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Soulmate (Yuhee)
वो बताते नहीं यूँही हम पूछते थकते नहीं P.P.11. #PP_शब्दरेखा_हाल_ए_दिल ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Poonam Suyal
तुम्हारी बाहों में जो सुकून मिलता है हमें वो और कहीं मिलता नहीं डरते हैं हम कि कहीं तुम दूर हमसे ना हो जाओ कहीं रहना चाहते हैं सदा तुम्हारे दिल के करीब हम तुम्हारे बिना जीना हमें अब बिल्कुल भी गवारा नहीं P.P.016 #PP_शब्दरेखा_तुम्हारीबाहोंमें ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
तुमसे बिछड़कर जाना के ग़म क्या है, अकेला होने के बाद जाना मेंने के तन्हाई क्या है। लगता था पहेले के अकेला ही काट लूँगा ज़िंदगी, पर अब एक एक पल लगे मुझे भारी। तुझे याद करता हूंँ तो अश्क बह जाते है आँखों से, लेकिन इन अश्कों के सिवा अब मेरी जिंदगी मे बचा ही क्या है। -Nitesh Prajapati P.P.018 #PP_शब्दरेखा_तुमसेबिछड़कर ➡️समय सीमा 24 घंटे या निर्दिष्ट के अनुसार। ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
प्यार दिल से होता है, आकर्षण आंखों से होता है, रूप तो हर जगह मिलता है, लेकिन सच्चा दिल एक ही बार मिलता है। आकर्षित करता है बाहरी रूप हमें पर कुछ वक़्त के लिए ही, लेकिन प्यार में तो देखते हैं खूबसूरती दिलों की। आकर्षण का मोह तो ढ़ल जाता है कुछ ही दिनों में, लेकिन दिल से किया गया प्यार हमेंशा अमर रहता है। -Nitesh Prajapati संक्षिप्त लेख...no.11 #SLPP_शब्दरेखा_प्यार_और_आकर्षण ➡️विषय पर अपने स्वयं के विचार व्यक्त कीजिये। स्व-विचार ही मान्य है। ➡️कृपया पिन पोस्ट का अवलोकन अवश्य करें।
Nitesh Prajapati
मेरी अभिलाषा भी तुम, मेरी इबादत भी तुम, मेरे अंतःकरण से निकला हुआ भाव हो तुम। साँसे भी तुमसे, जिंदगी भी तुमसे, मेरा आरंभ भी तुम और मेरा अंत भी तुम। प्रतियोगिता पोस्ट P.P.015 #PP_शब्दरेखा_मेरीअभिलाषा ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
ढूँढा तुझे कायनात की हर एक जगह, पर ना मिली तुम और ना ही मिली तुम्हारी कोई खबर। दिल ये मेरा मुझसे ही सवाल करें, कहाँ हो तुम, कहाँ है तेरा वज़ूद। जवाब मेरे सवालात के मे खुद देना पाऊंँ, और तेरी यादो के बोझ तले में जी ना पाऊँ। P.P.014 #PP_शब्दरेखा_कहाँहोतुम ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
सत्कर्म की राह है कठिन, लेकिन है तो वो सही। जैसा करोगे वैसा ही पाओगे, लेकिन कुछ तो सत्कर्म करो किसी के लिए। मांगोगे जितना मिलेगा दोगुना, लेकिन शुरु तो करो सत्कर्म की किसी के लिए। G.P....014 #GP_शब्दरेखा_सत्कर्मकीराह #GP_शब्दरेखा_केवलसहभागिताहेतु ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। ➡️कृपया पिन पोस्ट का अवलोकन अवश्य करें।
Nitesh Prajapati
मेरे जीवनसाथी जैसे मेरा हमराही, चलती है वह हर वक़्त मेरे साथ हर एक मुक़ाम पर। रखती है वह मेरा ख्याल एक माँ की तरह अब, कमी आने नहीं देती कभी मेरी खुशियों में। लौटता हूंँ जब शाम को थक के घर में वापिस, देखकर उनकी एक मुस्कान पूरे दिन का थाक पल भर मे गायब। तू ना होती अगर मेरी जिंदगी में, सिर्फ यह ख़यालात ही मुझे मार देते हैं। तो सोचो हकीक़त में तेरे बग़ैर, यह जिंदगी भी क्या जिंदगी और यह जन्नत भी क्या जन्नत। -Nitesh Prajapati P.P.12 #PP_शब्दरेखा_मेरेजीवनसाथी ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
हाल-ए-दिल बया करू मे आज, मेरे शब्दों की सहायता से कोरे काग़ज पर। लिखू चंद अल्फाज़ मेरे दिल की कशमकश के, की हर वक़्त बढ़ती ही जाए चाहत तुझे पाने की। मन तो अब कहाँ मेरी सुने, वो तो बस चले तो सिर्फ तेरे विचारों मे। काश तू एक बार सुनकर मेरा हाल-ए-दिल, चली आ मेरे पास और दिल की कशमकश को कम करा जा। P.P.11. #PP_शब्दरेखा_हाल_ए_दिल ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।
Nitesh Prajapati
देखे जो ख़्वाब शायद पूरे हो ना हो, लेकिन अभी जैसा है तू वैसा ही रहना, तुम्हें मेरी क़सम। वक़्त का कुछ भरोसा नहीं कब हमारे ख़िलाफ हो जाए, मे मिलू या ना मिलू लेकिन तुम हमेंशा खुश रहना, तुम्हें मेरी क़सम। बुने थे जो आशियाने के ख़्वाब हमने, शायद पूरे ना भी हो,लेकिन तुम अपना आशियाना बसा लेना, तुम्हें मेरी क़सम। शायद हमारी क़िस्मत अभी ना मिली हमे लेकिन, अगर किसी राहों में टकरा गए तो पहले जैसे ही मिलना,तुम्हें मेरी क़सम। P.P.10... #PP_शब्दरेखा_तुम्हें_मेरी_क़सम ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।