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Smriti_Mukht_iiha🌠
पुष्प मत इठलाना, बनके कंठहार तुम। पुष्प मत इतराना, बनके पिय श्रृंगार तुम। लट से गूँथते हुये, स्पर्श तुम टटोलना। अंगुली के पोर पर, सुगंध भीनी छोड़ना। मिलन की हर साँझ में, बनना सूत्रधार तुम। श्यामल स्वप्न में भरना, इंद्रधनुषी प्यार तुम। ©Smriti_Mukht_iiha🌠 पुष्पक! ©स्मृति तिवारी ••✍✍✍ FB/IG❤👍 : #smriti_mukht_iiha ➖➖➖➖➖➖➖ #smit🖊
Smriti_Mukht_iiha🌠
माँ तुम मुझसे बोलो ना! लोरी क्यों मीठी होती है? राजा-रानी के मरने पर क्यों खत्म कहानी होती है? माँ तुम मुझसे बोलो ना! क्यों कौआ झूठों को काटे? क्यों कड़वे सच के सब गुण गाते? माँ तुम मुझसे बोलो ना! कैसे मुझको बहलाती हो? आँचल में क्यों छुपाती हो? बोलो ना माँ!! #smriti_mukht_iiha #nojotohindi
Smriti_Mukht_iiha🌠
शहर सवाल है एक मकसूर सा, खोजता जवाब हर पहर है! मैं बसता हूँ इसमें या फिर, मुझमें रहता मेरा शहर है! शहर पल रहा है मुझमें या मैं शहर में बढ़ता हूँ! #smriti_mukht_iiha #hojotohindi
Smriti_Mukht_iiha🌠
अश्क़ दरिया कोई ठहरा सा जैसे, बाँध तोड़कर हो बह चला! कोई बादल श्याम सा मानो, एकाएक ही पिघल चला! वो है मोती, भावों की ज्योति, वो सकल संसार है! यूँ न तुम, ज़ाया करो इसे, अश्क़ तेरा मुझपर उधार है! कुछ अश्क़ की उधारी, बीती यादें हैं भारी! #smriti_mukht_iiha #nojotohindi #hindipoem
Smriti_Mukht_iiha🌠
कलम 'क'सक मन में रहती है जो, 'ल'फ्ज़ बोल नहीं पाते हैं! 'म'यकश नज़रों के जाम, साकी यहाँ तोल नहीं पाते हैं! तब संगदिल कोई शायर, अपना बेदर्द सा काम कर जाता है! हाल-ए-दुनिया बताकर, 'कलम' से काम तमाम कर जाता है! किस्से कलम के! कई हैं यहाँ! #smriti_mukht_iiha #nojotohindi
Smriti_Mukht_iiha🌠
चरित्र वह पाप की निशीथ में निकली हो पवित्र, पुण्य दबे पाँव छलता जहाँ मित्र! बेसुध बयार में घुलता छलका इत्र, सूँघते हैं शृगाल भोर में उसका त्रिया-चरित्र! चरित्र दिखावे की वस्तु नहीं, मन का भाव है!! #nojoto #smriti_mukht_iiha #nojotohindi
Smriti_Mukht_iiha🌠
लब पर ख़ामोश सच्चाई लिये फ़िरती हूँ, नज़रों में बेरुख रुसवाई लिये फ़िरती हूँ। ज़फ़ा-ए-इश्क़ में भीगी नज़्म के गगन में, वफ़ा-ए-बंदिगी की रुबाई लिये फ़िरती हूँ। यूँ ही बस!! #smriti_mukht_iiha #nojoto
Smriti_Mukht_iiha🌠
अपने नरम डैने फड़फड़ाकर, चोंच हक़ीक़त की बाली दबाकर! चहचहाकर निकले हैं आज पर, घोंसले में भावी कल को सेकेंगे! सपने उड़ चले हौसलों के अंबर.... अब सच होकर ही लौटेंगे!! सपने उड़ चले हैं कोशिश के गांव, सच होकर ही अब लौटेंगे!! #smriti_mukht_iiha
Smriti_Mukht_iiha🌠
फड़फड़ाते से ख़्वाबों को, जोश से लबरेज़ ज़ज़्बातों को! चारदीवारियां कब तक रोकेंगी, बग़ावती चुप अल्फ़ाज़ों को! #smriti_mukht_iiha
Smriti_Mukht_iiha🌠
सीखते हैं मर्यादा ही उच्च है सबसे! सम्मान कीजे उनका, जो तुच्छ हैं सबसे! सीखते हैं एक प्रेम माला में बंधे रहना! माँ की प्रसन्नता हेतु आज्ञा में सधे रहना! सीखते हैं मित्रता धर्म पवित्र है! शत्रु को मान देना विद्वता परख चरित्र है! राम से संज्ञान लो प्रजातंत्र का ज्ञान लो! राम की शीलता को मनुज पहचान लो! श्री राम नमः!! #smriti_mukht_iiha