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Insprational Qoute
काव्योगिता:-4 ******************* आज भी दिल हलाहल बोल रहा हाला, आज तेरे नैनो के अश्कों के जाम का पियेंगे प्याला, तृष्णा न हमारी तू जान सकेगा साकी, तुझें चाहने की मोहब्बत में, आज तेरे नाम के फूलों से सजायेंगे महकती मधुशाला। फिर एक एक कर बालो में तू इन्हें सजाना, फिर बन जाना तू खूबसूरती का खज़ाना, आज भी दिल लबरेज़ नैनो से तुझें ही देखे हाला, रक्तरंजित लहू भरा हो प्रेम का प्याला, उड़ेल दे हम पर कर न्यौछावर, देखे तेरा इश्क़ मोहब्बत हैं कितना निराला, आ बैठ इत्मिनान से तेरे लिए सजाई हैं ये प्यार की मधुशाला। कवि:-हरिवंशराय बच्चन मधुशाला #rzकाव्योगिता4 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone #poetry #कविता #myquote
कवि:-हरिवंशराय बच्चन मधुशाला #rzकाव्योगिता4 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone poetry #कविता #myquote
read moreamar gupta
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे, श्वासों में, उर, इस दर्पण में, अब कैसे रहूं पृथक तुम्हीं से? असीमित, अनन्त हो तुम मुझमें। कहो ना प्रेम यूहीं बिसुरने मेरे प्रेम का है कोई प्रतिदेय क्या? जगते हो नयन में तुम हर बेला ये विरह क्या, क्या ही मिलन बेला मै असंग नहीं तुमसे और न तुम मुझसे, फिर क्यों ये दुख का मेला? उर मेरा जो है पास तुम्हारे, हमारे हृदय का हुआ न विनिमय क्या? स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे,
स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे, #yqbaba #yqdidi #प्रिय #महादेवी_वर्मा #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता4
read moreShruti Gupta
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे, श्वासों में, उर, इस दर्पण में, अब कैसे रहूं पृथक तुम्हीं से? असीमित, अनन्त हो तुम मुझमें। कहो ना प्रेम यूहीं बिसुरने मेरे प्रेम का है कोई प्रतिदेय क्या? जगते हो नयन में तुम हर बेला ये विरह क्या, क्या ही मिलन बेला मै असंग नहीं तुमसे और न तुम मुझसे, फिर क्यों ये दुख का मेला? उर मेरा जो है पास तुम्हारे, हमारे हृदय का हुआ न विनिमय क्या? स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे,
स्वप्न में भी है चित्र तुम्हारे, सुधा तुम्हीं, ये चित्त भी हारे! विरह सखी, त्याग में क्षण क्षण, नयन को अब अश्रु न प्यारे! ये दुख ही मेरी है निधि, कोई अधिक मनोहर निलय क्या? कण कण में जीवित तुम मेरे, #yqbaba #yqdidi #प्रिय #महादेवी_वर्मा #yqrestzone #rzhindi #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता4
read moreSangeeta Patidar
हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... उसके ख़्वाबों-ख़यालों में निशाँ छोड़ना हो, दिलों दिमाग़ का सब, जब नाम कराना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बारिश की बूँदों में 'हम' एहसास ढूँढ़ना हो, बसंती हवा में इश्क़ की मिठास भेजना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बाँट के उसका दर्द, लम्हा हसीं बिताना हो, भुला के अपना दर्द, उसको ही हँसाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... हक़ीक़त से करा रूबरू, सब्र सिखाना हो, नसीब की ज़िद में, खुदी कब्र दिखाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... नींद से दुश्मनी की असल वजह बताना हो, छोड़ ज़ख़्म,उसके दिल में जगह बनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... -संगीता पाटीदार 'धुन' Rest Zone 'काव्योगिता', कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव 'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो।
Rest Zone 'काव्योगिता', कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव 'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। #sangeetapatidar #yqrestzone #rzhindi #ehsaasdilsedilkibaat #rzकाव्योगिता #rzकाव्योगिता4
read moreujjwal pratap singh
मेरा दोस्त भी है,मेरा हमनवा भी है वो मीठा भी है और कड़वा भी है वो गाँव में भी है,वो शहर में भी है वो गोरखपुर में भी है और नौतनवा में भी है वो सीधा भी है,वो बदमाश भी है ये हुनर बूढों में भी है और युवा में भी है वो थकता भी है,वो कमाता भी है वो आराम के समय मे भी है और सेवा में भी है वो मीठा भी है,वो मिठाई भी है वो खूबी भेली में भी है और मेवा में भी है वो ठीक भी है,वो बीमार भी है वो अस्पताल में भी है और दवा में भी है वो मेरा दोस्त भी है,मेरा हमनवा भी है -राहत इंदौरी।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के आखिरी पड़ाव के लिए?!
वो मेरा दोस्त भी है,मेरा हमनवा भी है -राहत इंदौरी।। नमस्ते लेखकों❤ तैयार हो हमारी "काव्योगिता" के आखिरी पड़ाव के लिए?! #ghazal #ग़ज़ल #yqrestzone #rzकाव्योगिता4
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