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Dileep Bhope

#वारी

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Gaurav Pramod Deshpande

वारकरी #Krishna

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निघालो घेऊन पादुका साधू संतांच्या
                              संगे टाळ मृदूंगाचा नाद !
नचूकता दरवर्षी करतो वारी
                      संगे विठुरायच्या भेटीची आस!



       #गौरवMania
#वारी वारकरी 

#Krishna

Shankar Kamble

*संत सज्जनांचा भार* 
 *वैष्णवांची मांदिआळी* 
 *वाळवंटी भीमा तीरी* 
 *नाद मृदंग चीपळी!!१!!* 

 *विरक्तीचा भाळी टिळा* 
 *करी वैराग्य पताका* 
 *षडरिपुंचा काकडा* 
 *होय तूच ज्ञाना, तुका!!२!!* 

 *मुखी यज्ञ नाम घोष* 
 *फिटे संसार पारणे* 
 *नेत्रं तृप्त सुखावती* 
 *रूप सावळे देखणे!!३!!* 

 *घेतां चरणांशी मिठी* 
 *बंध प्रारब्ध तुटले* 
 *गळागळी भेट झाली* 
 *माझे "मी"पण सुटले!!४!!* 

 *दीन पतीत दुबळा* 
 *आतां एकची मागणे* 
 *पुन्हा नको जन्म फेरा* 
 *विठू हेची रे सांगणे!!५!!*

©Shankar Kamble #वारी #विठ्ठल #विठ्ठल_रखुमाई #वारी_आयुष्याची #वारी_जांऊ #पंढरपूर #कृष्ण 

#NojotoRamleela

Shankar Kamble

पंढरीच्या वाटे!भार वैष्णवांचा!
 सोहळा सुखाचा! अनुपम!* 

 माया मोह बंध! उतरले पार!* 
 तरला सागर !जड जीवा!* 

 देहाची ना शुद्ध! चित्त गुंतलेले!* 
 नामात दंगले !रामकृष्ण!* 

 *मुखी घेता नाम !शीण हा सरला!
 भरून उरला! देहांघटी!* 

 सवे चालवितो !भार तो वाहतो!* 
 नेत्रां दाववितो! पाप पुण्य!* 

 ओढ अंतरीची !अंतराला ठावी!* 
 गळाभेट व्हावी !मनीं आस!* 

 *पायी लोटांगण !आसवे प्रक्षाळी!
 चरणे सावळी !विठुराया!* 

 कंठ सद्गगदित !भाव ही खुंटले!* 
 विकार लोपले! दर्शनाते!*

©Shankar Kamble #वारी #विठ्ठल_रखुमाई #विठ्ठल_विठ्ठल #वारी #वारी_आयुष्याची #दिंडी #पंढरपूर #विठ्ठल

Shankar kamble

*पंढरीच्या वाटे।धावे मन वेडे।* 
 *संसाराचे कोडे।सोडवी तू।* 

 *डोळा वाहे नीर।सुटलासे धीर।* 
 *पाहण्या अधीर।सावळ्याला।* 

 *बहु तापलो मी।संसार या तापे।* 
 *जमविली पापे।नानाविध।* 

 *नेत्रांची काहिली।तूच करी शांत।* 
 *आता ना उसंत।क्षणभरी।* 

 *चरणाशी मिठी।देवू अलिंगन।* 
 *हृदयाची खूण।हृदयाला।* 

 *गण गोत्र तोची।भीमा तटी उभा।* 
 *चैतन्याचा गाभा।शोभतसे।* 

 *पामर पतित।कैसा येवू पुढे।* 
 *विषयां सवडे।निरवावे।* 

 *पुण्याची शिदोरी।आज फळा* *आली।* 
 *भेटाभेट झाली।पांडुरंगे।* 

 *मागणें न काही।आता उरे काय।* 
 *समरस साय।दुग्धासवे।*

©Shankar kamble #विठ्ठल #वारी #पंढरीचीवारी #विठू_माऊली #विठ्ठल_रखुमाई

Shankar kamble

आसावला जीव।ओसंडला भाव।
अंतरीचा ठाव।सावळ्या तू।।१।।

कातर मनाला।आठवं क्षणाला।
काकडा ओवला।देहरूपी।।२।।

मनं ओढावते।दर्शनांते आस।
जीवां रात्रंदिस।ध्यास तूझा।।३।।

तोडीयले बंध।पाश मायारुपी।
अंतरी स्वरूपी।तूच सदा।।४।।

काय करू सांग।चित्त उसवले।
पाहतो वाटुले।पंढरीची।।५।।

अंतरी उमाळा।तोची घननीळा।
सांगू लडिवाळा।गूज मनीं।।६।।

नाद प्रसवला।परब्रह्म देहीं।
मनाचियां डोही।नाद रंगे।।७।।

देहादेही एक।भाव समरूप।
पापांचे कळप।सुटती बां।।८।।

मागणें न दुजें।आतां उरे काही।
मनीं वसे ठायी।पांडुरंगे।।९।।

श्री. शंकर नागनाथ कांबळे

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Shiprika Saxena Acharya

मथुरा के बंदीगृह में ये चमत्कार हुआ था आज ही के दिन तो सृष्टि का आधार हुआ था देवकी और वासुदेव तो नाहक ही चिंतित थे समझे नहीं कि उनके जीवन में आज हर्ष आपार हुआ था सात सात नवजात शिशुओं का हत्यारा आज आखिरकार काल का आहार हुआ था

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मथुरा के बंदीगृह में ये चमत्कार हुआ था
आज ही के दिन तो सृष्टि का आधार हुआ था

देवकी और वासुदेव तो नाहक ही चिंतित थे
समझे नहीं कि उनके जीवन में आज हर्ष आपार हुआ था 

सात सात नवजात शिशुओं का हत्यारा
आज आखिरकार काल का आहार हुआ था 

सहमा घबराया फिरता था वो भाग्य का मारा 
उस पापी कंस की शांति में तो अब हाहाकार हुआ था  

फिर भी सही मायनो में मुक्त हुआ था वो, मोक्ष मिला था उसे 
माधव, मुरारी के हाथों जो उसका उद्धार हुआ था 

जन्म भूमि और बाल्यास्थान दोनों ही कृतज्ञ हुए
दोनों को ही ईश्वर का प्रत्यक्ष साक्षात्कार हुआ था 

मथुरा से लेकर वृन्दावन की धरती हर्षायी थी
कि बाल गोपाल के आने का शुभ समाचार हुआ था 

नन्द बाबा और यशोदा मैया भी वारी वारी जाते थे
उन्हें ईश्वर के माता पिता बनने का अधिकार हुआ था 

सारे वृन्दावन वासी आकर्षित हो उठते थे
ऐसा माखनचोर का सबके प्रति व्यवहार हुआ था 

ईश्वरीय महिमा का गुणगान कुछ शब्दों में करना सर्वदा कठिन है
बस इतना ही, इस शुभ दिन के चलते जन्माष्टमी का त्यौहार हुआ था मथुरा के बंदीगृह में ये चमत्कार हुआ था
आज ही के दिन तो सृष्टि का आधार हुआ था

देवकी और वासुदेव तो नाहक ही चिंतित थे
समझे नहीं कि उनके जीवन में आज हर्ष आपार हुआ था 

सात सात नवजात शिशुओं का हत्यारा
आज आखिरकार काल का आहार हुआ था

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