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poonam atrey
*** सामाजिक दायरा ( चिंतन ) *** कोई एक व्यक्ति नही पूरा वर्ग समूह मिलकर समाज को बनाता है और व्यक्ति समाज मे रहकर समाज से अलग थलग नही रह सकता । व्यक्ति का व्यवहार ,आदते ,रहन सहन सभी कुछ इसी सामाजिक दायरे के अंतर्गत आती हैं । समाज ही हमारी हदें तय करता है ,ये दायरा इतना विशाल है कि हम चाह कर भी इससे भाग नही सकते ।कुछ नियम ,कुछ बातें ऐसी हैं जिनका हम दैनिक जीवन मे अनुसरण करते हैं । हालाकि आज की पीढ़ी इस दायरे को बन्धन मानने लगी है ।परन्तु सच तो यही है कि ये समाजिक दायरा ही है जो कई बार हमें अनुचित करने से रोक लेता है ।उसका कारण यही सामाजिक भय या नीति नियम जिससे हम आज भी बंधे हुए हैं और अपनी संस्कृति को भी बचाये हुए हैं ।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #सामाजिकदायरे Rajesh Arora Sita Prasad Anshu writer Bhavana kmishra Shilpi Singh Mukesh fan karoake singer अजनबी Puja Udeshi Ambika Mallik कवि संतोष बड़कुर Senty Poet Badal Singh Kalamgar Bhardwaj Only Budana Anil Ray Ranjit Kumar sana naaz Motivational indar jeet guru सचिन सारस्वत RUPENDRA SAHU "रूप" PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' Utkrisht Kalakaari "ARSH"ارشد Atri Vikas " Sagar " R K Mishra " सूर्य " भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Sunita Pathania Anuja sharma काव्यार्पण @gyanendra pandey Poonam Su
Aditi mannulalji Agrawal
में सिमटी हुई सोच अपना मूल और मोल दोनों खो देती है।- अदिति अग्रवाल 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Insprational Qoute
बढ़ाये जो कदम मैंने अपने हक के लिए तो, बीच मे आ गए सामाजिक दायरे बन दीवार, बांध बेड़ियाँ पैरों में मुझे न आगे बढ़ने दिया, दबा दी गई मेरी आवाज़ फिर मैं गई थी हार, हर शख्स को समझा अपने जीवन का हिस्सा, कभी न कद्र की मेरी हर बार कहा तू है बेकार, हर रिश्ते को दिल से निभाया,न की शिकायत, मात्र प्रजनन मशीन समझे,कहे न ये तेरा संसार, न कभी अनदेखा करो न करो कभी तिरस्कार, ये बढ़ाये कुल की रीत,यहीं हैं जीवन आधार। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
नरेश होशियारपुरी
लोगों ने खुद ही इस समाज को बनाया है। उसी समाज ने अपने जाल में सबको फंसाया है। आज़ाद देश पर सोच गुलामों जैसी देखो। इसी सोच की बजह से देश ना आगे बढ़ पाया है। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
नरेश होशियारपुरी
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Divyanshu Pathak
उन्मुक्त होकर उड़ने नहीं देते, निडरता से मुक्त आकाश में। बना कर रख लेना चाहते हैं! पिंजरे का पंछी अधिवास में। ये बंधन तोड़ने छटपटाती हूँ, लड़-झगड़ बिखर जाती हूँ। सुनो!ये सामाजिक दायरे- मुझसे छीन लेते हैं स्तंत्रता! और मुझे कर देते है-तुम पर, निर्भर--- जब तुम मुझे मुक्त करते हो, देते हो उड़ने आकाश- तो लगता है दुनिया मैं ही तो, चला रही हूँ। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Prerit Modi सफ़र
एक विश्व है एक कुटुंब है, सदियों से यही रीत है एक जमीं है एक आसमां है, सब की सब से प्रीत है 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
DR. SANJU TRIPATHI
जीवन ज्वालाओं से तपकर, स्वर्णिम हो सकता है दुनियां में हर इंसान। जो अपने अधिकारों को ना जाने, ना समझे, वह इंसान है पशु समान। सामाजिक दायरों में बंधी हुई है, दुनियां में यहां जिंदगी प्रत्येक नारी की। सामाजिक दायरें तोड़कर ही बना सकती है, जिंदगानी अपनी कल की। अपमान और तिरस्कार को सहना छोड़कर, खुद के लिए लड़ना ही पड़ेगा। गर चाहिए सम्मान, तो खुद को शिक्षा व मेहनत से आबाद करना पड़ेगा। सामाजिक दायरे बनाए हैं, इंसानों ने इंसानों के लिए समाज की खातिर। हर इंसान पुरुष हो या नारी, है एक बराबर सभी को समझना ही पड़ेगा। नारियों को जो महज उपभोग की वस्तु समझते हैं, सोच बदलनी होगी। नारी बिना नर ना होगा, नारी ही है जननी, ये बात स्वीकार करनी होगी। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Writer1
अपने सामाजिक दायित्व को हम आसानी से आंक सकते हैं, औरत !...को क्या मिली है इज्ज़त यह हम पहचान सकते हैं, आए दिन दिल्ली या कहीं और नई ख़बरें सुनने को मिलती है, ये घटिया समाज औरत को भी सामाजिक दायरे में रहने की सलाह देता है। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
Nasamajh
हमेशा स्त्रि के लिए हीं क्यों होते हैं ?? पुरूषों के लिए क्यों नहीं...?? कोई दायरा बनता है इस पुरूष नग्न सामाज में ।। 🎀 Challenge-403 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए।