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GovindTrue
Sarbjit sangrurvi
रौनक आ जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। मस्ती छा जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। धन्यवाद करूं हरदम तेरा, जंगल में मंगल कर डाला। दिल बागों बाग़ रहता, मीठी मीठी बातें सुनता कहता। तेरे जैसी हुर परी, घर हमें भाग्यशाली बना जाती है। रौनक आ जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। मस्ती छा जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। ©Sarbjit sangrurvi रौनक आ जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। मस्ती छा जाती है, देख कर गुलाब जैसे मुखड़े को। धन्यवाद करूं हरदम तेरा, जंगल में मंगल कर डाला। द
Vedantika
जंगल में मंगल हो गया उनके आने के बाद। मिट गया अँधेरा जो था उनके जाने के बाद। हुई मुकम्मिल ज़िंदगी की हर शाम फिर से, तेरी जुदाई के ग़म में हुई थी जो शाम बर्बाद। वीरान रहा मस्कन मिरा एक अरसे तलक़, आहट सुनते ही तेरे कदमों की हुआ आबाद। कुछ दुआओं का असर हुआ है नसीब पर, बन गया हर शख़्स आज यहाँ पर नौशाद। जंगल की ख़ामोशी में ख़लल पढ़ गया है, तन्हाई हो चली है अब यहाँ पे उम्रदराज़। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_483 👉 जंगल में मंगल होना मुहावरे का अर्थ - वीरान जगह को रौनक से भर देना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भ
Dr Upama Singh
तू जो साथ होती है घर में रौनक सी रहती है तेरी गूंजती हँसी से मेरे वीरान पड़े घर हृदय और सुने जीवन में जंगल में मंगल होता है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_483 👉 जंगल में मंगल होना मुहावरे का अर्थ - वीरान जगह को रौनक से भर देना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भ
Manju Sharma
तेरा होना मेरी जिंदगी में, जैसे जंगल में मंगल है, बंजर पड़ी इस दिल की जमीन पर, तेरा प्यार मोहब्बत का सागर है, तुम जब नहीं थे जिंदगी में, सब कुछ जैसे विराना था, तेरे आने से जैसे महका मेरा जीवन है। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_483 👉 जंगल में मंगल होना मुहावरे का अर्थ - वीरान जगह को रौनक से भर देना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भ
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# मकानों के जंगल में मंगल नहीं सब दंगल है । मकानों के जंगल में दिल नहीं दिमाग है। मकानों के जंगल में हम लोग नहीं जानवर बन गए है। मकानों के जंगल में हम संस्कार नहीं बलात्कार हो रहे है। मकानों के जंगल में बड़ों की इज्जत नहीं, घरों में नहीं वृद आश्रम में तब्दील हो रहे है। मकानों के जंगल में सुख शांति नहीं बेचैनी रहने लगी है। मकानों के जंगल में सुख नहीं कलह में तब्दील होते जा रहे है। मकानों के जंगल में औरत के सम्मान को समझने वाले ज़ख्म देने वाले बढ़ते जा रहे है। मकानों के जंगल में जहां औरत की इज्जत नहीं वहां कभी बरकत नहीं हो सकती। बुजुरगो का आशीर्वाद नहीं वो मकान कभी घर नहीं बन सकता। #मकानोंकेजंगल #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# मकानों के जंगल
ज़िंदादिल संदीप
#OpenPoetry बागी सा परिंदा हूं मैं..अक्सर खुद से ही शर्मिंदा हूं मैं.. खुदा ने जो बनाई बेमिसाल सी कुदरत.. हां वहां का बाशिंदा हूं मैं .. कब जाना ..कब समझ सका दर्द तेरे .... ए मेरे दोस्त बेजुबान.. हरगिज़ नहीं इंसान रहा..लालच भरा दरिंदा हूं मैं .. जंगल बचाओ ...मंगल बनाओ..