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अदनासा-
अदनासा-
kavi manish mann
//संस्मरण:नन्हीं परी// शीर्षक में पढ़ें.....!! //नन्हीं परी// १७/०५/२०२१, की सुबह यकायक योजना बनी,आज मेरे फुफेरे भाई का तिलकोत्सव था। मेरी जाने की कोई योजना नहीं थी, किंतु दादीजी की प्रबल इच्छा थी। अतः मुझे विवश होकर जाना पड़ा। हम बुआ जी के यहांँ पहुंँच आए। मैं लगभग 5 वर्ष पूर्व यहांँ आया था, अतः 5 वर्षों में यहांँ बहुत कुछ परिवर्तित हो चुका था। मैं वहांँ बहुत कम लोगों से परिचित था,अतः दादी और पिताजी ने सभी से परिचय करवाया।सभी से मिलने के बाद मैं छत पर चढ़ गया,जहांँ पहले से कुछ संबंधी जन अलग–अलग समूह में बैठकर वार्तालाप कर रहे थे। मै
अमित चौबे AnMoL
अधूरा संस्मरण Full Read in caption आज भी वो सारे मंजर मुंह जबानी याद है जब तुम हमे अपना कहती थीं........ न जाने क्यों....? तुम हमे एकाएक यूं एकाकी कर चली गई याद आता है तुम्हारे साथ छुपकर की हुई बाते याद आता है हर त्योंहार के बहाने तुम्हारा सामान लेने निकलना और उसी दुकान पर मेरा होना अच्छा लगता था जब तुम अपनी सहेली की बात न मानकर मेरे इशारों में बताए कपड़े खरीद लेती थी
Agrawal Vinay Vinayak
ये जीवन का वो अध्याय है जो चरित्र बना देता है [Read Caption 👇👇] #संस्मरण #उदयाचल की ओर-4 साल:- 5 दिन लम्बे इंटरव्यू के बाद हमे बताया गया कि सैंकड़ो लोगो मे से आप 32 लोग ट्रेनिंग के लिए चुने गये हो,आज एक दिन में अपने सब जरूरी काम निपटा लीजिये कल 2सितंबर से आपकी ट्रेनिंग शुरू हो जायेगी। सुबह नाश्ते के समय ही सब लोगो को अपने मोबाइल 3 महीने के लिए जमा करने पड़ेंगे। सेलेक्शन होने की खुशी से ज्यादा टेंशन दी इस बात ने की फोन जमा करना पड़ेगा। आप समझ सकते है कि 18-23 साल के लड़कों के लिए 3 महीने बिना फोन के रहना कितना मुश्किल हो सकता है।
Shikha Mishra
*जवाहर नवोदय विद्यालय* मेरा स्कूल (संस्मरण) Read in caption 👇 #yqbaba #yqdidi #smquote #मेरा_स्कूल #संस्मरण #hostellife #schoolmemories मुझे याद है वो दिसम्बर 2012 की सर्द शाम, जब पापा मुझसे मिलने मेरे हास्टल आए थे, क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि ठंढ की वज़ह से मेरी तबीयत थोड़ी खराब हो गई है। वो जानते थे कि उनकी बेटी बीमार होने पर खाना खाना छोड़ देती है इसलिए वो घर से खाना लेकर आये थे, मुझे अपने हाथों से खिलाने को। फिर वो मेरी house mistress (warden) से मिले, हमेशा की तरह मैम के पास मेरे ख़िलाफ कोई शिकायत नहीं थी। वो हँसते हुए मेरी ओर देखकर बोली "शिखा! क्या
Vibha Katare
याद आया जो बचपन... याद आए कई हसीं पल.. आँगन... अमरूद... ज़िंदा ज़िंदा सा पड़ोस... Please read in caption ... याद आया जो बचपन... याद आए कई हसीं पल.. आँगन... अमरूद... ज़िंदा ज़िंदा सा पड़ोस... नीला आसमान.. डूबते सूरज के साथ लौटते पखेरू.. एक कतार से उड़ते
Vibha Katare
मावा , खीर और बचपन की यादें 'शरद पूर्णिमा" कृप्या पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़े 🙏 सुबह से ही घर मावे की महक से भर जाता था। उस पर फिर मम्मी का मावे और शक्कर का वजन तौलने की ज़द्दोज़हत और पापा का बैठक के दीवान पर इस करवट से उस करवट आलस्य दिखाते हुए मम्मी की बात को अनसुनी करना, जैसे बिल्कुल तयबद्ध और लयबद्ध हुआ करते थे। सुबह से शाम तक इंतज़ार की कब मम्मी तुलसी के पौधे के समक्ष पूजा करें और फिर हमें प्रसाद में मावा लड्डू मिले। साथ ही साथ शरद पूर्णिमा की वो 5-6 कथाएँ जो दादी पूरा आनँद लेते हुए सुनाती थी और हम बच्चे सुनने का बखूबी नाटक किया करते थे। ये त्यौहार पर प्रसाद का वितरण भी अ
Ajay Amitabh Suman
...................... ©Ajay Amitabh Suman #देहात,#देहात_और_शहर,#नगरीकरण,#संस्मरण, #Rural,#Village,#Urbanisation, #Hindi_kavita,#City_and_Village हाल फिलहाल में मेरे द्वारा की गई मेरे गाँव की यात्रा के दौरान मेने जो बदलाहट अपने गाँव की फिजा में देखी , उसका काव्यात्मक वर्णन मेने अपनी कविता "मेरे गाँव में होने लगा है शामिल थोड़ा शहर" के प्रथम भाग में की थी। ग्रामीण इलाकों के शहरीकरण के अपने फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी। जहाँ गाँवों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर हो रहा है, छोटी छोटी औद्योगिक इकाइयाँ बढ़ रही हैं, यातायात के बेहतर संसाधन उपलब्ध हो
Ajay Amitabh Suman
................ ©Ajay Amitabh Suman #देहात,#देहात_और_शहर,#नगरीकरण,#संस्मरण, #Rural,#Village, #Urbanization, #Hindi_kavita,#City_and_Village इस सृष्टि में कोई भी वस्तु बिना कीमत के नहीं आती, विकास भी नहीं। अभी कुछ दिन पहले एक पारिवारिक उत्सव में शरीक होने के लिए गाँव गया था। सोचा था शहर की दौड़ धूप वाली जिंदगी से दूर एक शांति भरे माहौल में जा रहा हूँ। सोचा था गाँव के खेतों में हरियाली के दर्शन होंगे। सोचा था सुबह सुबह मुर्गे की बाँग सुनाई देगी, कोयल की कुक और चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई पड़ेगी। आम, महुए, अमरूद और कटहल के पेड़ों पर उनक