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Best sahityakakshgazal_02 Shayari, Status, Quotes, Stories

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Insprational Qoute

इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में #YourQuoteAndMine #yqhindi #CollabChallenge #anandkumarmanish #sahityakaksh #sahityakakshgazal_02

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मिलकर मिटाना हम सबको भेदभाव की दूरी है,
आज भी आजाद भारत की यह इच्छा अधूरी है,

न जाति ,न पात ,न छुआछूत न आपसी आघात,
रहे  स्नेहाभाव , सद्व्यवहार बस यही जरूरी है,

एक एक हाथ मिल, एकता का संदेश फैलाओ,
अखण्डता ही पहचान है, ये न कोई मजबूरी है,

न रख मन मे द्वेष, रोष न कोई क्रोध की भावना,
रख धैर्य मनोबल यही वास्तविक श्रद्धा सबूरी है,

जगाइये अंतश्चेतना की सुसुप्त हुई अन्तरात्मा को,
"निशा" सात्विक जगत की यह मोक्ष कामना पूरी है। इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी"

गजल प्रतियोगिता -02
साहित्य कक्ष 2.0 


आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में

Prerit Modi सफ़र

बा-वफ़ा- faithful वाबस्तगी- संबद्ध शोर-ए-रुस्वाई-ए-दिल- sound of humiliation of heart इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #CollabChallenge #anandkumarmanish #sahityakaksh #sahityakakshgazal_02

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बा-वफ़ा   वाबस्तगी  तू  ये  मेरी  क्यों  समझ  नहीं पाया
दूरी  ये  बेवज़ह सी मैं  तिरी सनम क्यों समझ नहीं पाया

आरज़ू  जो  थी  तेरी  आग़ोश  में  ही  तमाम ज़ीस्त गुज़रे
फिर संगदिल तू क्यों मुझे बीच मझधार में ही छोड़ आया

शोर-ए-रुस्वाई-ए-दिल  का  हाल किस किस को बताऊँ
शिद्दत-ए-तिश्नगी  मेरे  दिल की तू क्यों समझ नहीं पाया

लबरेज़  इश्क़ के  दरिया को सुखा  दिया तेरी नफ़रतों ने
क्यों  अँधेरी  रातों  में तू चराग़ तमन्नाओं  के बुझा आया

'सफऱ' जो हो गया था क़ाफ़िला मुहब्बत का ये तेरा मेरा
फिर किस डर से तू मंज़िल के इतने क़रीब से लौट आया बा-वफ़ा- faithful
वाबस्तगी- संबद्ध
शोर-ए-रुस्वाई-ए-दिल- sound of humiliation of heart

इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी"

गजल प्रतियोगिता -02
साहित्य कक्ष 2.0

DR. SANJU TRIPATHI

इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में #YourQuoteAndMine #yqhindi #CollabChallenge #anandkumarmanish #sahityakaksh #sahityakakshgazal_02

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तेरे मेरे दरमियाँ कभी कोई भी दूरी ना हुई होती। 
अगर बीच में बेरहम जमाने की मजबूरी ना होती।

ना तड़पता दिल यूँ मेरा, ना चैन-ओ-सुकून खोता,
ना लगाते दिल हम तुमसे न मेरी धड़कने यूँ रोती।

चाहते हैं हम तुझको आज भी दिल की गहराइयों से,
गर समझ लेते मेरे जख्मों को तो आँखें नम न होती।

तोड़ देते जमाने की सारी रस्मों-रिवाजों की दीवारें,
एक बार हिम्मत करके तुम हमारे साथ चलीं होती।

कर देता हँसकर जान निसार "एक सोच" मैं तुम पर,
हमारे वादों पर एतबार करके साथ में तो खड़ी होती।


     इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी"

गजल प्रतियोगिता -02
साहित्य कक्ष 2.0 


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Writer1

इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में #YourQuoteAndMine #yqhindi #CollabChallenge #anandkumarmanish #sahityakaksh #sahityakakshgazal_02

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दिल-ए-सख़्त से दूरियों से नज़दीकियां हुई है ऐसे,
सवाल कर रहा दिल-ए-ख़स्ता हो जैसे,

रास्ते पर चले थे,  आब-जू-ए-ज़ीसत हो ऐसे,
एक जिस्म की अलग-अलग शाख़-ए-गुल हो जैसे,

सोच के दरमियां दूरियां है इस कदर,  दिल-ए-मुज़्तरिब हो ऐसे,
दिखावे का प्यार में ख़ून-ए-दिल पीना हो जैसे।

ग़म-ए-दिल में लम्हा-लम्हा,‌ज़ख़्म-ए-दिल संभाला है ऐसे,
दुखों में रुक कर , थक के रह गया हो दिल-ए-नालाँ जैसे,

दिल-ए-गिरफ़्ता तेरी यादों में खोया हूं ऐसे,
सिद्क़-ए-दिल से सांस दिल-सिताँ का सिमरन कर रही हो जैसे। इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी"

गजल प्रतियोगिता -02
साहित्य कक्ष 2.0 


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Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी" गजल प्रतियोगिता -02 साहित्य कक्ष 2.0 आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में #YourQuoteAndMine #yqhindi #CollabChallenge #anandkumarmanish #sahityakaksh #sahityakakshgazal_02

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🌷 दूरी 🌷

दूर रहना  हर वक़्त  तेरा, दिल की  दूरी ना  बन जाए,
ज़िन्दगी की  ये ख़ामोशी, कहीं मजबूरी  ना बन जाए।

लाख सितम कर लो तुम, लब फ़िर भी  ख़ामोश रहेंगे,
दिल  तोड़कर  जोड़ना, तुम्हारी  फितूरी ना  बन जाए।

जख़्म देकर मरहम लगाना, तुम्हारी आदत  बन गई है,
बेतकल्लुफ़ सी  फ़ितरत तुम्हारी, दस्तूरी ना बन जाए।

चल दिए  राहों में  तू मुझे, यूँ ही  तन्हा क्यों  छोड़कर,
मुझ बिन तेरी  ये ज़िन्दगी, कहीं  अधूरी ना  बन जाए।

चार  दिनों की  ज़िन्दगी में, दो दिन  जो गुज़र  चुके हैं,
'मधुकर'  बिन  जीना  कहीं, कमजोरी  ना  बन जाए। इस ग़ज़ल प्रतियोगिता का शीर्षक है " दूरी"

गजल प्रतियोगिता -02
साहित्य कक्ष 2.0 


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