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Krish Vj
सिसकती आहे, आँखों में समंदर, ख़्वाहिशों का क़ातिल 'इश्क़' में मिला ही क्या है? उम्र-भर के दर्द के सिवा ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
RAHUL VERMA
लग जाने दो इश्क़ हो रहा है हो जाने दो तुझको देखेंगे सितारे तो जिया मांगेंगे यौवन की फुहार सँगमर्मर सा तारास बदन तेरा बूढ़े भी जवानी की दुआ मांगेंगे ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Poonam Suyal
सब हम सहते रहे फ़िर भी इश्क़ हम करते रहे कोई भी उलाहना, नहीं डिगा पाया कभी भी हमें हम अपने दिल की सुनते रहे नहीं हमें अफ़सोस किसी बात का हम अपनी मर्ज़ी से ही जीते रहे जिसे जो कहना था वो कह गया हम सब का कहा नजरअंदाज करते रहे ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
नरेश होशियारपुरी
इल्जाम ईश्क़ पर लगते थे लगते हैं और लगते रहेंगे।। मग़र ईश्क़ करने वाले ना डरे हैं ना डरते हैं और ना डरेंगे।। ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
नरेश होशियारपुरी
और भी संगीन हो गए। जब देखा आपको इस कदर मिज़ाज़ अपने रंगीन हो गए।। ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Nazar Biswas
इश्क़ के इल्ज़ाम वो कैसे कैसे से हमपर लगातें रहें, मोहब्बत का तमग़ा देकर वो नामुराद जिस्म अपना बहलातें रहें। नज़रों की मेरे कसीदें क्या ख़ूब पढ़ें उसने, आँखें हमसे मिलाकर वो दिल कहीं और लगातें रहें। अपने अक्स पर ऊँगली कौन उठाता है यहाँ? ख़ुद का दामन संभाल वो दाग़ मेरे आँचल पर लगातें रहें। सर आँखों पर बिठाया था जिसको, उसने पाँव की धूल भी न समझी, फ़रो आशिक़ थे, सरे बाज़ार इज़्ज़त हमारी धूल में उड़ातें रहें। की अपनों की नाफ़रमानी, अब अंजाम भी भुगतने ही थे, हम न रहें यहाँ के क़ाबिल , हम न वहाँ के ही रह गए। इल्ज़ाम जो लगें बेवफ़ाई के, वफ़ा निभा कर भी, अपनी मय्यत ख़ुद अपने हाथों ही सजातें रह गए। नामुराद - असंतुष्ट फ़रो - नीच ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
Dr Upama Singh
कितनी सदियांँ आईं और चली गईं कितनी पीढ़ियांँ आईं और चली गईं इश्क़ के इल्ज़ाम दीवानों पर लगते हर बार समाज ने बस बना लिया हो एक ही परंपरा इश्क़ नाम ही है बदनाम जो करता उस पर लोग लगा देते हैं बहुतेरे संगीन इल्ज़ाम लगता है जैसे कितना बड़ा गुनाह कर दिया समाज में इसकी कोई सुनवाई भी नहीं करता इश्क़ का अलग ही अपना हिसाब पल भर में हो जाता उम्र भर के लिए जो हुआ सब उस ईश्वर के इशारे पे फिर भी ज़माना लगा देता इल्ज़ाम दीवानों पे इश्क़ ने हँस कर कबूल क्या कर ली सज़ा अपनी ज़माने ने दस्तूर बना लिया इश्क़ के इल्ज़ाम दीवानों पर मढ़ने की ख़ुद पे आते इल्ज़ाम देख इश्क़ ने आख़िर पूछ ही लिया क्या किया तूने सरफिरे! ख़ुद को ही मार डाला।। ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Neha Pathak
इश्क़ के इल्ज़ाम देकर बदनाम मत करना। मेरी वफ़ा को तुम ऐसे गुमनाम मत करना। जरा परखना मुझको और मेरी चाहत को। मीचकर आँख मुझे हमनाम मत करना। मैं गुल हूँ गुलशन का मुझमें महक़ है। महफ़ूज रखना मुझे ऐसे सरेआम मत करना। अभी तो तुमको मैं आयत सी लगती हूँ ठीक है। लेकिन कभी मुझको खुली क़िताब मत करना। मोहब्बत के भी अपने क़ायदे क़ानून होते है। दायरे में रहना कभी फ़ित्ने-वाम मत करना। ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
Divyanshu Pathak
कटार है सितार है तलवार है ! किसी के लिए दिलवर तो किसी के लिए दिलदार है। इश्क़ के इल्ज़ाम से नवाज़े जाते हैं! हुस्न वालों पर ही तो ये सारी तक़रार है। क़यामत के दिन ज़बाब देना! कौन कितना खुद्दार है? और कौन कितना गद्दार है। कटार है सितार है तलवार है ! किसी के लिए दिलवर तो किसी के लिए दिलदार है। इश्क़ के इल्ज़ाम से नवाज़े जाते हैं! हुस्न वालों पर ही तो ये सारी तक़रार है। क़यामत के दिन ज़बाब देना!
दि कु पां
भौरों का क्या वो फूलों का रस चूस उड़ जातें हैं, बेचारा फूल बेखबर हो राह निहारता रहता है.. जो उड़ गए वो फिर ना आते हैं.. कोई नया भोरां आ कृत्य फिर यही दोहराता है.. फूल चह कर भी कहीं और जा ना पाता है.. यही नियति है फूलों की.. ♥️ Challenge-701 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।