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Sh@kila Niy@z
White न मैं किसी दर्द में हूॅं न मैं किसी ग़म में हूॅं। बस अजीब कैफ़ियत है दिल की, मैं इक अजीब मौसम में हूॅं। ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #Dil #kaifiyat #mausam #nijotohindi #Quotes #22June
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read moreSh@kila Niy@z
इंसान जब जिस कैफ़ियत से गुज़रता है, जब जिस मिज़ाज में होता है, या फ़िर अपने आस-पास के माहौल को जिस तरह महसूस करता है, उसी बदलती कैफ़ियत और माहौल के साथ इंसान की सोच और ख़यालात भी बदलते रहते हैं और यही सोच और ख़यालात फिर लफ़्ज़ों में तब्दील हो कर काग़ज़ पर उतर आते हैं। लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं होता ना कि बदलती सोच और बदलते ख़यालात के साथ वो लोग ख़ुद भी बदल जाते हैं या फ़िर अपनी फ़ितरत ही बदल लेते हैं। इंसान चाहे तो सब कुछ बदल सकता है लेकिन इंसान की फ़ितरत कभी भी नहीं बदलती, न जाने क्यूॅं लोग इस बात को भूल ही जाते हैं। ©Sh@kila Niy@z #basekkhayaal #basyunhi #Insaan #kaifiyat #fitrat #nojotohindi #Quotes #14June
Puja Shaw
कैफ़ियत दिली-समंदर का समझे ना कोई कैसा हैं दिखता तैराक ऊपर से जैसा अन्दर गहरा ना उसके कुछ वैसा हैं ..!! ©Puja Shaw No one can understand the condition of the heart of the ocean. What a swimmer looks like on the surface, what is deep inside is not the same..!! #Isolation #nojotohindi #kaifiyat #4liner #Life
No one can understand the condition of the heart of the ocean. What a swimmer looks like on the surface, what is deep inside is not the same..!! #Isolation #nojotohindi #kaifiyat #4liner Life
read morezindagiesagar
कोई मजबूर करे कोई खैरियत पूछे कोई खता करे कोई हैसियत पूछे हमारा हाल तो हम खुद नहीं जानते क्या कहूं किसी को जो कैफियत पूछे ©zindagiesagar #galiyaan #haal #kaifiyat Pratibha Tiwari(smile)🙂 Abhilasha R. Shinde (मृद्र)
Rishi
Rishi
रकीबों से पूछते हो अब आप कैफ़ियत हमारी.. क्यूँ संभाल रखी है अब तक निशानियां हमारी... #Rishi #ऋषि ©Rishi ऋषि की कलम से... #Rishi #Love #Dard #Dil #rakeeb #kaifiyat #nishani #Past
अभिलाष सोनी
फर्क इतना क्यों करते हो, इंसानों-इंसानों से। चाहत मिलती नहीं यहाँ, किसी को भी अंजानो से। चंद कोशिशें तुम भी कर लो, बन जाओ इंसान कभी। क्यूँ ढूंढते हो आजकल तुम, इंसानियत हैवानों से। बेहतर होगा तुम भी समझो, जीवन का दस्तूर यहाँ। कोई किसी का होता नहीं, जीवन के पैमानों से। कैफियत भी बदल देते है, अक्सर ये लोग यहाँ। क्या उम्मीद लगाओगे तुम, आजकल इंसानों से। भूलकर भी साथ न देना, 'अभिलाष' तू यहाँ किसी का। अहसान भी भुला देते हैं, लोग यहाँ फर्जी अफसानों से। फर्क इतना क्यों करते हो #मेरी_ख्वाहिश #insaniyat #jeevan #kaifiyat #anjaan #insaan #yqdidi #yqbaba
फर्क इतना क्यों करते हो #मेरी_ख्वाहिश #Insaniyat #Jeevan #kaifiyat #anjaan #Insaan #yqdidi #yqbaba
read moreSuraj Singh Chandraul
पढ़ा है मैंने उसको उसके इरादों से महसूस किया है उसको उसके उरोज़ो से ©Suraj Singh Chandraul #shayari#shayari❤ #Jindagi #Narazgi #Ishq❤ #kaifiyat
Aamir Qais AnZar
Caffeine hai... Jisse "कैफियत" kehtey hai. Caffeine is a central nervous system stimulant of the methylxanthine class. It is the world's most widely consumed psychoactive drug. Unlike many other psychoactive substances, it is legal and unregulated in nearly all parts of the world. There are several known mechanisms of action to explain the effects of caffeine....((Wikipedia)) आज मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी का जन्मशती है। कैफ़ी आज़मी का जन्म 14 जनवरी 1919 को उत्तरप्रदेश के आज़मगढ़ में हुआ। वो प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े रहे। हिंदी फ़िल्मों के लिए गीत
Caffeine is a central nervous system stimulant of the methylxanthine class. It is the world's most widely consumed psychoactive drug. Unlike many other psychoactive substances, it is legal and unregulated in nearly all parts of the world. There are several known mechanisms of action to explain the effects of caffeine....((Wikipedia)) आज मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी का जन्मशती है। कैफ़ी आज़मी का जन्म 14 जनवरी 1919 को उत्तरप्रदेश के आज़मगढ़ में हुआ। वो प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े रहे। हिंदी फ़िल्मों के लिए गीत
read morealfaze.ruuh
Madhosh rahe hum, teri kaifiyat me arson, Ab har lamha woh kaifiyat bhulane k liye jai. Qaid hain ab bhi hum, tere qafas-e-ishq me , Yeh rihai ke kaagaz, bas dikhane ke liye hain Kyn shikwah kare hum, kyn malaal me raho tum, Kahan likha hai, ishq ta-umr nibhane ke liye hai Subah uthte hi utar jaaega saara nasha raat ka, ab saara moamla, is neend ko barhane k liye hai. simat jaati ho tum ab gair ki baahon me aksar, yeh nayi mohabbat kya, purana ishq chupane ke liye hai? kami nahin hume bhi kisi hoor ya kisi pari ki, tumse ab tak raabta, faqat woh qasam nibhane ke liye hai. Kitna bhatka is raah-e-mohabbat par "shahzad" Ab yeh tanha raasta, ghar jaane ke liye hai. ©alfaze.ruuh #kaifiyat Riyashaikh Harlal Mahato Amita Tiwari Dishant self
#kaifiyat Riyashaikh Harlal Mahato Amita Tiwari Dishant self
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