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Best इंसां Shayari, Status, Quotes, Stories

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Monika Rathee "Vimal"

ऐसा लगता है...


जैसे अब जा के रूका हो तुफां कोई,
हुई तबाही का जायजा लेने के बाद,
देखा कि कहीं बचा हो जिंदा इंसां कोई,
समेट ली ख्वाहिशें हमनें इसी उम्मीद में,
शायद किसी ख्वाब का बचा हो निशां कोई।

©Monika Rathee #Life 
3May, 2022। 
#तुफान 
#इंसां
#ख्वाब 
#story

KUMAR JEET

#जमाने_गुजर_गए #इंसां #Kumarjeet691 hindi shyari sona kumbhkar Seema saini Sujata jha gudiya #शायरी

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इल्मों-अदब के सारे खजाने गुजर गए,
क्या खूब थे वो लोग पुराने गुजर गए !
बाकी है जमीं पर फ़ख्त आदमी की भीड़,
इंसा को मरे हुए तो जमाने गुजर गए !!

©KUMAR JEET #जमाने_गुजर_गए
#इंसां
#Kumarjeet691  hindi shyari  sona kumbhkar Seema saini Sujata jha gudiya

ABDULLAH

मैं इक्कीसवी सदी का इंसां हूँ
मैं इक्कीसवीं सदी का इंसां हूँ

मैं ही संस्कारी भी हूँ
मैं ही बलात्कारी भी हूँ
अमीर भी हूँ भिखारी भी हूँ
सरकार भी हूँ नोकर सरकारी भी हूँ

मैं कातिल भी हूँ वकील भी हूँ
मैं कातिल के हक़ में दी गयी दलील भी हूँ

मैं रहबर भी हूँ कातिल भी हूँ
सब जानकर मज़लुमो से ग़ाफिल भी हूँ
अधूरा भी हूँ कामिल भी हूँ
अहमक भी हूँ आकिल भी हूँ

मैं ही हंसाने वाला मैं रुलाने वाला भी हूँ
मैं बुझाने वाला मैं ही आग लगाने वाला भी हूँ

कभी गलत नापता तो कभी सही तोलता हूँ
कभी झूठ तो कभी सच बोलता हूँ

मैं इक्कीसवीं सदी का इंसां हूँ
मैं इक्कीसवीं सदी का इंसां हूँ

गैरों के ग़म पे हंसता हूँ अपने ग़म पे रोता हूँ
नींद उजाड़ कर सबकी खुद आराम से सोता हूँ

ईद पे सिवंई दिवाली पे मिठाई खिलाता हूँ
मैं ही कभी एक दुसरे के घरों को आज लगाता हूँ
मैं ही मारा जाता हूँ मैं ही मारके आता हूँ
मैं ही मातम मनाता हूँ मैं ही खुशियाँ मनाता हूँ


मैं ही शाख हूँ मैं ही शजर हूँ
मैं ही फल हूँ मैं ही पत्थर हूँ
मैं ही सहरा हूँ मैं ही घर हूँ
मैं ही ज़ंजीर हूँ मैं ही ज़ेवर हूँ

मैं ही खफ़ा हूँ मैं ही राज़ी हूँ
मैं ही मुज़रिम हूँ मैं ही काज़ी हूँ
मैं ही पुजारी हूँ मैं ही नमाज़ी हूँ
मैं ही हारी हुई मैं ही जीती हुई बाज़ी हूँ

मैं ही ज़ुबां वाला मैं ही बेज़ुबान हूँ
मैं ही बखील मैं ही सखी इंसान हूँ 
मैं ही इंसां हूँ मैं ही हैवान हूँ
मैं ही फरिश्ता हूँ मैं ही शैतान हूँ

मैं ही मज़लुम हूँ मैं ही ज़ालिम हूँ 
मैं ही रियाया हूँ मैं ही हाकिम हूँ

मैं इक्कीसवीं सदी का इंसां हूँ
मैं इक्कीसवीं सदी का इंसां हूँ 
✍️ अब्दुल्लाह नसीम

©ABDULLAH #ऊर्दूशायरी #इंसां 

#steps

Ash Ash

क्यूँ  हर कोई परेशान सा नज़र आता है , 
भीड़ में हर कोई क्यूँ अनजान सा नज़र आता है , 
क्या सोचा है खुदा तूने हम इंसां के लिए , 
क्यों हर कोई डरा सहमा सा नज़र आता है #इंसां

aamil Qureshi

किसी रोज़ छॉंव की तलाश में किसी रोज़ छांव की तलाश में निकलने वाला तू नही
जब इंसां होकर इंसां को ही फिर समझने वाला तू नही 

 तू खुद के  फायदे को काट लेगा अपने ही जनै को 
बेजुबान पेड़ों को काटने से सम्भलने वाला तू नही

एसी फिज्र कूलर की आदत हो गयी है तेरे शरीर को
मखमल हवा के झोंके से अब पिघलने वाला तू नही 

मर जायेगा सिसक सिसक कर यूही हवा के बिन
तक़ब्बुर है तुझमें शुरुआत नेकी की करने वाला तू नही

आमिल Kisi roz chaav ki talash m niklne wala tu nhi 
Jab insaa hokr insaa ko hi fir samjhne wala tu nhi 

Khud k fayde ko kaat lega apne hi janne ko 
Bezubaan paiddo ko katne se sambhalne wala tu nhi 

Ac fridge cooler ki adat ho gyi h tere shareer ko 
Makhmal hwaa ke jhoke se ab pighalne wala tu nhi

Sarvesh Bharti

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आंखे अगर हक़ीक़त देखना सीख जाए ,तो क्या कहना,
इंसां अगर इंसां बन जाए , तो क्या कहना.....😊💓

Jahnvee

ख़ुदा अपने बंदों से बस इतना चाहता है
लबों पर सबकी ख़ैरियत के लिए दुआ
दिलों में हर एक के लिए प्यार चाहता है
हर इंसां, हर इंसां के काम आ सके
ऐसा जज़्बा, ऐसा ईमान चाहता है #दुआ #prayer #NojotoUrdu #NojotoHindi #NojotoInspirational

रजनीश "स्वच्छंद"

एक आग लिए मैं चलता हूँ। चिंगारी से बोलो क्या डरना, एक आग लिए मैं चलता हूँ। गरल-पान कर दुनिया का, मुंह झाग लिए मैं चलता हूँ। #Poetry #Life #kavita

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एक आग लिए मैं चलता हूँ।

चिंगारी से बोलो क्या डरना,
एक आग लिए मैं चलता हूँ।

गरल-पान कर दुनिया का,
मुंह झाग लिए मैं चलता हूँ।

इंसां होने का जुर्म किया,
एक दाग लिए मैं चलता हूँ।

कांटों को सहेजे दामन में,
एक बाग लिए मैं चलता हूँ।

कभी प्रीत कभी विरह गीत,
एक राग लिए मैं चलता हूँ।

विषथैली दबा कर वाणी में,
एक नाग लिए मैं चलता हूँ।

अवशेष पड़े इस बीहड़ में,
इंसां जाग लिए मैं चलता हूँ।

सत्य की प्रखर इस अग्नि में,
सब भाग लिए मैं चलता हूँ।

मूक बधिर इस इंद्रप्रस्थ में,
एक काग लिए मैं चलता हूँ।

हूँ ज़िद्दी बड़ा अल्हड़ भी मैं,
बन्दा घाघ लिए मैं चलता हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" एक आग लिए मैं चलता हूँ।

चिंगारी से बोलो क्या डरना,
एक आग लिए मैं चलता हूँ।

गरल-पान कर दुनिया का,
मुंह झाग लिए मैं चलता हूँ।

Rahul Khan

नुमाइश #शायरी

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दवा की नुमाइश लिए दर्द के शहर से गुजरता,
बिखर जाता है खुद फिर खुद ही संवरता है,
मुख्तलिफ है इंसां और अर्श की मोहब्बत में,
इंसां नजदीकियों में तरसता है अर्श दूरियों में भी बरसता है। नुमाइश

Abhinav Zihowa

Internet Jockey Sanjay Sanju Panwar aman6.1 Dr.Ashwini jadhav.... Pragati Maurya #विचार

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Natural Morning ऐ इंसां, मेरे तेरी राहों पे नहीं चलने वाला,
शायर हूँ, यूँ ही हर गली में नहीं मिलने वाला।
तू चाहे जियूँ मैं ज़िन्दगी एक आम इंसां की,
अगर मैं आम होता तो शायद,शायर नहीं होता।
                                        -Abhinav Zihowa Internet Jockey Sanjay Sanju Panwar aman6.1 Dr.Ashwini jadhav.... Pragati Maurya
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