fire, stagnant like food, find Atul Rajalakshmi.

( यजुर्वेद ३५.१८ ) #यजुर्वेद #वेद  #मंत्र

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

नमो॑ विसृ॒जद्भ्यो॒ विद्ध्य॑द्भ्यश्च वो॒ नमो॒ नमः॑ स्व॒पद्भ्यो॒ जाग्र॑द्भ्यश्च वो॒ नमो॒ नमः॒ शया॑नेभ्य॒ऽआसी॑नेभ्यश्च वो॒ नमो॒ नम॒स्तिष्ठ॑द्भ्यो॒ धाव॑द्भ्यश्च वो॒ नमः॑ ॥

पद पाठ
नमः॑। वि॒सृ॒जद्भ्य॒ इति॑ विसृ॒जत्ऽभ्यः॑। विद्ध्य॑द्भ्य॒ इति॒ विद्ध्य॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। स्व॒पद्भ्य॒ इति॑ स्व॒पत्ऽभ्यः॑। जाग्र॑द्भ्य॒ इति॒ जाग्र॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। शया॑नेभ्यः। आसी॑नेभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। तिष्ठ॑द्भ्य इति॒ तिष्ठ॑त्ऽभ्यः। धाव॑द्भ्य॒ इति॒ धाव॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑ ॥

गृहस्थों को चाहिये कि करुणामय वचन बोल और अन्नादि पदार्थ देके सब प्राणियों को सुखी करें ॥

Householders should make all beings happy by uttering compassionate words and giving them everyday food.

( यजुर्वेद १६ .२३ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

अ॒द्भ्यः स्वाहा॑ वा॒र्भ्यः स्वाहो॑द॒काय॒ स्वाहा॒ तिष्ठ॑न्तीभ्यः॒ स्वाहा॒
 स्रव॑न्तीभ्यः॒ स्वाहा॒ स्यन्द॑मानाभ्यः॒ स्वाहा॒ कूप्या॑भ्यः॒ स्वाहा॒ 
सूद्या॑भ्यः॒ स्वाहा॒ धार्या॑भ्यः॒ स्वाहा॑र्ण॒वाय॒ स्वाहा॑ 
समु॒द्राय॒ स्वाहा॑ सरि॒राय॒ स्वाहा॑ ॥

पद पाठ
अ॒द्भ्य इत्य॒त्ऽभ्यः। स्वाहा॑। वा॒र्भ्य इति॑ वाः॒ऽभ्यः। स्वाहा॑। उ॒द॒काय॑। स्वाहा॑। तिष्ठ॑न्तीभ्यः। स्वाहा॑। स्रव॑न्तीभ्यः। स्वाहा॑। स्यन्द॑मानाभ्यः। स्वाहा॑। कूप्या॑भ्यः। स्वाहा॑। सूद्या॑भ्यः। स्वाहा॑। धार्य्या॑भ्यः। स्वाहा॑। अ॒र्ण॒वाय॑। स्वाहा॑। स॒मु॒द्राय॑। स्वाहा॑। स॒रि॒राय॑। स्वाहा॑ ॥

जो मनुष्य आग में सुगन्धि आदि पदार्थों को होमें, वे जल आदि पदार्थों की शुद्धि करने हारे हो पुण्यात्मा होते हैं और जल की शुद्धि से ही सब पदार्थों की शुद्धि होती है, यह जानना चाहिये ॥

Those who are fragrant in the fire, they are purified by purification of water etc. and they are purified by the purification of water, it should be known.

( यजुर्वेद २२.२५ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र #पाठ

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

उ॒प॒प्र॒यन्तो॑ऽअध्व॒रं मन्त्रं॑ वोचेमा॒ग्नये॑। 
आ॒रेऽअ॒स्मे च॑ शृण्व॒ते ॥

पद पाठ
उ॒प॒प्र॒यन्त॒ इत्यु॑पऽप्र॒यन्तः॑। अ॒ध्व॒रम्। मन्त्र॑म्। वो॒चे॒म॒। अ॒ग्नये॑। आ॒रे। अ॒स्मेऽइत्य॒स्मे। च॒ शृ॒ण्व॒ते ॥

(अध्वरम्) क्रियामय यज्ञ को (उपप्रयन्तः) अच्छे प्रकार जानते हुए हम लोग (अस्मे) जो हम लोगों के (आरे) दूर वा (च) निकट में (शृण्वते) यथार्थ सत्यासत्य को सुननेवाले (अग्नये) विज्ञानस्वरूप अन्तर्यामी जगदीश्वर है, इसी के लिये (मन्त्रम्) ज्ञान को प्राप्त करानेवाले मन्त्रों को (वोचेम) नित्य उच्चारण वा विचार करें ॥

(Adhvaram) Knowing Kriyamya Yagya (Upprayant) well, we (Asmay), who are (Agye) far or (f) near (Shrutting) of people (Agni) who listen to the real Satyasatya (Agnay) as the science is the Antaryami Jagadishwar.  (Mantram) Mantras, who receive knowledge, consider (Vochem) the constant pronunciation.

( यजुर्वेद ३.११ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र #आराधना #यज्ञ

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

तपसे शुद्रम

बहुत परिश्रमी ,कठिन कार्य करने वाला ,साहसी और परम उद्योगों अर्थात तप को करने वाले आदि

Very hard working, hard working, courageous and ultimate industries ie those who do penance etc.

( यजुर्वेद ३०.५ ) #यजुर्वेद #वेद #मंत्र #शूद्र #तप #sudras #वर्ण #वर्ण_व्यवस्था

Akash Das

#Who_Is_RealGod कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 #nojotophoto

read more
 #Who_Is_RealGod
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32

Akash Das

#OneTrueGod कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 #nojotophoto

read more
 #OneTrueGod
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32

Akash Das

#OneTrueGod #Sa_news_channel कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 #nojotophoto

read more
 #OneTrueGod 
#Sa_news_channel
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile