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Krish Vj
चतुर्थ रचना :- स्त्री (त्रिभुजाकार कविता) मैं.. हूँ स्त्री, जीवन विस्तृत पर, कैद हूँ रीति-नीति की कैद में, जीवन मेरा पर हुकुम चलता है किसी और का इस जीवन पर, मैं मात्र साधन, पुरुष के जीवन कर्म मेें उसका साथ देना ही जीवन तय किया है इस समाज ने मेरा, कठपुतली बनकर रह गई हूँ मैं, समाज की यही रस्में और क़समें लील गई, हँसता खेलता बचपन, जवानी और सर्वस्व मेरा जो दिया विधाता नेे मुझे मेरा सृजन करते हुए, तिरस्कृत उपहास की पात्र हवस भरी सबकी नज़रे, जो इंतज़ार में है बस "जिस्म" को नोचने को मेरे..!! #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkhbd2022 #अल्फाज_ए_कृष्णा
Nitesh Prajapati
स्त्री स्त्री कहो तो, संसार का गहना, आदि शक्ति का रूप, या फिर लक्ष्मी का स्वरूप, लेकिन है ये तो घर की रौनक ही, घर की लक्ष्मी खुश तो सारा घर खुश, सहनशीलता की सूरत,समर्पण की मुरत, उड़ती खुले आसमा में आज़ाद परिंदे की तरह, दिल मे जज़्बा लेकर चलती अपनी मंज़िल की तरफ, और देती पैग़ाम दुनिया को के हम भी किसी से कम नहीं। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-4 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़
nvn ki dairy
(स्त्री दर्पण,स्त्री समर्पण) गर्भ से ही दुत्कारा जाता,क्या यही हमारा समाज है गर्भ में पड़ी बच्ची करती सवाल,क्या स्त्री होना पाप है।गर्भ से आई, न घर परिवार किसी ने खुशी मनाई,समझो तो यह भी एक इंसान है,क्या स्त्री होना पाप है। घर में रखा लड़की को,लड़के को MBA पास करवाई,समझा भेद,रखा घर में कैद,,क्या स्त्री होना पाप है।शादी करके कर दी पराई,पूरी प्रॉपर्टी लड़के ने ठहराई,न घर पर कोई अधिकार है,क्या स्त्री होना कोई पाप है।स्त्री दर्पण,स्त्री समर्पण ,समझो तो स्त्री ही संसार है,क्यों पुरुष प्रधान समाज है,क्या स्त्री होना पाप है। #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
Divyanshu Pathak
स्त्री के बारे में --------------- मुझे नहीं मालूम कि दुनिया उसे कैसे देखती है मेरा अपना निजी मत है कि स्त्री और पुरूष महज़ देह तो नहीं पुरुष प्राण है तो स्त्री प्राण का पोषण वह धात्री है ,धरती है, अग्नि है, शक्ति है क्योंकि जब भी आप उसको कुछ देते हैं तो वह देने वाले को कई गुना करके बापस लौटाती है प्रेम देकर देखो तो अपना सर्वस्व प्रेमी के नाम करदे क्रोध और तिरस्कार किया तो वह समूल नाश भी करदे देने का यह भाव ही उसे देवी के रूप में प्रतिष्ठित करता है सभ्यताओं के विलोपन,संस्कृतियों के संक्रमण ने बदला उसे वो केवल देह बनकर रह गई देह के इर्द गिर्द घूमती उसकी दुनिया इतिहास के अनुसार जब जब स्त्री को महज़ देह माना गया तब तब वह शोषण का शिकार हुई और अबला बनकर रह गई स्त्री के स्वरूप पुनः बापस लाने के लिए जब वह स्वयं संघर्ष करने पे आती है तब-तब दुनिया में बड़े बदलाव का कारण बनी आधुनिक नारी में झलक दिखती है। #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkhbd2022 #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण
Tarot Card Reader Neha Mathur
स्त्री तू है जननी शिव-शक्ति ऋषि मुनि वंदित शीतलता विनय पूर्ण भक्ति में सेवाभाव विभोर प्रेम प्रीत का अमरत्व वचन गृह की ज्योति लक्ष्मी स्वरूपा रुप हठी सावित्री पतिव्रता मूरत सरस्वती रूपा विद्या ज्ञान-धन पूर्णा वैभव ऐश्वर्य दिव्यता अर्धांगिनी अन्नपूर्णा शत शत नमन तेरा हर रूप तू शक्ति स्वरूपा कोरा काग़ज़ जन्मदिन महाप्रतियोगिता चौथा चरण:- त्रिभुजाकार कविता शीर्षक:-स्त्री #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkजन्मदिन #kkजन्मदिन_4 #kkhbd2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ Pic credit:- google images
DR. SANJU TRIPATHI
त्रिभुजाकार कविता स्त्री मैं स्ञी हूं तो क्या हुआ? इस समस्त ब्रह्माण्ड की रचयिता, सृष्टिकर्ता मैं ही तो हूं। मेरे अस्तित्व से जुड़ा सबका अस्तित्व है, मैं ही तो वंश की बेल को आगे बढ़ाने वाली हूं। स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ? मैं ही तो हर घर के आंगन में उजियारा भरती हूं। बेटी, मां, बहन और पत्नी के हर रूप में मैं हूं। मैं अपने सारे ही फर्ज निभाती हूं। स्ञी हूं मैं तो क्या हुआ ? परिवार का स्वाभिमान और दो कुलों की मान मर्यादा हूं। पुरूषों से कम नहीं मैं स्वयं में ही सर्वशक्तिशाली व अस्तित्व बनाने वाली हूं। स्त्री हूं मैं तो क्या हुआ? मैं भी धरती से अंबर तक परचम लहरा सकती हूं खेत व खेल के मैदानों से सरहद व हिमालय तक नाम कर सकती हूं। रचना क्रमांक -4 स्त्री -16/10/2022 #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_4 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़
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स्त्री मैं एक बेटी एक नारी सभी किरदारों का समावेश हूँ मैं,हिदायतें मिलती है बहुत मुझे बेशुमार हद में रहना बखूबी जानती हूँ मैं,जगत-जाग्रत संदेश समाज में "सम्मान नारी को मिलता है समान"जानती हूँ मैं भरपूर कितना मिलता सम्मान जीती जागती कठपुतली हूँ मैं, चौथी रचना स्त्री त्रिभुजाकार कविता #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #KKजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #KKजन्मदिन #KKजन्मदिन_4 #KKHBD2022 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
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