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Rashmi Vats
अहम अहम को अपने कर दरकिनार । गलतियों को आपस में सुलझाकर। ये कहकर कि छोटी सी ही तो थी बात, नजरंदाज कर दिया करो जरा हंसकर । रिश्तों की अहमियत समझकर। झुक जाया करो अपनी अकड़ छोड़कर। सुकून से जिंदगी बीतेगी तुम्हारी, सभी का आशीर्वाद पाकर। रश्मि वत्स । मेरठ (उत्तर प्रदेश) ©Rashmi Vats #relaxation #अहम #दरकिनार #रिश्ते #बरकरार #उलझन
Shivkumar
इस दुनिया में गुलदस्ते की डोर मे दरिया दिलों की यह शान है । यहाँ हर शख्स किसी के बिना बहुत खुश है दिल के गमों की वजह से उलझन सा है । ©Shivkumar #Tulips #शायरी इस #दुनिया में #गुलदस्ते की #डोर मे दरिया #दिलों की यह #शान है । यहाँ हर #शख्स किसी के बिना बहुत #खुश है दिल के गमों की वजह से #उलझन सा है ।
M@nsi Bisht
अक्सर उलझ जाता हूं उलझनों में । तू संजोकर फिर से ढाल देती है ।। ©M@nsi Bisht #उलझन
Santosh Verma
जाते वक्त खामियों का समंदर बताया था मुझे । जब मिले थे कौन सी खुबिया थी मुझमें ? सोचता है दिल प्रणाम 🙏🏻 ©Santosh Verma #उलझन
Rakesh Kumar Das
एक अजीब सी उलझन होती हैं जब वो नही रहते साथ पर साथ होते ही उलझन न जाने कहाँ गुम हो जाती है। ©Rakesh Kumar Das #उलझन
NISHA DHURVEY
उलझनों में उलझ गई जिंदगी मेरी मन तो बड़े अरमान लिए था किस्मत सो रही थी मेरी एक मूरत से बनकर बैठे थे एक छोर पर सपने जन्नत के से देख रहे थे सफर शुरू किया तो डगर में हम खड़े भी ना हो पा रहे थे रास्ते का मुआयना किया तो पाया मंजिल के बीच एक बड़ी खाई पड़ी थी पर मन में तो बड़े अरमानों की खुमारी चढ़ी थी चलते चलते थककर बैठ गए हम मोड़ पर अब जिंदगी नीरस हो चली थी सवालों के कटघरे में खड़े थे मंजिल और मेरे बीच न लांघ पाने वाली दीवार खड़ी थी बैठकर सोचते हैं न जाने कहां ले जायेगी जिंदगी मेरी मुश्किलों के सिलसिले खत्म ही नही होते उलझनों में ही उलझ के रह है गई जिंदगी मेरी ©NISHA DHURVEY #Dhund #उलझन
Shashi Bhushan Mishra
कितनी तिकड़म लेकर चलते हो मन में, शायद इसीलिए रहते हो उलझन में, अवसादों से ग्रस्त मानसिकता वालों, दम घुटने लगता है तेरा बंधन में, अपने ही अस्तित्व का अवलंबन ढूँढो, सर्प भी शीतलता पाता है चंदन में, सारी दुनिया ठुकरा दे तब भी अपनी, आस न डिगने देना तुम रघुनन्दन में, जीवन में हर पल ख़ुशियों का सरगम है, ध्यान लगाकर सुनो हृदय स्पन्दन में, माया में सुख-दुःख का होगा खेल सदा, व्यर्थ न समय गँवाना अपना क्रंदन में, पूजा-पाठ, हवन, जप-तप शामिल सारे, सेवा, सुमिरन, भजन और प्रभु वंदन में, अंतर्घट महके फूलों की ख़ुश्बू से, पाता मन सुकून भ्रमरों के 'गुंजन' में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #उलझन में#
Mukesh Meet
उलझन को ऐसे सुलझाना पड़ता है। कांटों में दामन उलझाना पड़ता है।। ©Mukesh Meet #कांटे#दामन#उलझन
Mansha Sharma
🍁मन के भाव 🍁 No_3250 उलझन उलझन पर उलझन बढ़ती ही जाती यह तन्हाई है कि मेरी जिंदगी से नहीं जाती दो पल की खुशी जिंदगी मे नजर नहीं आती मेरी बेबसी किसी को नजर नही आती हर किसी की उंगली मुझ पर उठ जाती सोचा ना था कि कभी जिंदगी मे ऐसे भी दिन आएंगे मेरे अपने भी मुझसे नजरे चुराएंगे गैरों से ना सही क्या हम अपनी मनशा अपनों से कभी कह पाएंगे क्या हम अपनों के बीच रहकर भी तन्हा ही रह जाएंगे क्या कभी इन उलझनो के जवाब मिल पाएंगे या फिर यूंही सवाल सवाल बन कर ही रह जाएंगे और हम इस उलझन में उलझ कर ही रह जाएंगे इस तरह तो हम चैन से मौत की नींद भी ना सो पाएंगे स्वरचित सुरमन ©Mansha Sharma #सुरमन_✍️ #उलझन #nojo_quotes