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@thewriterVDS
"अनुराधा ओस" जब भी मिलूँ मैं तुमसे वैसे ही जैसे कोई पहाड़ी नदी पत्थरों से जैसे नमक के कटोरे में चुटकी भर चीनी जैसे धान की बाली में भरी दूधी मैं मिलना चाहती हूँ वैसे ही जैसे बीज बोती औरत जैसे विदाई के गीत गाती हो कोयल अशोक के पेड़ों पर जैसे पहाड़ों कीओर से मिलने आए बरसों से बिछुड़ा कोई जैसे रोपनी के बाद ख़ुशी के गीत गाती आदिवासी औरतें वैसे ही पसीने से पसीजे ख़त जो हथेलियों में बँधे रह गए हों जैसे पत्थरों को तोड़कर रोटी बनाता हो कोई। ©@thewriterVDS जब भी मिलूं #अनुराधाओस #नदी #पत्थर #चीनी #धान #दूध #बीज #औरत #विदाई #Parchhai
Mr RN SINGH
Rumaisa
ये मेरे झूमके की कलियां जैसे हो धान की बालियां ©Rumaisa #jhumka #baliyan #धान
HariOm Patidar
किसी ने मुकद्दर को लिखा किसी ने भरपेट लिखी भूक पर कविता, मै था किसान साहब मैने भूख की रोटी को लिखा ©Hariom Patidar #किसान #किसानआंदोलन #भूख #कविता #धान #कवि Author kunal kanth Lotus banana (Arvind kela) Mukesh Poonia विवेक ... . . Rakesh Srivastava
Alok gaud
पनप रहा है दूधिया नवजात, परिपक्व होकर बनेगा भात। -आलोक गौड़ #alokgaud #धान kavi gyanendra prkash Abhi Tiwari चिन्तन MR NAVROJ TEJANI
neerajthepoet
ख्वाहिशें रोप दी जाती है खेतों में धान की तरह. मानो ये एक दिन ज़मी को आसमाँ कर देंगी जिसमे उग आएंगे चाँद-तारे. यूं तो सपने भी बोए जाते है आँखों मे जिसको सींचा जाता है ... हर रात सुब्ह होने तक. ~नीरज @neerajthepoet ख्वाहिशें रोप दी जाती है खेतों में धान की तरह मानो ये एक दिन ज़मी को आसमाँ कर देंगी जिसमे उग आएंगे चाँद-तारे. यूं तो सपने भी बोए जाते है आँखों मे जिसको सींचा जाता है हर रात सुब्ह होने तक. ~नीरज
Dilipkashyap
जो लोगों की भूख मिटाती है जो किसानों की शान बढ़ाती है वो है हमारी अन्नपूर्णा धान #धान
Khushbu Rawal Khushi
मेरा कौन???सब हो जाते मौन सफलता मिले तो साथ है सब असफलता मिले तो साथ है रब मेरा कौन???तन या मन संसार में जीने के लिए तन सावारें संसार से मुक्ति के लिए मन सवारें मेरा कौन???धन या धान धन का आभाव जीने नहीं देता धान का आभाव से जी नहीं पाते मेरा कौन???प्यार या परिवार प्यार सच्चा हो तो परिवार साथ है प्यार नहीं हो,तो परिवार संग भी तू अनाथ है मेरा कौन?में या मैं में कर सकता हूं, विश्वास बढ़ाता मैं ही कर सकता हूं,नाश कर देता मेरा कौन??? सम्मान या अभिमान बनो सही इंसान तो बढ़ेगा सम्मान बढ़ा अभिमान तो बन जाओगे शैतान मेरा कौन???करले थोड़ा ध्यान खुद ही झाक अपने अंतर्मन खुद ही जवाब पायोगे करो सवाल तुम मेरा कौन???सब हो जाते मौन सफलता मिले तो साथ है सब असफलता मिले तो साथ है रब मेरा कौन???तन या मन संसार में जीने के लिए तन सावारें संसार से मुक्ति के लिए मन सवारें मेरा कौन???धन या धान धन का आभाव जीने नहीं देता
G.p. Aulakh
 किसान पर कविता – Kisan par Kavita in Hindi – Bhartiya Kisan Par Kavita – Poem on Farmer Homepage Hindi Lekh kavita  किसान वर्ग हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है| यह हमारे अन्न दाता है| इनकी मेहनत और परिश्रम के वजह से हम सब 2 वक्त का खाना खा पा रहे है| भारत में अजा के समय में हर साल लगभग 3 से लेकर चार हजार किसान आत्महत्या कर लेते है| इस दुखद घटनाओ की वजह अनाज के बदले काम रकम मिलना, बारिश न आना, आदि है| आज के समय में भी भारत के किसानो को वो लाभ नहीं मिल पाए है जिसके वे हकदार है| आज के इस पोस्ट में हम आपको जय जवान जय किसान पर कविता, किसान पर कविता इन हिंदी, किसान पर हिन्दी कविता, किसान आत्महत्या पर कविता, किसान पर हिंदी कविता, गरीब किसान पर कविता, किसान दिवस पर कविता, इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल कविता प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये कविता खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है| भारतीय किसान पर कविता अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है किसान पर कविता पर कविता लिखें|आइये अब हम आपको किसान की मेहनत पर कविता, खेती पर कविता, किसानों पर कविता, किसान par kavita, भारतीय किसान पर निबंध इन हिंदी, किसान पर छोटी कविता, भारत के किसान पर निबंध, किसानों की दुर्दशा पर कविता, किसान पर शायरी, किसान आंदोलन पर कविता, किसान के दर्द पर कविता, किसान पर कविताएं, किसान की बदहाली पर कविता, किसान और जवान पर कविता आदि की जानकारी देंगे जिसे आप whatsapp, facebook व instagram पर अपने groups में share कर सकते हैं| बूँद बूँद को तरसे जीवन, बूँद से तड़पा हर किसान बूँद नही हैं कही यहाँ पर गद्दी चढ़े बैठे हैवान. बूँद मिली तो हो वरदान बूँद से तरसा हैं किसान बूँद नही तो इस बादल में देश का डूबा है अभिमान बूँद से प्यासा हर किसान बूँद सरकारों का फरमान बूँद की राजनीति पर देखों डूब रहा है हर इंसान. कड़ी धूप हो या हो शीतकाल, हल चलाकर न होता बेहाल. रिमझिम करता होगा सवेरा, इसी आस में न रोकता चाल. खेती बाड़ी में जुटाता ईमान, महान पुरूष हैं, है वो किसान. छोटे-छोटे से बीज बोता, वही एक बड़ा खेत होता. जिसकी दरकार होती उसे, बोकर उसे वह तभी सोता. खेतो का कण-कण हैं जिसकी जान, महान पुरूष है, है वो किसान. Kisan Par Kavita  हो विष्णु तुम धरा के, हल सुदर्शन तुम्हार !! बिना शेष-शैया के ही, होता दर्शन तुम्हारा !! पत्थर को पूजने वाले, क्या समझेंगे मोल तेरा !! माँ भारती के ज्येष्ठ सुत, तुमको नमन हमारा !!! लिखता मैं किसान के लिए मैं लिखता इंसान के लिए नहीं लिखता धनवान के लिए नहीं लिखता मैं भगवान के लिए लिखता खेत खलियान के लिए लिखता मैं किसान के लिए नहीं लिखता उद्योगों के लिए नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए लिखता हूँ सड़कों के लिए लिखता मैं इंसान के लिए क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई नहीं उम्मीद इसकी मुझे खेत खलियान में बीज ये बो दे सड़क का एक गढ्ढा भर देती ये काफ़ी इंसान के लिए लिखता हूँ किसान के लिए लिखता मैं इंसान के लिए आशा नहीं मुझे जगत पढ़े पर जगत का एक पथिक पढ़े फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए पिछड़े भारत से ज़्यादा भूखे भारत से डरता हूँ फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ फिर किसान पर लिखता हूँ क्योंकि लिखता मैं किसान के लिए लिखता मै इंसान के लिए किसान की दुर्दशा पर कविता साथ ही देखें भारतीय किसान पर निबंध संस्कृत में, भारतीय किसान पर निबंध लिखे, किसान पर निबंध हिंदी में, किसान पर निबंध इन हिंदी, भारत किसान पर निबंध, किसान पर कविता हिंदी में, किसान पर आधारित कविता, किसान पर कविता राजस्थानी, किसानों पर कविताएं का सम्पूर्ण कलेक्शन| जय भारतीय किसान तुमने कभी नहीं किया विश्राम हर दिन तुमने किया है काम सेहत पर अपने दो तुम ध्यान जय भारतीय किसान. अपना मेहनत लगा के रूखी सूखी रोटी खा के उगा रहे हो तुम अब धान जय भारतीय किसान. परिश्रम से बेटों को पढ़ाया मेहनत का उनको पाठ सिखाया लगाने के लिए नौकरी उनको किसी ने नहीं दिया ध्यान जय भारतीय किसान. सभी के लिए तुमने घर बनाए अपने परिवार को झोपडी में सुलाए तुमको मिला नही अच्छा मकान जय भारतीय किसान. लोकगीत को गा के सबके सोए भाग जगा के उगा रहे हो तुम अब धान जय भारतीय किसान. बंजर सी धरती से सोना उगाने का माद्दा रखता हूँ, पर अपने हक़ की लड़ाई लड़ने से डरता हूँ. ये सूखा, ये रेगिस्तान, सुखी हुई फसल को देखता हूँ, न दीखता कोई रास्ता तभी आत्महत्या करता हूँ . उड़ाते हैं मखौल मेरा ये सरकारी कामकाज , बन के रह गया हूँ राजनीती का मोहरा आज . क्या मध्य प्रदेश क्या महाराष्ट्र , तमिलनाडु से लेकर सौराष्ट्र , मरते हुए अन्नदाता की कहानी बनता, मै किसान हूँ ! साल भर करूँ मै मेहनत, ऊगाता हूँ दाना , ऐसी कमाई क्या जो बिकता बहार रुपया पर मिलता चार आना. न माफ़ कर सकूंगा, वो संगठन वो दल, राजनीती चमकाते बस अपनी, यहाँ बर्बाद होती फसल. डूबा हुआ हूँ कर में , क्या ब्याज क्या असल, उन्हें खिलाने को उगाया दाना, पर होगया मेरी ही जमीं से बेदखल. बहुत गीत बने बहुत लेख छपे की मै महान हूँ, पर दुर्दशा न देखी मेरी किसी ने, ऐसा मैं किसान हूँ ! लहलहाती फसलों वाले खेत अब सिर्फ सनीमा में होते हैं, असलियत तो ये है की हम खुद ही एक-एक दाने को रोते हैं. #MeraShehar