Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best poetessprachimishra Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best poetessprachimishra Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos aboutpoetry in hindi on love, hindi poetry on love, love poetry for her, love poetry for him, love poetry in hindi,

  • 1 Followers
  • 8 Stories

Prachi Mishra

Prachi Mishra

शब्द और समय दोनों बहुत कीमती हैं सोच समझकर खर्च कीजिये.....#poetessprachimishra #motivate #प्राचीमिश्रा

read more

Prachi Mishra

सच सच कहना क्या दिखता है... #poetessprachimishra #Hindi

read more

Prachi Mishra

बहुत पढ़ा लिखा वो इक अनपढ़ मेरी आँखों का ककहरा भी न पढ़ पाया था वो तो कहता था तेरे गीत का मैं किस्सा हूँ जिसको इक शब्द भी समझ में नहीं आया था #poetessprachimishra #poetessprachimishra #prachimishra #प्राचीमिश्रा

read more
बहुत पढ़ा लिखा वो इक अनपढ़
मेरी आँखों का ककहरा भी न पढ़ पाया था 
वो तो कहता था तेरे गीत का मैं किस्सा हूँ 
जिसको इक शब्द भी समझ में नहीं आया था

©Prachi Mishra बहुत पढ़ा लिखा वो इक अनपढ़
मेरी आँखों का ककहरा भी न पढ़ पाया था 
वो तो कहता था तेरे गीत का मैं किस्सा हूँ 
जिसको इक शब्द भी समझ में नहीं आया था 
#poetessprachimishra
#poetessprachimishra
#prachimishra
#प्राचीमिश्रा

Prachi Mishra

दूर सरहद पर भारत माता की सेवा करते हुए एक भारत माँ का लाल मेरी कविता पढ़ रहा है.... सुनकर मेरी आँखें नम हो गयीं ये कविता मैंने उनके लिए ही लिखी थी..... WeYo साहित्य #poetessprachimishra #jaijawanjaikisan

read more

Prachi Mishra

खामोशी से सुनाते हैं शोर दिल का जैसे समंदर सा हो छोर दिल का आता है मचल कर लबों तक ऐसे जैसे मिलन लहर और साहिल का बता दे कोई हल दिल ए मुश्किल का कोई तो रास्ता होगा सुकूं हासिल का जिसकी सूरत में दिखा नूर खुदा का

read more

Prachi Mishra

Thoughts

read more
वह भोजन का प्रथम कौर
जब जिह्वा पर रखते तुम
बाँध टकटकी तुम्हें ताकती 
कैसा अनुभव करते तुम
क्या माँग रही ये दृष्टि हमारी
भावों से वो सब कहते तुम
अब ये खूब समझते तुम

तीखा,मीठा,नमक आदि 
सब डाला चुन चुन मानक में
कहीं मसाले की गमगम थी
कहीं मलाई पालक में
बस चित्र तुम्हारा था मानस पर 
कैसे भोजन ये चखते तुम
अब ये खूब समझते तुम

आशाएं कितनी पकीं आँच पर
धीमी धीमी महकी सौंधी सी
स्वेद समेटा मुख काँछ कर
पल्लू की एक किनारी थी
ताप भाप सब सुखद लगा
जब सोचा कैसे हँसते तुम
अब ये खूब समझते तुम

अहा! रस आ गया भोज का
यदि मुख भावों से कहते तुम
पारितोषिक मिल जाता मुझको
अधरों से कुछ ना कहते तुम
हर घर की है यही कहानी
क्या इतना भी करते तुम
अब ये खूब समझते तुम
★★★
©प्राची मिश्रा
#poetessprachimishra

©Prachi Mishra #Thoughts

Prachi Mishra

#humantouch

read more
कभी अंतस की पीर में
 कभी अतीत की तस्वीर में
कभी व्यथा के संग में
कभी मैं और तुम की जंग में
कभी खामोशी के शोर में
कभी बातों के शांत छोर में
कभी आकाश के रंग में 
कभी शीतल पवन के अंग में
खोज रही हूँ बहुत दिनों से
 जैसे कुछ खोया है मेरा

न तन्हा हूँ 
न हूँ मैं उदास
मेला सा रहता है 
हर पल आसपास
न चिन्ता के साये हैं
न है कोई आस
फिर भी है क्यों 
मन में ये प्यास
वो है क्या ? 
वो कैसा है दिखता?
खोज रही हूँ बहुत दिनों से
जैसे कुछ खोया है मेरा..

भौतिक सुखों की 
ये कैसी है माया
सारे जग को
 कैसा है भरमाया
उँगली पे कैसा
नाच नचाया
पल में टूटेगी
ये मिट्टी की गुड़िया
घुल जाएगी जैसे
कागज़ की पुड़िया
यूँ ही चलता रहेगा
 ये सारा कारोबार
कोई तो बता दे
 सच्चे सुख का सार
खोज रही हूँ बहुत दिनों से
जैसे कुछ खोया है मेरा

जिसका है जितना
उतना ही मिलेगा
ये मानव मन है
कभी न भरेगा
कुछ भी नहीं
बस धुँआ ही धुँआ है
न छुआ किसी ने
न ये किसी का हुआ है
जाने ये भटकन कहाँ खत्म होगी
मिलेगी वो लौ कब 
दूर कब रज तम ये होगी
कभी मुझ में कभी तुझ में
खोज रही हूँ बहुत दिनों से
जैसे कुछ खोया है मेरा
★★★
©प्राची मिश्रा
#poetessprachimishra

©Prachi Mishra #humantouch

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile